रोहतांग सुरंग से गुजरेंगे पर्यावरण के सवाल

By: Apr 30th, 2018 12:05 am

प्रवीण कुमार शर्मा

कार्यकारी निदेशक, सेंटर फार सस्टेनेबल डिवेलपमेंट, हि.प्र.

पर्यावरणीय खतरे के नाम पर लाहौल वासियों की समृद्धि, संपन्नता और विकास का गला घोंटने का अधिकार किसी को नहीं है, पर लाहौल वासियों को यह समझना होगा कि वे 10 वर्षों के पश्चात लाहौल-स्पीति को कहां देखना चाहेंगे…

अप्रतिम सौंदर्य और कौमार्य के लिए विश्व प्रसिद्ध लाहौल घाटी को शेष विश्व के साथ जोड़ने वाली 8.8 कि.मी. लंबी रोहतांग सुरंग का निर्माण कार्य इस वर्ष के अंत तक पूरा होने की संभावना है। इंजीनियरिंग की दृष्टि से इस अतुलनीय सुरंग के निर्माण को लेकर जितना उत्साह, उमंग और प्रतीक्षा लाहौल वासियों को है, शायद उतनी ही तीव्र अभिलाषा शेष हिमाचलियों को भी है। ऐसे में अटल और अर्जुन की मैत्री का प्रतीक बन चुकी इस सुरंग के निर्माण कार्य का संपन्न होना किसी स्वप्न के पूरे होने से कम नहीं होगा। केलांग और मनाली के बीच की दूरी 48 कि.मी. कम होने के साथ ही इस सुरंग के निर्माण से लाहौल घाटी छह महीनों तक शेष विश्व से कटने के दंश से तो मुक्ति पा ही लेगी और साथ में पर्यटन, बेमौसमी सब्जियों और पनविद्युत परियोजनाओं की अपार संभावनाओं के चलते लाहौल और पांगी घाटी में संपन्नता, समृद्धि और विकास की नई इबारत भी लिखी जाएगी।

सुरंग निर्माण के पश्चात मिलने वाली सुविधाओं के साथ यह भी तय है कि अब तक प्रदूषण से अंजान लाहौल की धरती को इस नए खतरे का भी सामना करना पड़ेगा। इस खतरे का सबसे गंभीर पहलू यह है कि सुरंग निर्माण के पश्चात की गतिविधियों का लाहौल के  पारिस्थितिकी संतुलन पर क्या असर पड़ेगा, इसका कोई भी वैज्ञानिक आकलन अभी तक नहीं हुआ है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में मनाली आने वाले पर्यटकों की संख्या 42 लाख के आसपास रही, जो लगभग 10 लाख गाडि़यों के साथ इस विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल में पहुंचे थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि बार-बार मनाली आ चुके पर्यटकों के नए गंतव्य स्थल लेह-लद्दाख, लाहौल-स्पीति व पांगी ही होंगे। पर्यटकों का सर्वाधिक भार लाहौल घाटी पर ही होगा और अगर हम यह मानकर चलें कि मनाली पहुंचने वाले पर्यटकों में से 50 प्रतिशत भी लाहौल घाटी की ओर रुख करते हैं, तो पर्यटकों की भारी भीड़ के साथ-साथ आगामी वर्ष ही लगभग 5 लाख डीजल और पेट्रोल गाडि़यां पर्यावरणीय दृष्टि से प्रदेश के सबसे स्वच्छ हिस्से में गंदगी फैलाने पहुंच जाएंगी। 2 वर्षों में ही केवल मात्र गाडि़यों से होने वाले प्रदूषण से पारिस्थितिकी संतुलन किस कदर बिगड़ेगा, इसकी कल्पना भी किसी भयावह स्वप्न से कम नहीं है। इसके साथ अगर अन्य परिस्थितियों पर विचार करें तो पर्यटकों को ठहराने के लिए हजारों अतिरिक्त कमरों की आवश्यकता पड़ेगी।

इस कारण जल्दी ही लाहौल घाटी में कंकरीट के नए जंगल उग आएंगे। भविष्य में पर्यटकों की आवाजाही से पनपने वाले प्रदूषण की सर्वाधिक मार लाहौल-स्पीति के शानदार ग्लेशियरों पर पड़ेगी। पहले से ही सिकुड़ रहे इन ग्लेशियरों पर प्रदूषण की मार ग्लेशियरों को तेजी से खत्म करेगी, जो न केवल पारिस्थितिकी संतुलन को खराब करेगा, बल्कि वर्ष 2010 में बादल फटने से लेह में आई भयंकर बाढ़ जैसी परिस्थितियों का भी निर्माण करेगा। इसकी कीमत अंततः लाहौल-स्पीति के वासियों को ही चुकानी पड़ेगी। देश में प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। सुरंग बनने के पश्चात भी लाहौल घाटी पारंपरिक वैभव के साथ प्रदूषण मुक्त रहे, यह संभव है, बशर्ते भविष्य में एनजीटी द्वारा थोपे जाने वाले संभावित निर्देशों के बजाय प्रदेश स्वयं कुछ ऐसे निर्णय ले, जो न केवल लाहौल को प्रदूषण मुक्त रखे, बल्कि भविष्य में संपूर्ण प्रदेश को भी राह दिखाए। प्रदूषण मुक्त लाहौल का विकास करना होगा, ताकि अन्य प्रदेशों की तरह हिमाचल को भी प्रदूषण का प्रकोप न झेलना पड़े। इस दिशा में सबसे बड़ा कदम होगा कि पर्यटकों के लिए लाहौल का आवागमन केवल इलेक्ट्रिक बसों और टैक्सियों के माध्यम से सुनिश्चित हो। गौरतलब है कि बिजली से चलने वाली बसों का खर्चा मात्र 3 रुपए प्रति किलोमीटर है, जबकि डीजल से चलने वाली बस लगभग 15 से 18 रुपए प्रति किलोमीटर खर्च करती है और इससे प्रदूषण पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है। लाहौल में पर्यटकों के लिए होटल पारंपरिक लाहौली शैली के ही बनाए जाएं और इसके साथ पर्यटकों की संख्या को भी सुनिश्चित किया जा सकता है। पर्यावरणीय खतरे के नाम पर लाहौल वासियों की समृद्धि, संपन्नता और विकास का गला घोंटने का अधिकार किसी को भी नहीं है, पर लाहौल-स्पीति वासियों को यह भी समझना होगा कि वे 10 वर्षों के पश्चात लाहौल-स्पीति को कहां देखना चाहेंगे।

हिमाचली लेखकों के लिए

लेखकों से आग्रह है कि इस स्तंभ के लिए सीमित आकार के लेख अपने परिचय तथा चित्र सहित भेजें। हिमाचल से संबंधित उन्हीं विषयों पर गौर होगा, जो तथ्यपुष्ट, अनुसंधान व अनुभव के आधार पर लिखे गए होंगे।

 -संपादक

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