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गांववासियों की कोशिश से अब यह भारत का पहला ‘धरोहर गांव’ कहलाता है। मुगल काल के दौरान अत्याचारों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली राजकुमारी ‘पराग’ के नाम पर इस गांव का नामकरण हुआ… गतांक से आगे … पिन घाटी पिन घाटी का निर्माण पिन नदी द्वारा हुआ है, जिसका उद्गम पिन पार्वती दर्रे की

यह लोक नृत्य बौद्ध लामाओं की तांत्रिक नृत्य पद्धति है। लोक  विश्वास  के अनुसार प्रसिद्ध बौद्ध लामा पल्दन ईश ने इस लोकनृत्य की परंपरा आरंभ की थी। इस लोक नृत्य का आयोजन मानव जाति के उत्थान और दुरात्मा को भगाने के लिए किया जाता है। इसका आरंभ बौद्ध मंत्रों और प्रार्थना से किया जाता है…

एक गुफा में बतीस चोर, दिन भर करते काम, रात को करते आराम, कोई बताएगा इनका नाम। **** लाल मकान के बाहर हरा चोर, लाल मकान के अंदर काला शैतान, गर्मी में दिखता, सर्दी में गायब हो जाता। *** मुझमें न बीज न गुठली, छिलका उतार के खा लो, तो बताओ मेरा नाम। *** अजब

बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक बूढ़ी औरत मारिया अपने पोते जॉर्ज के साथ रहती थी। उसने अपने बागीचे में कई प्रकार के फूल लगाकर अपना बागीचा सुंदर तैयार किया था। और एक तालाब भी बनाया था जिसमें हल्के लाल और सफेद रंग के फूल खिलते थे। दादी दिन भर अपने

टीचर :  बंटू तू खड़ा हो, मैं जो भी पूछूं फटाफट जवाब देना बंटू : ठीक है मैम टीचर : हमारा राष्ट्रीय पशु कौन है । बंटू : फटाफट बस हो गई पप्पू की धुनाई। * * * बच्चो मैं आज  तुम्हारा टेस्ट लूंगी टीचर : बंटू, कबीर दास का एक दोहा सुनाओ। बंटू :

दोस्तों जब भी कहीं आ लग जाती है तो आग बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल किया जाता है। आग बुझाने वाले फायर ब्रिगेड कर्मी भी पानी द्वारा ही आग बुझाते हैं। अब सवाल यह है कि पानी आग कैसे बुझा देता है। पानी द्वारा आग बुझाने की क्रिया को समझने से पहले यह जानना

हिमाचल के अन्य कांग्रेस नेताओं ने प्रदेश तथा दिल्ली में हिमाचल प्रदेश में लोकप्रिय सरकार की व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार से संवैधानिक संघर्ष किया। अंततः केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को ‘पार्ट सी स्टेट’ (ग श्रेणी का राज्य) का दर्जा देकर इसके लिए विधानसभा का प्रावधान किया … गतांक से आगे … हिमाचल: पूर्ण

गतांक से आगे … प्रतिनिधित्व करना, शिकायतें व्यक्त करना, शिक्षित करना तथा मंत्रणा देना संसद सदस्यों की भूमिका के बारे में उनके अपने विचारों का अध्ययन करना, अथवा इस बात की जांच करना दिलचस्प बात होगी  कि  संसद सदस्य स्वयं क्या सोचते हैं कि उनकी उचित भूमिका क्या होनी चाहिए और यह भी कि क्या संसद