कोटला कलां में ‘जय राधे-राधे गोविंद राधे’

By: Feb 13th, 2018 12:05 am

 ऊना— जिला मुख्यालय से करीब दो किलोमीटर दूर श्रीराधा-कृष्ण मंदिर कोटला कलां में 12 दिवसीय विराट धार्मिक महासम्मेलन सोमवार को विधिवत्त संपन्न हुआ। कथा के सातवें दिन कथा ब्यास देवकीनंदन जी महाराज ने कथा का सार श्रद्धालुओं को श्रवण करवाया और भागवत कथा के पदचिन्हों पर चलते हुए इसे अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आत्मा कभी नहीं मरती  केवल शरीर मरता है। मनुष्य बार-बार इस मोह रूपी संसार में जन्म लेता है। मानव जन्म में ही इस जन्म मरण के चक्कर से छुटकारा मिल सकता है। इसलिए अगर अब मनुष्य का जन्म मिला है तो इसका लाभ उठाएं और सच्चे मन से भगवान की भक्ति करें। जिनके हृदय में प्रेम नहीं है, उन्हें भगवान श्रीकृष्ण कभी नहीं मिलते। इसलिए अपने जीवन में प्रेम लाएं। जितने भी लोग अहंकार में आकर लोगों का दमन करते हैं, उन्हें समय एक दिन ऐसी सीख देता है कि उनका स्वयं का ही दमन हो जाता है। उन्होंने कहा कि अच्छे वक्त में अभिमान न करें और बुरे समय में सब्र रखें। उन्होंने कहा कि जब तुम्हारे मन में किसी से बड़ा बनने की इच्छा हो तो कभी भी उसे गिराना मत अगर हिम्मत है तो स्वयं मेहनत करके उससे महान बनकर दिखाओ। उन्होंने कहा कि पहले मंत्र चलते थे, फिर यंत्र चलने लगे अब लोग एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए षड्यंत्र चलाने लगे हैं। किसी को गिराने के लिए कोई षड्यंत्र नहीं करना, अगर तुम दूसरों को ऊपर उठाओगे तो तुम स्वयं ऊंचा उठ जाओगे। मित्रता की परिभाषा समझाते हुए उन्होंने कहा कि सच्चा मित्र कभी भी अपने मित्र का बुरा नहीं करते और लड़कियों की सच्ची मित्र केवल उनकी मां ही है और कोई दूसरा नहीं। कथा के दौरान उन्होंने पकड़ लो बांह गिरधारी नहीं तो गिर जाएंगे…जय राधे-राधे गोविंद…गोविंद राधे… भजनों से श्रद्धालुओं का भावविभोर कर दिया। सात दिन तक चली इस कथा का आनंद ऊनावासियों के साथ-साथ देश-विदेश में बैठे हजारों श्रद्धालुओं ने यू-ट्यूब के माध्यम से भी लिया।


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