कम्पीटीशन रिव्यू

तहसील रामपुर के ‘गौरा’ तथा ‘धार क्षेत्र’ में कुछ हरिजन बेठुओं ने अपने अधिकारों के विषय को लेकर एक आंदोलन चलाया, जिसमें रियासत की पुलिस को बंदूक चलानी पड़ी और कुछ व्यक्ति घायल भी हो गए। आंदोलनकारियों ने पुलिस तथा अन्य रियासती कर्मचारियों को, जो मौके पर आंदोलन को नियंत्रण में लाने के लिए पहुंचे

परिदों की तरह अंबर में उड़ना है, हर ऊंचाई के दौर को याद करना है। गहराईयों से ऊंचाईयों तक, आगाज इक ऐसा करना है। लहरों से लड़ने के लिए छोर से संमदर की ओर बढ़ने के लिए आज लक्ष्य प्राप्ति  के मार्ग पर, तैयार रह कुछ भी समर्पित करने के लिए। नई उम्मीदें नया आगाज

बड़े पर्यावरण मुद्दे जैसे भोजन की बर्बादी और नुकसान, वनों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना इत्यादि को बताने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस वार्षिक उत्सव को मनाने की शुरुआत की गई थी। पूरे विश्वभर में अभियान में प्रभाव लाने के लिए वर्ष के खास थीम और नारे के अनुसार हर वर्ष के उत्सव की

पति पौधों को पानी दे रहा था। पत्नी आई और बोली कि मैंने तुम्हारे फोन में कुछ देखा है। पौधों को पानी पिला दो, फिर तुमसे कुछ बात करनी है। 2 दिन हो गए पति पानी का पाइप ही नहीं छोड़ रहा। **** गर्लफ्रेंड : मेला बाबू, मेला बेबी, मेला स्वीटू, मेले से शादी कलेगा।

बिना चोंच, पैर, पंख की चिडि़या धागे को लेकर चल दी डोल रही है आकाश में आएगी नहीं जल्दी । **** उठक बैठक हिरण की चाल बताओ वह कौन पहलवान **** बेशक न हो हाथ में हाथ पर जीती है वह आपके साथ बताओ कौन है हमारे साथ **** कई कपड़ों के पार हुई एक

विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा सकारात्मक पर्यावरण कार्य हेतु दुनिया भर में मनाया जाने वाला  सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टाकहोम स्वीडन में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक

सभी बच्चों की प्रकृति एक जैसी नहीं होती ,इसलिए बच्चों के सीखने के तौर-तरीकों में अंतर होता है। कुछ बच्चे किसी बात को देखकर ही सीख जाते हैं, तो कुछ बच्चे उस बात को स्वयं संपादित कर सीखते हैं। बच्चे का सबसे पहला विद्यालय उसका घर और सबसे पहले गुरु उसके माता-पिता होते हैं। शिशु

माघी उत्स्व ऊपरी शिमला, गिरिपार के हाटी कबीले तथा उत्तर प्रदेश के ‘बाबर-जौंसार’ जनजातीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। ‘उतरांदी त्योहार’  के लिए पूरे वर्ष से तैयारी होती है। लोहड़ी (उतरांटी) के दिन प्रातः लगभग नौ बजे से ही गांव के लोग इकट्ठे होकर ‘भातियोज’ अर्थात बकरे काटने शुरू कर देते हैं। यह परंपरा वर्षों

ब्यास वेदों में ‘ आर्जिकिया’ और संस्कृत में  वाड्मय में ‘विपाशा’ के नाम से वर्णित है। यह हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध नदी है जो पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला से रोहतांग के समीप ब्यासकुंड से निकलती है। ब्यास नदी के दो स्रोत हैं- ब्यास रिखी और ब्यास कुंड… गतांक से आगे …            ब्यास वेदों  में ‘