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परिणामस्वरूप सरकारी स्कूलों में केवल गरीब मजदूर के बच्चे ही पढ़ने के लिए जाते हैं और अध्यापकों को भी पता होता है कि इन बच्चों का मानसिक स्तर काफी नीचा है तथा वो इन्हें निष्ठापूर्वक पढ़ाने का कार्य नहीं करते। कई दूर-दराज में खोले गए स्कूलों का आलम तो यह होता है कि टीचर लोग

यदि हम इसी गति से टीकाकरण करते हैं तो हमें अपनी 75 प्रतिशत जनसंख्या (हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त करने हेतु आवश्यक संख्या) का टीकाकरण करने में 3 साल 6 माह लग जाएंगे। इसी बीच यदि कोई ऐसा नए स्वरूप वाला वायरस आ जाता है जिस पर यह वैक्सीन कारगर न हो, तो संक्रमण की शृांखला तोड़ना

क्या सरकार पंजाब, गुजरात आदि राज्यों की तरह उत्कृष्ट खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षकों को यहां लगातार कई वर्षों के लिए अनुबंधित कर हिमाचल प्रदेश के खिलाडि़यों को राज्य में ही प्रशिक्षण सुविधा दिला कर खेल प्रतिभा का पलायन रोक नहीं सकती है? इससे प्रदेश में खेल वातावरण बनेगा तो हर खेल प्रशिक्षक प्रेरित होकर

नदियों के साथ-साथ कई झीलें भी स्वच्छ व निर्मल हो गईं, जिनमें उदयपुर की ‘फतेहसागर’, हैदराबाद की ‘हुसैन सागर’ तथा हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की ‘खजियार’ प्रमुख हैं। देश का ताज या मुकुट कहे जाने वाले हिमालय ने भी लॉकडाउन में राहत की सांस ली। पर्यटन नहीं होने से कूड़ा-कचरा कम फैला तथा वाहनों

यह कोई मज़ाक़ नहीं है। यह एक गंभीर मुद्दा है। लेकिन हम हैं कि इसे समझने की कोशिश से भी इंकार करते हैं। विषय की गहराई में जाए बिना हम सिर्फ  कुछ उदाहरणों से प्रभावित होकर मन बना लेते हैं और फैसले ले लेते हैं। अपने संविधान और अमरीकी संविधान की तुलना में, अपने देश

कोरोना योद्धा के रूप में इन सभी ने अपना बहुत योगदान समाज को दिया। संपादक, पत्रकार अपनी संपूर्ण टीम के साथ अपनी कलम से समाज को इस बीमारी से बचाने हेतु विचारों व भावों से लड़ते रहे। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में टेलीविजन, रेडियो, इंटरनेट पर भी कोरोना का कहर दिखता रहा। मजदूरों के पलायन से लेकर

इस पत्र में डा. मनमोहन सिंह जी ने देश में कोरोना वैक्सीनेशन पर खास जोर देते हुए कहा है कि यह इस महामारी से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है। देश में कोरोना की वैक्सीनेशन की गति को और बढ़ाने और इसे विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने इस पत्र में कहा है कि वैक्सीनेशन

डा. राजेश चौहान लेखक शिमला से हैं सरकार को नई शिक्षा नीति में संगीत विषय को प्रमुखता से शामिल कर प्रदेश के सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को उनका अधिकार प्रदान करना चाहिए। आधी-अधूरी नई शिक्षा नीति यदि लागू भी कर दी जाए तो उसके दूरगामी परिणाम अपेक्षा के विपरीत ही आएंगे।

जरूरत इस बात की है कि हम अपने समग्र पर्यावरण की रक्षा करें, जिससे उत्तराखंड में जंगल का जलना, गंगा के पानी का प्रदूषित होना इत्यादि न हो। देश का पर्यावरण स्वच्छ और स्निग्ध हो ताकि देश के अमीर देश में ही रहकर अपनी पूंजी का निवेश देश में ही करने को लालायित हों और