प्रताप सिंह पटियाल

प्रताप सिंह पटियाल लेखक बिलासपुर से हैं एक वर्ष से अधिक समय तक चले इस भीषण युद्ध में 1104 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। उस रणक्षेत्र में कश्मीर को पाक सेना से मुक्त कराने के लिए हिमाचल के 43 सैनिकों की शहादत हुई थी। इनमें 12 शहीद रणबांकुरों का संबंध बिलासपुर से था। यदि आज

प्रताप सिंह पटियाल लेखक बिलासपुर से हैं हालांकि अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग’ परंपरागत कुश्ती को नई पहचान देने का प्रयास कर रही है, लेकिन देश में कुछ समय से आम लोगों से लेकर सियासत तक क्रिकेट के ग्लैमर का खुमार हावी हो चुका है जिसके आगे हमारी खेल संस्कृति का हिस्सा रहे कुश्ती, हॉकी,

प्रताप सिंह पटियाल लेखक बिलासपुर से हैं वर्षों से सितंबर महीना भारतीय सैन्य पराक्रम की अनगिनत शौर्यगाथाओं से भरा पड़ा है। 28 सितंबर 2016 की रात को भारतीय सेना के जवानों ने जान जोखिम में डालकर इसी पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक जैसे घातक हमले को अंजाम देकर कई आतंकी कैंप तबाह किए थे। 12 सितंबर

प्रताप सिंह पटियाल लेखक बिलासपुर से हैं आज भी देश के बडे़ शिक्षण संस्थानों के दीक्षांत समारोहों में काले गाउन की मौजूदगी लार्ड मैकाले की उस विदेशी परंपरा की याद दिलाती है जिसने भारतीय शिक्षा की सबसे पुरानी व विकसित व्यवस्था की रीढ़ को ध्वस्त करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। इसी कारण आज देश