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काले वन की रानी है,  लाल पानी पीती है **** अपनों के घर ही ये जाए,  तीन अक्षर का नाम बताए , शुरू के दो अति हो जाए,  अंतिम दो से तिथि बताए। **** बीमार नहीं रहती फिर भी खाती है गोली। बच्चे बूढ़े डर जाते सुनकर इसकी बोली। **** एक पहेली मैं बुझाऊं। सिरको

एग्रीकल्चर साइंस में बैचलर डिग्री या इस में हायर स्टडी के बाद करियर का क्या स्कोप है? — अशोक कुमार, बैजनाथ कृषि विज्ञान की पढ़ाई के बाद बतौर कृषि वैज्ञानिक देश के विशाल कृषि अनुसंधान नेटवर्क से जुड़े सरकारी और निजी संस्थानों में आकर्षक वेतनमानों पर नियुक्तियां मिल सकती हैं। कृषि विश्वविद्यालयों में टीचिंग को

 कई ऐसे पुरुष हैं जो कुछ हटके करने की चाहत रखते हैं।  हर क्षेत्र में हिमाचली पुरुष कामयाबी का फलसफा लिख रहे हैं। वर्ष 2018 में भी उनका यह सफर जारी रहा। इस बार के अंक में हम आपको मिला रहे हैं, ऐसे  हिमाचल के गौरव से, जिन्होंने अपने दम पर लीक से हटकर काम

जरा सा मुस्करा देने न्यू ईयर से पहले हर एक गम को भूला देना न्यू ईयर से पहले। न सोचो कि किस- किस ने दिल दुखाया है। सबको माफ कर देना न्यू ईयर से पहले। हैप्पी न्यू ईयर। *** जिसका दिल टूट जाता है उसका जीके कमजोर होता है। क्योंकि जब दिल ही टूट गया

प्रदेश के विकास कार्य तथा वित्त व अर्थव्यवस्था जैसे मामलों में इसकी कोई पूछ नहीं थी। लोग इस प्रशासकीय प्रणाली से संतुष्ट नहीं थे। अतः प्रजातंत्र की पुनः प्राप्ति के लिए उन्होंने अपना शांतिमय संघर्ष चालू रखा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भारत के गृहमंत्री को इस बारे में एक ज्ञापन दिया … गतांक से आगे

जिस तरह हर आदमी में कोई न कोई अच्छाई होती है। उसी तरह हर व्यक्ति में कई बुरी आदत होती है। कई बुरी आदतें हमारी समय के साथ छुट जाती है, तो वही कुछ नई बुरी आदतें वक्त के साथ हमारे साथ जुड़ जाती है। इस नए साल पर अब यह संकल्प लें की इस

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार एक बार तीनों देवियों पार्वती, लक्ष्मी तथा सावित्री को अपने पतिव्रत धर्म पर बहुत घमंड होने लगा। देवर्षि नारद को जब उनके घमंड के बारे में पता चला तो वह उनका घमंड चूर करने के लिए बारी-बारी से तीनों देवियों के पास पहुंचे। सर्वप्रथम नारद जी पार्वती के पास पहुंचे और

अन्नपूर्णा जयंती भारतीय संस्कृति में मान्य मुख्य जयंतियों में से एक है। हिंदू धर्म में इस जयंती का विशेष महत्त्व है। अन्नपूर्णा जयंती पर खास तौर से घर में चूल्हे और रसोई गैस आदि का पूजन किया जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन रसोई आदि का पूजन करने से घर में कभी

देवभूमि हिमाचल में समय-समय पर परंपरा के अनुसार देवयात्राओं और धार्मिक उत्सवों का आयोजन किया जाता है। इसी कड़ी में भोले नाथ के दर्शन को समर्पित मणिमहेश झील पर हर साल हजारों की तादाद में श्रद्धालु उमड़ते हैं। कहा जाता है कि चंबा जनपद के भरमौर जनजातीय क्षेत्र से 13 किलोमीटर दूर हड़सर से करीब