कम्पीटीशन रिव्यू

अभिनय और गायन की प्रतिभा के साथ-साथ लेजेंडरी डीजे और म्यूजिक कम्पोजर डीजे शेजवुड और दीपशिखा नागपाल का नया गाना ‘कभी आर कभी प्यार’ को आप सभी को सहज बनाने की प्रेरणा देते हैं।  इस गाने के इवेंट के दौरान मुख्य मेहमान उपस्थित रहे थे सुशांत, किरण जुनेजा, कंचन अधारी, अनुज सचदेवा, माधुरी पांडे, अविनाश

अभिनेत्री रिचा चड्ढा ने इस साल की शुरुआत में बहुप्रतीक्षित कोर्ट रूम ड्रामा फिल्म ‘सेक्शन 375’ की शूटिंग शुरू की थी, उन्होंने आखिरकार मुंबई में शूटिंग पूरी कर ली है। रिचा प्रतिभाशाली अभिनेता अक्षय खन्ना के साथ स्क्रीन स्पेस साझा करते हुए दिखाई देंगी। दोनों मुख्य कलाकार अजय बहल द्वारा निर्देशित फिल्म में एक वकील

बलविंदर संधू ने अभिनेता निशांत दहिया का चयन किया और जैसे ही उन्होंने पहली गेंद फेंकी, उनका चयन कर लिया गया। निशांत दहिया जो केदारनाथ में आखिरी बार देखे गए था, वह महान ऑलराउंडर रोजर बिन्नी का किरदार निभाएंगे। अभिनेता फिल्म के विश्व कप विजेता टीम का एक अभिन्न हिस्सा होंगे। रोजर बिन्नी एक आल

नदियों द्वारा हिमाचल प्रदेश को गंगा और सिंधु के मैदानों तक पानी उपलब्ध कराने का श्रेय  प्राप्त है। हिमाचल प्रदेश में असंख्य ही नदियां और नाले हैं, जिनमें  सारा वर्ष अथाह जल राशि  रहती है, परंतु इनमें पांच नदियां ऐसी हैं जिनका सारे देश के भूगोल, संस्कृति और इतिहास  से संबंध जुड़ा है… गतांक से

राज सिंह को इससे भय हो गया और उसने अकलू को बंदी बना लिया। इस बात का पता जब रणजीत देव को लगा तो उसने इसे अपना अपमान समझा। इस अपमान का बदला लेने के लिए रणजीत देव ने बशोहली के मुखिया अमृत पाल को चंबा पर आक्रमण करने के लिए भेजा। उस समय राज

मन्ना डे जन्म दिवस 1 मई जन्म नाम : प्रबोध चंद्र डे जन्म : 1 मई 1919 कलकत्ता, ब्रिटिश भारत मृत्यु : 24 अक्तूबर, 2013 मन्ना डे यानी  मन्ना दा फिल्म जगत के एक सुप्रसिद्ध भारतीय पार्श्व गायक थे। उनका वास्तविक नाम प्रबोध चंद्र डे था। मन्ना दा का जन्म 1 मई, 1919 को हुआ

+2 मेडिकल में की है, आगे क्या करूं ? राधिका , ऊना नैनो टेक्नोलॉजी : 12वीं के बाद नैनो टेक्नोलॉजी में बीएससी या बीटेक और उसके बाद इसी सब्जेक्ट में एमएससी या एमटेक करके इस क्षेत्र में शानदार करियर बनाया जा सकता है। स्पेस साइंस : इसमें 3 साल की बीएससी और 4 साल के

विश्व अस्थमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में घोषित किया गया है। अस्थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां अपनानी पड़ती हैं। अस्थमा के मरीजों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। अपने स्वास्थ्य को समझकर, अस्थमा या दमा के मरीज भी मौसम का मजा ले सकते हैं।

चालीस पार करने के बाद बहुत तकलीफ  होती है। कुछ अच्छा नहीं लगता। तीस पर थे तब कितना अच्छा लगता था, कितना उत्साह था जिंदगी में कभी भी कहीं भी जा सकते थे, अब बाहर निकलने का मन ही नहीं करता। बीस पर थे तब तो बात ही कुछ और थी, कितना भी काम कर