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हिमाचल  प्रदेश के हर गांव और हर पहाड़ी  पर कोई न कोई मंदिर अवश्य है इसलिए  इसे देवभूमि का अलंकार  हासिल  है। लोगों  की  देवी- देवताओं के प्रति अथाह  श्रद्धा, आस्था और विश्वास है। कहीं शिवालय हैं,  तो कहीं  देवियों के मंदिर।  कहीं सिद्ध मंदिर  हैं , तो कहीं हनुमान के। प्रदेश  की राजधानी शिमला

गतांक से आगे… ये देवमूर्तियां हैं शिव, विष्णु, गणेश, दुर्गा और सूर्य। इनमें प्रधान बितान केंद्रित मंदिर के ढके बरामदे से जुड़े रहते हैं। इनमें आगे मंडप होता है और ऊपर शिखर पर आमलक। इनके मध्य के प्रधान मंदिर का शिखर उत्तुंग होता है। बातल का शिवलिंग भी इसी शैली का सुंदर लघु नमूना है,

बाबा हरदेव जागरण से क्रांति पैदा होती है। जैसा कि बताया गया है, जब हम पूर्ण सद्गुरु की कृपा से जाग जाते हैं, तो हम अपने जीवन के लक्ष्य तथा संसार के सत्य-असत्य के प्रति चेतन अथवा जागरूक हो जाते हैं। सारे जगत में अधिकतर दो प्रकार के लोग हैं, दो तरह की चित्त अवस्थाएं

इसके उपरांत मैं तुम सभी को अति दृढ़ ऐसे उत्तम निवास स्थान का निर्माण करके देता हूं, इससे तुमको बाहर के किसी प्रकार के आक्रमण की चिंता न रहेगी। इस प्रकार के सांत्वना देने वाले बचन कह कर प्रभु ने सब देवताओं का मन प्रसन्न किया। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा ने सर्वप्रथम तीन बड़े देवों

श्रीश्री रवि शंकर गणेश दिव्यता की निराकार शक्ति हैं, जिनको भक्तों के लाभ के लिए एक शानदार रूप में प्रकट किया गया है। गण यानी समूह। ब्रह्मांड परमाणुओं और विभिन्न ऊर्जाओं का एक समूह है। इन विभिन्न ऊर्जा समूहों के ऊपर यदि कोई सर्वोपरि नियम न बन कर रहे, तो यह ब्रह्मांड अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

भारतस्यास्य वर्षस्य नवभेद्राग्निशामय। इंद्रद्वीपः कसेरुश्चताम्रपर्णो गर्भास्तमान। नागद्वीपस्तथा सोम्यौ गंधर्वस्त्वथ वारुणः। अथ तु नवमस्तेषां द्वीपः सागरसंवृत्तः। योजनानां सहस्र तु द्वीपोऽतु दक्षिणोत्तरात। पर्वकिराता यस्यांते पश्चिमे यवनाः स्थिताः। ब्राह्मणाः क्षत्रिया वैश्या मध्ये शूद्राश्च भागशः। इज्यायुधवणिज्याद्यैर्वेर्तयंतो व्यवस्थिताः। शतद्रू चन्प्रभागाद्या हिमवत्पादनिर्गताः। वेदस्मृतिमुखाद्याश्च परियात्रो दभवा मुने। नर्मदा सुरमाद्यश्च नद्यो विंध्याद्रिनिर्गता। तापीयोष्णानिर्विन्ध्याप्रमुखा ऋक्षसंभवाः। गोदावरी भीमरथी कृष्णवेण्यादिकास्तथा। सह्यपादोभवा नद्यः स्मृताः पापभायापहाः। कृतमाला ताम्रपूर्णीप्रमुखा

स्वामी रामस्वरूप गतांक से आगे… तीसरी बात श्रीकृष्ण महाराज यहां यह कह रहे हैं कि हे अर्जुन ! मेरे योग ऐश्वर्य को देख। ‘ईश ऐश्वर्य’ से हटकर शब्द बनता है। ईश्वर में ऐश्वर्य है। ईश्वर मेें सत्य, विचारशली अनंत ज्ञान और अनंत ऐश्वर्य है। जब योगी सिद्धि को प्राप्त करता है, तब उस योगी का

ओशो हम दान कर्मों को धर्म और अध्यात्म का महत्त्वपूर्ण हिस्सा समझते हैं। आम मान्यता है कि दान करना पुण्य कमाने का आसान तरीका है और इससे हमारे पाप कार्य कम हो जाते हैं। अगर कोई अपना सर्वस्व लुटा देता है तो हम उसे पुण्यात्मा समझते हैं और एक धार्मिक संत के रूप में उसकी

ऋषि मैत्रेय महाभारत कालीन एक महान ऋषि थे। ये महर्षि पराशर के प्रिय शिष्य और उनके पुत्र वेदव्यास के कृपा पात्र थे। इन्होंने ही दुर्योधन को श्राप दिया था, जिससे उसकी मृत्यु भीमसेन के हाथों हुई। इनका नाम इनकी माता मित्रा के नाम पर पड़ा और इन्हें अपने पिता कुषरव के कारण कौषारन भी कहा