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* जब कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य के लिए सब कुछ दांव पर लगाने के लिए तैयार है, तो उसका जीतना सुनिश्चित है * अगर आप सफल होना चाहते हो, तो आपको अपने काम में एकाग्रता लानी होगी * हम अपना भविष्य नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी आदतें बदली जा सकती हैं और निश्चित रूप से

बाबा हरदेव गतांक से आगे.. जिन व्यक्तियों का स्वभाव झगड़ालू है, क्रोधी है, मानने वाले नहीं हैं, उन पर आप क्रोध न करें। निरंकार प्रभु से उनका भला मांगें। जहां तक हो सके उनका भला करें। आप अपने मन पर बोझ न डालें और अपने आपको परेशान न करें। गुरसिख तो सद्गुरु के चरणों में

सद्गुरु जग्गी वासुदेव बुद्धि जीवन के टुकड़ों को जान सकती है, भक्ति जीवन की पूर्णता को जान सकती है। जीवन के अनुभव और संपूर्ण जीवन के बोध के संदर्भ में, एक भक्त जो जानता है, उसे एक बौद्धिक इंसान कभी नहीं छुएगा। लोग भक्ति को ऐसी चीज समझते हैं जिसे वे विकसित करते हैं। विकसित

बढ़े हुए टांसिल्स के कारण आपको खाने-पीने में तकलीफ होने लगती है। जहां छोटे टांसिल्स बहुत ज्यादा तकलीफ नहीं देते, वहीं दूसरी ओर बढ़े हुए टांसिल्स के कारण खाने-पीने की चीजें निगलने में भी परेशानी होने लगती है। इसके कारण आपको बार-बार साइनस और कान में इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है… टांसिल्स होने पर

डा. भारती तनेजा ब्यूटी से संबंधित प्रश्र आप सीधे पूछ सकते हैं। वॉट्सऐप: 2v2353657  Email : bt@bhartitaneja.com मेरी स्किन मुझे हमेशा ड्राई लगती है ,मगर जैसे ही मैं कोई क्रीम या तेल लगाती हूं तो मेरा रंग काला हो जाता है। मुझे समझ नहीं आता कि मैं ऐसा क्या लगाऊं जिससे मेरा रंग भी काला

श्रीराम शर्मा योग कहते हैं जोडऩे को, दो और दो मिलकर चार होते हैं। यह योग है । आत्मा और परमात्मा में एकता स्थापित करना योग का उद्देश्य है। सामान्यतया दोनों के बीच भारी मनमुटाव और मतभेद रहता है। एक दूसरे की उपेक्षा भी करते हैं और रुष्ट भी रहते हैं। ईश्वर चाहता है कि

होली में आप सब कुछ भूलकर मस्ती के रंग में डूब जाते हैं, लेकिन होली में थोड़ी सी भी असावधानी आपकी सेहत के लिए भारी पड़ सकती है। कहीं यह मस्ती आपके लिए परेशानी का सबब न बन जाए, इसलिए अपनी सेहत का रखें खास ख्याल। इस आधुनिक युग की होली में प्रयोग किए जाने

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… अगर आप मेरे एक अनुरोध को स्वीकार कर लें। आप पैदल तीर्थ यात्रा मत कीजिए। कोचीन राज्य के दीवानजी आपकी श्री रामेश्वर तक जाने की पूर्ण व्यवस्था कर देंगे। स्वामी जी कोचीन की राजधानी त्रिचुर में कुछ दिन तक आराम करके मालावार से होकर त्रिवेंद्रम पहुंचे। त्रावणकोर महाराजा के भतीजे

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 उपरोक्त शीर्षक के अंर्तगत इस तथ्य को समझने के लिए कि क्यों त्योहारों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव धर्म को पीछे छोड़ रहा है, पूर्व के त्योहारों को मनाने और आज के त्योहारों को मनाने के तौर तरीकों और रस्मों रिवाजों के अंतर को समझना जरूरी है। साथ