सीमा सुरक्षा में न हो चूक
( अमित पडियार (ई-मेल के मार्फत) )
भारत के सीमा क्षेत्रों में रक्षा के संबंधित मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यह बात महालेखा परीक्षकों की रिपोर्ट में कही गई है। सीमा क्षेत्र की सुविधाओं को लेकर सुस्त रहना बड़ी लापरवाही मानी जाएगी। दुश्मन को हानि पहुंचाने के लिए हल्का सा मौका देना भी बड़ी चूक साबित हो सकती है। हालांकि पिछले कुछ समय में रक्षा क्षेत्र में भारत काफी हद तक निर्भर हुआ है और सीमा पर मिलने वाली तमाम चुनौतियों को अच्छे ढंग से निपटाया है। इसके बावजूद इस मोर्चे पर अभी काफी कुछ किया जाना शेष है। बेशक कुछ लोग रक्षा बजट में कटौती का उपदेश झाड़ते रहते हों, लेकिन बदलते वैश्विक परिदृश्य में रक्षा संबंधी सुविधाओं को पूरा करना सरकार की प्राथमिकताओं में होना चाहिए। सैनिकों को राष्ट्र सेवा व सुरक्षा के लिए जहां तक भेजा जाता है, वहां पहुंच जाते हैं। इन सैनिकों को कुछ जरूरी सुविधाएं नहीं मिलना चिंताजनक बात है। साल के बजट में रक्षा मंत्रालय पर भारी मात्रा में निवेश दिखाया जाता है, फिर आज भी सीमा क्षेत्रों पर रक्षा से संबंधित आवश्यक सुविधाओं का अभाव क्यों? भारत से लगने वाले सीमा क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत बनाने के लिए चीन बड़ी मात्रा में खर्च कर रहा है। ऐसे में भारत को भी इस विषय को गंभीरता से लेना होगा।
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