झियोल में छात्रों को फ्री रेफरेंस बुक्स दे रहे समाजसेवी राजेंद्र कुमार

By: Apr 7th, 2024 10:38 pm

धर्मशाला के नजदीकी गांव में स्टूडेंट्स को मिल रही सौगात, शिक्षा के नए सत्र में ग्रामीण प्रतिभाओं को हो रही आसानी

नगर संवाददाता – गगल
अपना काम तो सभी करते हैं, लेकिन जो अनुभूति दूसरों की मदद करने में होती है, उसकी बात ही कुछ और है। कुछ ऐसे ही समाजसेवा में जुटे हैं झियोल के कारोबारी व समाजसेवी राजेंद्र कुमार। राजेद्र कुमार धर्मशाला के निकटवर्ती गांव झियोल में स्टाक्र्स स्टेशनर के नाम से बुक स्टोर चलाते हैं। वह इन दिनों जरूरतमंद होनहार छात्रों के लिए रैफरेंस बुक्स फ्री मुहैया करवा रहे हैं। मौजूदा समय प्रतिस्पर्धा का है, ऐसे में रैफरेंस बुक्स का अपना ही महत्व है। राजेंद्र ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में कई छात्रों को ऐसी किताबें नहीं मिल पाती हैं। ऐसे में वह उन्हें अपने खर्च पर ऐसी किताबें मुहैया करवा रहे हैं।

राजेंद्र शिक्षा बोर्ड से रजिस्टर्ड बुक सैलर हैं। उन्होंने बताया कि इस सत्र में नोटबुक का रेट नहीं बढ़ा है। धर्मशाला क्षेत्र की 27 पंचायतों में से कई बच्चे उनके पास रैफरेंस बुक्स की डिमांड देते हैं, जिसपर वह उन्हें किताबें व तमाम स्टेशनरी मुहैया करवाते हैं। राजेंद्र ने कहा कि वह बच्चों की मदद के लिए हमेशा तत्पर हैं। गौर रहे कि मौजूदा समय में प्रदेश भर में बोर्ड से 290 और जिला कांगड़ा में 50 के करीब रजिस्टर्ड बुक सैलर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दूसरी ओर स्कूलों में नया सत्र शुरू हो गया है। मिडल तक की कक्षाएं कई जगह शुरू हो गई हैं, जबकि जमा एक व जमा दो की कक्षाएं कुछ दिन में शुरू हो जाएंगी। दाखिले के लिए लंबी कतारें दिख रही हैं।

प्राइवेट पब्लिशर्ज के पास वैरायटी
बोर्ड की किताबों के दाम जरूर बढ़े हैं। बोर्ड की किताबें बुक सैलर को कैश पर मिलती हैं, वहीं प्राइवेट पब्लिशर्ज उधारी पर भी सामान दे देते हैं। उनके पास वैरायटी व क्वालिटी भी ठीक होती है। सिलेबस बदलने पर बोर्ड की किताबें वापस नहीं होती, जबकि प्राइवेट पब्लिशर्ज के पास वापसी का ऑप्शन होता है। रमा बुक डिपो के मालिक का कहना है कि प्राइवेट पब्लिशर्ज उन्हें किताबें स्टोर तक छोडऩे आते हैं, जबकि बोर्ड में खुद किताबें लेने जाना होता है।


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