मैगजीन

स्वामी रामस्वरूप गतांक से आगे… तीसरी बात श्रीकृष्ण महाराज यहां यह कह रहे हैं कि हे अर्जुन ! मेरे योग ऐश्वर्य को देख। ‘ईश ऐश्वर्य’ से हटकर शब्द बनता है। ईश्वर में ऐश्वर्य है। ईश्वर मेें सत्य, विचारशली अनंत ज्ञान और अनंत ऐश्वर्य है। जब योगी सिद्धि को प्राप्त करता है, तब उस योगी का

ओशो हम दान कर्मों को धर्म और अध्यात्म का महत्त्वपूर्ण हिस्सा समझते हैं। आम मान्यता है कि दान करना पुण्य कमाने का आसान तरीका है और इससे हमारे पाप कार्य कम हो जाते हैं। अगर कोई अपना सर्वस्व लुटा देता है तो हम उसे पुण्यात्मा समझते हैं और एक धार्मिक संत के रूप में उसकी

ऋषि मैत्रेय महाभारत कालीन एक महान ऋषि थे। ये महर्षि पराशर के प्रिय शिष्य और उनके पुत्र वेदव्यास के कृपा पात्र थे। इन्होंने ही दुर्योधन को श्राप दिया था, जिससे उसकी मृत्यु भीमसेन के हाथों हुई। इनका नाम इनकी माता मित्रा के नाम पर पड़ा और इन्हें अपने पिता कुषरव के कारण कौषारन भी कहा

गतांक से आगे… हनुमान पहले से ही देवी सीता के अपहरण के कारण रावण से रूष्ट थे। उन्होंने सोचा कि इस दुष्ट के कारण क्यों श्रीराम भटकते रहे। इससे तो अच्छा कि आज अपने प्रहार से वे उसका वध ही कर दें और माता सीता को ले जाकर श्रीराम को सौंप दें। ये सोच कर

गुरुओं, अवतारों, पैगंबरों, ऐतिहासिक पात्रों तथा कांगड़ा ब्राइड जैसे कलात्मक चित्रों के रचयिता सोभा सिंह पर लेखक डा. कुलवंत सिंह खोखर द्वारा लिखी किताब ‘सोल एंड प्रिंसिपल्स’ कई सामाजिक पहलुओं को उद्घाटित करती है। अंग्रेजी में लिखी इस किताब के अनुवाद क्रम में आज पेश हैं ‘बुद्धिमता’ पर उनके विचार… -गतांक से आगे… प्रश्न सदैव

भारत के प्रधानमंत्री बनने के महज 2 साल बाद दूसरे देश में लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मौत होना देश के लिए एक दुर्भाग्य था और सबसे बड़ा रहस्य भी। सन् 1966 में ताशकंद में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हुई। नीले धब्बे और कटने के निशान उनके शरीर पर थे, पर न

श्रीराम शर्मा एकाग्रता की उपयोगिता और क्षमता से सभी परिचित हैं। साहित्यकार, कलाकार, वैज्ञानिक,अभिनेता, शिल्पी, व्यापारी अपनी कल्पना शक्ति को एकाग्र करके उससे संभावनाओं का विवेचन, विश्लेषण करते हैं और आवश्यक काट-छांट के उपरांत किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, किसी निर्धारण को अपनाते हैं। प्रायः सभी बुद्धिजीवियों को यही करना पड़ता है। आर्किटेक्ट इमारतों के

जिस प्रकार भाप एक ही है, पर हवा के संयोग से उससे सैकड़ों तरह की आकृतियां बनती-बिगड़ती रहती हैं, उसी प्रकार सैकड़ों तरह के शरीर बनते-बिगड़ते रहने के बावजूद चेतना का प्रवाह अनंत और अखंड है… -गतांक से आगे… इसी चेतन वाले अंश में पाए जाने वाले संस्कार सूत्र (जीन्स) अमर हैं, यह वैज्ञानिक भी

जेन कहानियां एक शिष्य ने जेन गुरु गासन से पूछा, क्या आपने ईसाईयों की बाइबल को भी पढ़ा है? ‘नहीं, तुम मुझे पढ़ कर सुनाओ। गासन ने कहा। शिष्य बाइबल खोज कर सैंट मैथ्यू के अध्याय का अंश पढ़ने लगा और तुम कपड़ों के बारे में क्या सोचते हो? खेत में इन लिलि के फूलों