स्मरण रहे प्रकृति संरक्षण का अलख जगाने वाली किंकरी देवी ने स्वीडन की ‘ग्रेटा थनबर्ग’ की तरह पर्यावरण पर एक भाषण देकर सुर्खियां नहीं बटोरी थी, मगर खनन माफिया से लडऩे के लिए पहाड़ की उस विख्यात पर्यावरणविद के पास पहाड़ जैसा हौसला व फौलादी जिगर जरूर था जिसके आगे खनन माफिया घुटने टेकने को
इससे पहले कि आस्था की नदियां प्रदूषण के अजाब से उत्तर प्रदेश की ‘कर्मनाशा’ नदी की तरह श्रापित होकर अपवित्र हो जाएं, ऋषि वाल्मीकि की ‘तमसा’ की तरह मृतप्राय: हो जाएं, अमृतमयी ‘सरस्वती’ नदी की तरह लुप्त हो जाएं, पवित्र नदियां प्रदूषण मुक्त होनी चाहिए…. सनातन संस्कृति के धार्मिक ग्रंथों, वेदों व उपनिषदों में मानव
रणभूमि हो या खेल का मैदान, सैनिक व खिलाड़ी देश का इकबाल बुलंद करने के लिए लड़ते हैं। वैश्विक खेल मानचित्र पर तिरंगा फहराकर देश का गौरव बढ़ाने वाले खिलाडिय़ों की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए… प्राचीन काल से भारत का सबसे लोकप्रिय खेल पारंपरिक कुश्ती रहा है। कुश्ती के सम्मान में हर वर्ष 23
चार युद्धों में अपनी मारक क्षमता से पाक फौज को मफलूज करने वाली भारतीय सेना पाक हुक्मरानों की हनक जमींदोज करके सुपुर्दे ढाका का इतिहास दोहराने की पूरी सलाहियत रखती है… वीरभूमि हिमाचल के सैन्य दस्तावेज का हर पन्ना पहाड़ के रणबांकुरों की दास्तान-ए-शुजात से भरा है। देश रक्षा के मोर्चे पर पहाड़ का शौर्य
जब देश की सीमाएं चीन व पाकिस्तान जैसे आतंक की हिमायत करने वाले मुल्कों से सटी हों तो राष्ट्र को सशक्त नेतृत्व क्षमता वाले सियासी रहनुमाओं की जरूरत है, अपराधियों के जमींदोज होने पर विलाप करने वालों की नहीं… देश के हजारों इंकलाबी चेहरों की लंबी जद्दोजहद के बाद बर्तानिया हुकूमत से हिंदोस्तान को आजादी
सेना के वाहन पर यह आतंकी हमला ऐसे वक्त में हुआ जब कई सियासतदान ईद के जश्न में इफ्तार पार्टियों में मशगूल थे। देश आईपीएल के खुमार में डूबा है। इसलिए सेना के पांच जवानों का बलिदान न्यूज चैनलों की सुर्खियां नहीं बना। सशस्त्र सेनाएं किसी एक राज्य या सियासी दल की नहीं होती हैं।
मौजूदा हालात के मद्देनजर महंगाई, भ्रष्टाचार व नशाखोरी जैसी समस्याओं से राह-ए-निजात तलाशने की जरूरत है। डिग्रियों पर बेवजह विलाप करने वाले सियासतदानों को समझना होगा कि देश को गुलामी की दास्तां से मुक्त कराने के लिए तख्ता-ए-दार पर झूलने वाले इंकलाबी चेहरे डिग्रीधारक नहीं थे… ‘वारांग्नेव नृपनीतिरनेकरूपा’- इस पंक्ति का उल्लेख ‘भर्तृहरि’ द्वारा रचित
देश के कृषि अर्थशास्त्र को अपने पसीने से मुन्नवर करने वाले किसानों के हितों की पैरवी के लिए सियासी नजर-ए-करम की जरूरत है। बहरहाल बेमौसम बरसात से नुकसान का आकलन करके मुआवजे का ऐलान होना चाहिए। कृषि अर्थतंत्र की मजबूत नींव किसानों की संवेदनाओं का सम्मान करना ही होगा… आमतौर पर मशविरा दिया जाता है
भारत के प्रति हिकारत भरी इस कारकर्दगी पर इन देशों की हुकूमत के लब-ए-इजहार पर खामोशी की रजामंदी का आलम कई सवाल खड़े करता है। विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत की प्रतिष्ठा से जुड़े इस मुद्दे पर इन मुल्कों को अपना नजरिया साफ करना होगा… भारत का स्वाभिमान राष्ट्रीय ध्वज शान ए तिरंगा
अत: मदिरापान के बढ़ते क्रेज पर लगाम लगाने के लिए नीति बने। सरकारों को शराब की बिक्री से प्राप्त राजस्व का मोह त्याग कर उन्नति के बेहतर आयाम हासिल करने के लिए आमदनी के अन्य विकल्प तलाशने होंगे… सभ्य समाज में मयखानों को भले ही इज्जत के नजरिए से नहीं देखा जाता हो मगर मुल्क