डाक्टर हड़ताल पर… अस्पतालों में सन्नाटा

By: Jan 24th, 2017 12:07 am

news newsबिलासपुर —  प्रदेश मेडिकल आफिसर्ज एसोसिएशन के आह्वान पर बिलासपुर अस्पताल के साथ ही जिला भर से भी स्वास्थ्य संस्थानों के चिकित्सक सोमवार को मास कैजुअल लीव पर रहे। चिकित्सकों द्वारा अपनी मांग को लेकर अपनाए गए इस कड़े रुख के कारण स्वास्थ्य संस्थानों में उपचार के लिए आने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। ऐसे में मरीजों को उपचार के लिए अपनी जेब ढीली कर निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ा। यानि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सकों का सामूहिक अवकाश निजी क्लीनिकों के लिए फायदेमंद रहा। सोमवार को चिकित्सकों के मास कैजुअल लीव पर रहने की जानकारी अधिकांश लोगों को नहीं थी। ऐसे में अपनी बीमारियों के उपचार के लिए लोग रोजमर्रा की भांति स्वास्थ्य संस्थानों में पहुंचे। बिलासपुर अस्पताल में दिन भर मरीज लंबी कतारों में उपचार के लिए चिकित्सकों का इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें उस समय  मायूसी झेलनी पड़ी जब उन्हें चिकित्सकों के सामुहिक अवकाश पर होने की सूचना मिली। ऐसे में उन्हें बिना उपचार के ही वापस लौटना पड़ा। हालांकि बिलासपुर अस्पताल में चिकित्सकों ने एमर्जेंसी मामलों को देखते हुए उनका उपचार भी किया, लेकिन हल्की-फुल्की बीमारियों से ग्रसित मरीजों को उन्होंने अटैंड नहीं किया, जिस कारण उन्हें निजी क्लीनिकों का रुख करना पड़ा। सरकारी चिकित्सकों के सामुहिक अवकाश पर होने का फायदा निजी क्लीनिक चलाने वालों को खूब मिला, लेकिन इस जद्दोजहद में मरीजों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ी।  बिलासपुर अस्पताल के साथ ही बरमाणा, पंजगाईं, जुखाला, नम्होल, स्वारघाट, श्रीनयनादेवी, झंडूता, शाहतलाई, गेहड़वीं, घुमारवीं, कुठेड़ा व भराड़ी सहित अन्य क्षेत्रों में भी यही हाल रहा। यहां भी चिकित्सकों के सामूहिक अवकाश पर होने का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा। उपचार के लिए इन स्वास्थ्य संस्थानों में पहुंचे लोगों का कहना है कि सरकार और चिकित्सकों के इस लड़ाई में आम जनता पिस रही है। हालांकि सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावे हर समय करती रहती है, लेकिन ये कैसे दावे हैं जहां लोगों को उपचार के लिए ही परेशानियां झेलनी पड़ रही हों। लोगों का कहना है कि कुछ राजनीतिक रसूख रखने वाले लोग ही चिकित्सकों के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। जब लोगों में भगवान के रूप में देखे जाने वाले चिकित्सक ही सेफ नहीं हैं तो उनका खेवनहार कौन होगा। बहरहाल चिकित्सकों के मास कैजुअल लीव पर होने के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।

बिलासपुर में 60 घुमारवीं में 100 ओपीडी

बिलासपुर- बिलासपुर अस्पताल में चिकित्सकों ने मास कैजुअल लीव पर होने के बावजूद एमर्जेंसी मामले निपटाए। बिलासपुर अस्पताल में अमूमन पांच सौ से छह सौ ओपीडी होती हैं, लेकिन यहां सोमवार को चिकित्सकों ने एमर्जेंसी के करीब 60 मरीज चैक किए। वहीं घुमारवीं में चिकित्सकों ने एमर्जेंसी में करीब सौ मरीजों का उपचार किया।

मरीज परेशान

बिलासपुर- जब लोगों में भगवान के रूप में देखे जाने वाले चिकित्सक ही सेफ नहीं हैं तो उनका खेवनहार कौन होगा। बहरहाल चिकित्सकों के मास कैजुअल लीव पर होने के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है।


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