प्रताप सिंह पटियाल

बहरहाल भारत विरोधी तत्त्वों की हिमायत करने वाले पश्चिमी देश याद रखें कि चंदन के पेड़ों की खुशबू का शौक रखने वालों को सांपों के खतरे का अंदाजा भी होना चाहिए। दूसरों के आशियाने जलाने की हसरत रखने वालों को सचेत रहना होगा...

देश के हुक्मरानों को सैनिकों के परिवारों की भावनाओं का सम्मान करना होगा, जो अपने सीने में जज्बातों का समंदर दफन करके भी खामोश हैं। पाकिस्तान के साथ क्रिकेट डिप्लोमेसी पर विचार होना चाहिए...

भावी पीढिय़ों के सुखमय जीवन व पर्वतों के बेहतर मुस्तकबिल के लिए पहाड़ों का हमदर्द बनना होगा, ताकि देवभूमि की फिजाओं में अमन की शमां जलती रहे। प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के विकल्प तलाशने होंगे...

अवैध खनन व अतिक्रमण तथा दिशाहीन निर्माण का शिकार हो रहे पहाड़ों पर भूस्खलन स्थलों की बढ़ती तादाद के कारणों पर वैज्ञानिक मंथन की जरूरत है। बहरहाल कुदरत के आक्रोश से उपजी आपदाओं से सबक लेना होगा, अन्यथा पहाड़ों का तल्ख मिजाज पूरी कायनात के लिए जुल्मत का दौर साबित होगा...

भारतीय सेना ने पीओके में हमले को अंजाम देकर 28 अगस्त 1965 के दिन हाजीपीर को फतह करके पाक सरजमीं पर तिरंगा फहरा दिया था। मगर पाक सेना को शिकस्त देने वाली भारतीय सेना पर ताशकंद समझौता भारी पड़ गया...

परमाणु युद्ध के मंडरा रहे खतरे के मद्देनजर वैश्विक शांति के लिए महर्षि आस्तिक जैसे विद्वान व्यक्तित्व की जरूरत है जो तबाही को अंजाम दे रहे रूस-यूक्रेन जैसे विनाशक युद्ध को अपनी विद्वता, ज्ञान व कूटनीति से रोकने की क्षमता रखता हो...

कुदरत के सिद्धांतों का सम्मान पूरी अकीदत से होना चाहिए। आपदाओं से बचाव के मद्देनजर पहाड़ों को पहाड़ ही रहने दें तो बेहतर होगा। कुदरत के प्रचंड प्रहार का पैगाम समझ कर प्रकृति के प्रति

दुनिया के सबसे खूंखार युद्धों में शुमार कारगिल जंग में भारतीय सेना के 527 शूरवीरों ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर ‘आपरेशन विजय’ को अंजाम तक पहुंचाया था। कश्मीर भारत का है और रहेगा। वतन पर कुर्बान होने वाले सैनिकों का राष्ट्र सदैव ऋणी रहेगा...

अपनी गौरवशाली संस्कृति व वैदिक संस्कारों का अस्तित्व बचाने के लिए तथा विद्यार्थियों को अपने कत्र्तव्य व दायित्व का बोध कराने के लिए मौजूदा शिक्षा व्यवस्था में भारत का गौरव रही वैदिक शिक्षा का समावेश हो। गुरु-शिष्य परंपरा पर हर भारत-वासी को गर्व होना चाहिए… देवभूमि हिमाचल प्रदेश कई महान ऋषियों की तपोभूमि रहा है।

देश का गौरव बढ़ाने वाली खेल प्रतिभाओं की नजरअंदाजी खेलों के साथ उभरते खिलाडिय़ों के भविष्य के लिए भी नुकसानदायक साबित होती है। अत: शासन-प्रशासन व खेल मंत्रालय को इस विषय पर संज्ञान लेना होगा। कै. अनंत राम की खेल विरासत को सहेजने के प्रयास होने चाहिए… पेरिस के सोरबोन में 23 जून 1894 के