गलत तरीके के खान-पान के अलावा इसके और भी बहुत से कारण हो सकते हैं। डकार आना वैसे तो सामान्य क्रिया है, लेकिन इससे खुद को तो परेशानी होती ही है, दूसरों के सामने भी शर्मिंदा  होना पड़ सकता है… खाना खाने के बाद कुछ लोगों को डकार आने की परेशानी होती है। इसका कारण

किशमिश में आयरन, कैल्शियम, मैगनीशियम और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसे स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। किशमिश में प्राकृतिक शुगर भी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। किशमिश वास्तव में सूखे हुए अंगूर होते हैं। किशमिश में कैलोरीज प्रचुर मात्रा में होती है अतः इसका सेवन सीमित मात्रा में

जुहू ने अपनी एक ऋचा में कहा है जैसे बलवान राजा का राज्य सुरक्षित रहता है वैसे ही बृहस्पति की पत्नी  जुहू का सतीत्व सुरक्षित रहे। उसके आगे भी ऋचाओं में भी जुहू की सच्चरित्रता और पति के साथ एक निष्ठ होने की बात कही गई है। ऋग्वेद के अनुसार आर्यों में समान्यतया अपनी स्त्रियों

निष्काम कर्म और ज्ञान मार्ग इसलिए शास्त्रों का उपदेश यह है कि इस संसार के पदार्थों में अधिक ममता रखने और स्त्री, पुत्र, संपत्ति, घर, भूमि आदि की प्राप्ति और रक्षा में ही संलग्न रहने से मनुष्य को कभी सच्चा सुख नहीं मिल सकता। ये पदार्थ जितना सुख देते हैं, उससे अधिक दुख का कारण

यह देखकर विष्णु भगवान ने अकेले ही दोनों हाथों से शेष के दोनों कोने पकड़ कर विलोना शुरू किया तुंरत ही समुद्र में से एक-एक करके सारे रत्न बाहर आने लगे। लक्ष्मी, पारजात नामक वृक्ष, कौस्तुभ मणि, मदिरा, धन्वंतरि वैद्य, चंद्रमा, कामधेनु गाय, ऐरावत हाथी, रंभा आदि अप्सरा सात मुख वाला घोड़ा… मंथन के कारण

15 जनवरी रविवार, माघ, कृष्णपक्ष,  तृतीया श्री गणेश संकष्ट चतुर्थी व्रत 16 जनवरी सोमवार, माघ, कृष्णपक्ष, चतुर्थी 17 जनवरी मंगलवार, माघ, कृष्णपक्ष, पंचमी 18 जनवरी बुधवार,  माघ, कृष्णपक्ष षष्ठी, शीतला षष्ठी 19 जनवरी बृहस्पतिवार, माघ, कृष्णपक्ष सप्तमी 20 जनवरी शुक्रवार, माघ, कृष्णपक्ष अष्टमी 21 जनवरी शनिवार, माघ, कृष्णपक्ष नवमी

आपका नेक पुत्र श्री राम, जोकि अत्यंत शक्तिवान हैं और जिसने राजगद्दी का त्याग कर वन की और प्रस्थान कर दिया है,  ऐसा करके उसने अपने उच्च कुल के पिता को सच्चा साबित कर दिया है। वह नेकी के उस रास्ते पर चलने के लिए कटिबद्ध है,जिसे सुसंकृत लोगों नें हमेशा सही माना है और

जो भी व्यक्ति धर्म-मार्ग को छोड़कर विपरीत मार्ग पर चलता है,वेदज्ञ विद्वानों का कथन है कि  उसका विनाश निश्चित हो जाता है। आपके नगर में हो रहे उत्पात इसी विनाश के सूचक लक्षण हैं। भगवान शंकर सभी देवों के श्रेष्ठ अंशों द्वारा निर्मित रथ पर आरुढ़ होकर आपके इस त्रिपुर के विध्वंस और दानवों के

स्वामी रामस्वरूप प्रथम तीन अवस्थाओं में योग की शिक्षा अथवा विद्या नहीं दी जा सकती क्योंकि चित्त की यही तीन अवस्थाएं मुख्यतः सांसारिक विषयों अर्थात माया में लिप्त रहती हैं। रजोगुण युक्त संसारी पदार्थों में भटकता चित्त क्षिप्त अवस्था में, तमोगुणी पुरुषार्थहीन मूढ़ अवस्था में तथा सांसारिक इच्छाएं पूर्ण न होने पर जो विक्षेप होता