सौर फेंसिंग… फिर खेती करने लगे किसान

By: Oct 13th, 2019 12:22 am

ऊना में खेती छोड़ चुके किसानों के लिए वरदान बनी मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना, बागबानों के चेहरों में खुशी की लहर

ऊना- पहले बेसहारा पशु खेती बर्बाद कर देते थे, फिर कृषि विभाग के अधिकारियों से मिले तो उन्होंने कहा कि सौर बाड़बंदी कराओ, जिससे बहुत फायदा हुआ है। ऊना जिला के नैहरी नौरंगा निवासी किसान अनिता देवी खुश होकर यह बात बताती हैं। परिवार ने 45 कनाल भूमि पर बाड़बंदी कराई है। इसी तरह मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना धुसाड़ा निवासी चार भाइयों के लिए भी वरदान साबित हुई है। परिवार में सबसे बड़े भाई गुरशाम सिंह कहते हैं कि सोलर बाड़बंदी ने खेती की तस्वीर बदल दी है। चारों भाइयों ने मिलकर 45 कनाल भूमि की सौर फेंसिंग करवाई है, जिससे अब फायदा होने लगा है। जिला ऊना में जंगली व लावारिस पशुओं के आतंक से परेशान जिला ऊना के किसानों के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना मील का पत्थर सिद्ध हो रही है। इस योजना का लाभ लेकर गगरेट ब्लॉक की ग्र्राम पंचायत बड़ोह के पावरा निवासी 116 किसान परिवार दोबारा से किसानी की राह पर चल पड़े हैं। पावरा गांव में जानवरों के आतंक के चलते पहले यह किसान खेती से मुंह मोड़ चुके थे। पावरा के कृषकों ने कृषि विभाग के सहयोग से सामूहिक तौर पर  12 हेक्टेयर भूमि पर सौर बाड़ लगाकर बाड़बंदी की, जिसके बाद वह अब यहां पर मक्की व सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। पावरा में सौर बाड़बंदी का कुल खर्च लगभग 47 लाख रुपए आया, जिसमें से सात लाख रुपए का योगदान किसानों ने किया जबकि 40 लाख रुपए उन्हें सबसिडी के तौर पर मिले। कृषि विभाग ने जिला ऊना में इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2018-19 में 109 यूनिट स्थापित किए, जिससे 91.24 हेक्टेयर भूमि को जानवरों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सका। वर्ष 2019-20 में अब तक 27 यूनिट लगाई है। इससे 47.31 हेक्टेयर भूमि पर बाड़बंदी हुई। मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना पर विभाग ने वर्ष 2018-19 में 5.25 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2019-20 में अब तक लगभग 1.92 करोड़ रुपए खर्च किए। वहीं, बाड़ को सोलर लाइट के माध्यम से संचालित किया जाता है और इसे चलाने में बिजली का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिससे पैसों की बचत होती है। सौर बाड़ में हल्का सौर आधरित करंट होता है और जैसे ही कोई जानवर तार के संपर्क में आता है तो उसे हल्का करंट लगता है, जिससे जानवर भाग जाता है। करंट हल्का होने के चलते इनसान के इसके संपर्क में आने से उसको किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता।

क्या कहते हैं लाभार्थी

सौर बाड़ लगाने की योजना का लाभ लेने वाले अंबोटा के किसान दलीप सिंह, शिवबाड़ी के रिखी राम, पंजोआ के गोंदा राम, अंब पतेहड़ के किसान सतीश कुमार, अमरेहड़ा के अनिल कुमार, बसकेहड़ के रमेश चंद, बहड़ाला के दीपक कुमार तथा हरोली के अरुण कुमार बेहद खुश हैं। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार की यह योजना लाभकारी है और जानवरों से फसल को पहुंचने वाला नुकसान कम हो गया है, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है।

क्या कहते हैं उपनिदेशक

कृषि विभाग ऊना के उपनिदेशक डा. सुरेश कूपर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश सरकार की यह योजना किसानों के बेहद लाभकारी है और जिला के किसान इस योजना का भरपूर लाभ ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसान योजना की जानकारी हासिल करने के लिए कृषि विभाग के किसी भी कार्यालय या फिर फोन नंबर 01975-226101 पर संपर्क कर सकते हैं। वहीं, विभाग समय-समय पर जागरूकता कैंप और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन भी करता है।

सामूहिक बाड़बंदी पर 85 फीसदी सबसिडी

इस योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर फेंसिंग कराने के लिए प्रदेश सरकार सबसिडी भी प्रदान करती है। अगर आवेदक तीन से कम किसान हों तो 80 प्रतिशत सबसिडी दी जाती है और अगर किसान तीन से ज्यादा संख्या में सामूहिक तौर पर आवेदन करते हैं तो 85 प्रतिशत सबसिडी का प्रावधान है। यानी किसानों को सिर्फ 15 प्रतिशत राशि ही देनी पड़ेगी।

कैसे करें योजना के लिए आवेदन

मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के अंतर्गत लाभ लेने के लिए इच्छुक किसानों को कृषि विभाग से संपर्क करना होता है। किसान से एक फार्म भरवाया जाता है तथा उसके साथ भूमि की जमाबंदी तथा नक्शा देना आवश्यक है। सभी दस्तावेजों को जमा करवाने के बाद कृषि विभाग बाड़ लगाने के लिए जरूरी प्रक्रिया आरंभ करता है।


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