उमा ठाकुर, लेखिका शिमला से हैं

मैंने स्वयं ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से ऐसे परिवार देखे हैं, जिनकी एक ही बेटी है और अभिभावक उसकी परवरिश में कोई  कसर नहीं छोड़ते। जरूरत है बस थोड़ा सजग होने की। बेटी अनमोल है, उसे इतना सशक्त बनाएं ताकि वह भी आगे जीवन में सक्षम बने, अपने फैसले स्वयं ले सके, विपरीत परिस्थिति में

उमा ठाकुर लेखिका शिमला से हैं आकाशवाणी शिमला, हमीरपुर, धर्मशाला केंद्र भी स्थानीय बोलियों के संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं। पहाड़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए हिमाचल के साहित्यकार, कवि व लेखक पहाड़ी बोली में ज्यादा से ज्यादा लेखन कार्य कर विशेष योगदान दे सकते हैं। हिमाचली भाषा का