निर्माता से मरीज तक ट्रैक होंगी दवाइयां

By: Mar 20th, 2017 12:01 am

दवाओं की बिक्री और वितरण पर निगरानी के लिए बनेगा ई-प्लेटफार्म

बीबीएन – केंद्र सरकार ने दवाओं की बिक्री और वितरण को विनियमित करने के लिए ई-प्लेटफार्म स्थापित करने की योजना बनाई है। इसके तहत निर्माता से लेकर मरीज तक दवाओं की पूरी मूवमेंट को ट्रैक किया जा सकेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की इस कवायद का मकसद हर व्यक्ति को जरूरी व गुणवत्ता पूर्ण दवाओं की उपलब्धता करवाने के साथ-साथ, ऑनलाइन इंटरनेट के माध्यम से दवाओं की आपूर्ति को विनियमित करते हुए निगरानी तंत्र को मजबूत करना है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय दवा नियामक द्वारा संयुक्त तौर पर तैयार किए जा रहे ऑनलाइन प्लेटफार्म पर जहां हर केमिस्ट और दवा विक्रेता को अनिवार्य तौर पर पंजीकृत कराना होगा, वहीं थोक और खुदरा दवा विक्रेता को विभिन्न स्रोतों से खरीदी गई दवाओं के भंडार के आंकड़े भी देने होंगे, जो दवा वे निर्माता को लौटाएंगे, उसके बारे में भी बताना होगा। इस प्लेटफार्म पर दवा कंपनियों को भी पंजीकरण कराना होगा और उन्होंने वितरकों, थोक विक्रेताओं आदि को कितनी और कौन सी दवा बेची है, उसकी जानकारी एक्सपायरी तारीख के साथ देनी होगी। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के अस्पतालों, नैदानिक प्रतिष्ठानों या अन्य अधिकृत व्यक्तियों को भी रोगियों के लिए दी गई दवाइयों और किसी भी प्रतिकूल प्रतिक्रिया का विवरण दर्ज करने की आवश्यकता होगी। मसलन इस केंद्रीयकृत डाटाबेस में  किसको क्या दवा बेची है, इसकी पूरी जानकारी रहेगी, हालांकि यह डाटा गोपनीय रहेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित मसौदे के अनुसार वितरित दवाओं का विवरण ई-प्लेटफार्म में दर्ज किया जाएगा और सिस्टम के माध्यम से ही बिल तैयार किए जाएंगे। इस तरह के विवरण में चिकित्सक की पंजीकरण संख्या या अन्य अधिकृत व्यक्ति की पहचान संख्या, नामांकन और वितरण रसायन के नाम व पंजीकरण संख्या के अलावा रोगी का नाम और पहचान का विवरण भी दर्ज किया जाएगा। ई-फार्मेसियों को बिना लाइसेंस दवाओं को बेचने की अनुमति नहीं होगी। इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस क्षेत्र से जुड़े सभी पक्षों से पब्लिक नोटिस के जरिए 15 अप्रैल तक राय मांगी है।

डाक्टर की पहचान भी डाटाबेस में

दवा लिखने वाले डाक्टर की पहचान भी डाटाबेस से जुड़ेगी। अस्पतालों को भी दवाइयों के बारे में जानकारी देने की आवश्यकता होगी। शहरी इलाकों में यह ब्यौरा तुरंत देना होगा, लेकिन ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों को हर 15 दिन में यह जानकारी पोर्टल में अद्यतन करनी पड़ेगी।


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