पीके खुराना

शासन-प्रशासन में जनता की भागीदारी न होने का परिणाम यह है कि या तो अच्छे निर्णय ही नहीं होते और अगर कोई निर्णय अच्छा हो तो भी उसका कार्यान्वयन इस ढंग से होता है कि जनता को उसका लाभ नहीं मिल पाता। होना तो यह चाहिए कि प्रशासनिक अधिकारी जिस विभाग या मंत्रालय से जुड़े

मेरे एक मित्र एक कंपनी में चीफ टैक्नालॉजी आफिसर हैं। उन्हें बचपन से ही सवाल पूछने और नई बातें सीखने की शिक्षा मिली थी। नौकरी के लिए इंटरव्यू के समय उन्होंने यूं ही पूछ लिया कि वो हफ्ते में सिर्फ तीन दिन काम करना चाहते हैं, तो उन्हें सुखद आश्चर्य हुआ कि उनके नियोक्ता ने

मैं जहां हूं उससे ऊपर उठने की कोशिश में जो ज्ञान प्राप्त करूंगा, वह ज्ञान प्रगतिपरक ज्ञान है। वह ज्ञान कई गुना ऊपर उठा सकता है, मेरा जीवन ही बदल सकता है, वह ज्ञान प्रगतिपरक ज्ञान है। अब इन तीन श्रेणियों में बंटे ज्ञान में से मेरा 80 प्रतिशत समय तीसरी श्रेणी के ज्ञान, यानी

यदि किसी परिवार में पति-पत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं तो एक तनख्वाह से घर चलाना और दूसरी तनख्वाह से व्यवसाय में निवेश करना आसान हो जाता है। एक बार जब व्यवसाय से इतनी सी आय होने लगे कि आपके घर का खर्च निकलना शुरू हो गया तो वह स्थिति ‘नौकरी से मुक्ति’ का चरण है, यानी

ऐसा क्यों है कि हमारे स्कूल-कालेज हमें सिर्फ रोजग़ार के लिए तैयार करते हैं, जीवन के लिए तैयार क्यों नहीं करते? हमारे शिक्षाविद क्यों नहीं सोचते कि जीवन जीने का कोई मैन्युएल तैयार करें और बच्चों को उसकी सीख दें? माता-पिता भी बचपन से ही जीवन की अहम बातों की सीख देना क्यों नहीं शुरू

उद्यमी, टीम को प्रशिक्षित करता है, उसे सामथ्र्यवान बनाता है और उनसे काम लेता है। एक उद्यमी जानता है कि कंपनी कितनी ही बड़ी हो, कर्मचारियों का आना-जाना लगा ही रहेगा। उसे मालूम है कि कोई कर्मचारी जब तक उसका कर्मचारी रहेगा तब तक वह बेहतर काम कर सके, उसके लिए उसका प्रशिक्षित होना जरूरी

अब कोरोना के कारण फिर से सवा दो करोड़ से अधिक लोगों की नौकरी चली गई है। बहुत से व्यवसायियों के साथ भी यही हुआ है कि उनका व्यवसाय बंद हो गया है। दरअसल हम किसी संकटकालीन स्थिति के लिए तैयारी ही नहीं करते और इसी का हश्र होता है कि जब संकट आता है

तराशा हुआ हीरा देखना आनंददायक अनुभव है, लेकिन एक डायमंड कटर से पूछिए। तराशा हुआ हीरा उसके किसी काम का नहीं क्योंकि उसमें उसके करने के लिए कुछ नहीं है। वह तो एक अनगढ़ हीरा देखकर उत्साहित होता है क्योंकि वह उसे तराश सकता है। एक कुम्हार कच्ची मिट्टी को देखकर खुश होता है क्योंकि

खेलों से रिटायर होने के बाद खिलाडि़यों की दशा अक्सर बहुत शोचनीय होती है और वो मकान खाली करवाने वाले, धमकी देने वाले, पैसे वसूल करवाने वाले, सैक्योरिटी गार्ड या बहुत हद तक डेयरी चलाने वाले और प्रापर्टी डीलर बनकर जीवन गुजारते हैं। डेयरी चलाना या प्रापर्टी डीलर बन जाना तो फिर अच्छी बात है,