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 देवी-देवता की यात्रा की शोभा भी लोकनृत्य मंे है। नृत्य की प्रगति के साथ-साथ अन्य लोग भी नृत्य में शामिल होते जाते हैं। पंगवाल प्रायः सामूहिक नृत्य ही नाचते हैं। अकेला नृत्य का रिवाज नहीं है। स्त्री-पुरुष अलग-अलग नाचते हैं। पुरुष दिन में अधिक नाचते हैं और स्त्रियां सायं ढलने के बाद नाचना पसंद करती

रानी के इस बलिदान की स्मृति में राजा साहिल वर्मन ने नगर से ऊपर कूहल के किनारे समाधि बनाई। यहां पर उसकी याद में प्रतिवर्ष एक मेला 15 चैत्र से पहली वैशाख तक लगता है, जिसे ‘सूई मेला’ कहते हैं। इस मेले में केवल स्त्रियां और बच्चे ही जाते हैं  … गतांक से आगे …

हम सब गाय का दूध पीकर बड़े हुए हैं। पर हमने पहली बार यह कब पिया। कई माताएं अपने बच्चे का परिचय गाय के दूध से करवा देती हैं। पर सवाल यह उठता है कि  बच्चों को अपने पहले जन्मदिन से पहले गाय का दूध नहीं देना चाहिए। यह ऐसी चीज है जिससे सारे एक्सपर्ट

गतांक से आगे … संसद के काम आजकल की संसद का काम केवल कानून अथवा विधान बनाना नहीं है वर्तमान युग में इस संस्था के अब अनेक कृत्य हो गए हंै। यह विभिन्न भूमिकाएं निभाती हैं। जिनमें अनेक परस्पर संबद्ध हैं यहां तक की उनमें भेद  करना कठिन हो जाता है। पंरतु यह तथ्य प्रायः

गुप्त नवरात्र हिंदू धर्म में उसी प्रकार मान्य हैं, जिस प्रकार शारदीय और चैत्र नवरात्र। आषाढ़ और माघ माह के नवरात्रों को गुप्त नवरात्र कह कर पुकारा जाता है। बहुत कम लोगों को ही इसके ज्ञान या छिपे हुए होने के कारण इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्र मनाने और इनकी साधना का

कुल्लू-मनाली घाटी जो अपनी लोकप्रिय परंपराओं और संस्कृति के लिए जानी जाती है, वहीं यह घाटी देवभूमि तथा ऋषि-मुनियों की तपोस्थली के रूप में भी जानी जाती है। यहां देवी-देवताओं के कई प्राचीन मंदिर हैं तथा भृगु, वशिष्ठ, कार्तिक, शृंगी पराशर जैसे ऋषियों के तपस्थल हैं। जिन्होंने यहां हजारों वर्षों तक तपस्या करके ख्याति प्राप्त

चारों ओर से विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं और वनों से घिरे चित्रकूट को अनेक आश्चर्याें की पहाड़ी कहा जाता है। मंदाकिनी नदी के किनारे पर बने अनेक घाट और मंदिरों में पूरा साल श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। माना जाता है कि चित्रकूट में भगवान राम ने अपने वनवास के चौदह वर्षों में से ग्यारह

भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में चक्कर लगा रहे थे। इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का बायां गाल इस स्थान पर गिरा था… गोदावरी तीर शक्ति पीठ या सर्वशैल प्रसिद्ध शक्ति