आस्था

दस महाविद्याओं में छिन्नमस्तिका माता छठी महाविद्या कहलाती है। इस वर्ष देवी छिन्नमस्तिका जयंती 11 मई के दिन मनाई जाएगी। यह जयंती भारत वर्ष में धूमधाम के साथ मनाई जाती है।

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। यह सदियों पुरानी परंपराओं और संस्कृतियों का घर है, जिन्हें पूरी दुनिया मानती है और यही बात भारत को अद्वितीय और शानदार बनाती है। हर त्योहार का एक विशेष महत्त्व होता है...

थोड़े से चावल को गर्म दही और घी के साथ मिलाएं और इसका सेवन आपको दस्त से राहत दिलाने में मदद करेगा।

‘दौड़ा-दौड़ा, भागा-भागा सा...वक्त ये सख्त है थोड़ा थोड़ा।’ ये पंक्तियां आज की तेज रफ्तार जिंदगी को बखूबी बयान करती हैं। हर दिन एक दौड़ सा लगता है, जिसमें सप्ताहांत बस एक क्षणिक राहत देता है

अमरनाथ यात्रा के शुरू होने में अभी दो महीने का समय बाकी है, लेकिन इससे पहले कश्मीर के अनंतनाग जिले में अमरनाथ की पवित्र गुफा से बाबा बर्फानी की पहली तस्वीर सामने आ गई है। इस बार बर्फ का शिवलिंग ...

सीता नवमी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन सीता का प्राकट्य हुआ था। इस पर्व को जानकी नवमी भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुष्य नक्षत्र में जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे थे, उसी समय पृथ्वी से एक बालिका का प्राकट्य हुआ। जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को भी ‘सीत’ कहा जाता है, इसलिए बालिका का नाम ‘सीता’ रखा गया। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त माता सीता के निमित्त व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं। मान्यता है कि जो भी इस दिन व्रत रखता व श्रीराम सहित सीता का विधि-विधान से पूजन करता है, उसे पृथ्वी दान का फल, सोलह महान दानों का फल तथा सभी तीर्थों के दर्शन का फल अपने आप मिल जाता है। अत: इस दिन व्रत करने का विशेष महत्त्व है...

एक समय भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा, ‘हे धर्मराज! मैं आपसे एक कथा कहता हूं, जिसे महर्षि वशिष्ठ ने श्रीरामचंद्रजी से कहा था। एक समय श्रीराम बोले कि, ‘हे गुरुदेव! कोई ऐसा व्रत बताइए जिससे समस्त पाप और दु:ख का नाश हो जाए। मैंने सीताजी के वियोग में बहुत दु:ख भोगे हैं।’ महर्षि वशिष्ठ बोले, ‘हे राम! आपने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। आपकी बुद्धि अत्यंत शुद्ध तथा पवित्र है। यद्यपि आपका नाम स्मरण करने से मनुष्य पवित्र और शुद्ध हो जाता है, तो भी लोकहित में यह प्रश्न अच्छा है। वैशाख मास में जो एकादशी आती है, उसका नाम मोहिनी एकादशी है। इसका व्रत करने से मनुष्य सब पापों तथा दु:खों से छूटकर मोहजाल से मुक्त हो जाता है। मैं इसकी कथा कहता हूं। ध्यानपूर्वक सुनो। सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नाम की एक नगरी में द्युतिमान नामक चंद्रवंशी राजा राज करता था। वहां धन-धान्य से संपन्न व पुण्यवान धनपाल नामक वैश्य भी रहता था। वह अत्यंत धर्मालु और विष्णु भक्त था।

यदि कहा जाए कि भारतीय सिनेमा की यात्रा की शुरुआत धार्मिक और पौराणिक विषयों से हुई, तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। 3 मई, 1913 को दादा साहेब फाल्के द्वारा बनाई गई पहली भारतीय फीचर फिल्म ‘राजा हरीशचंद्र’ न केवल तकनीकी दृष्टि से मील का पत्थर थी, बल्कि धार्मिक-सांस्कृतिक रूप से भी इसने एक गहरी छाप छोड़ी। फिल्म सत्य, त्याग और धर्म के उच्च आदर्श मूल्यों को प्रस्तुत करती थी, जो सदैव से भारतीय समाज की गहन आस्थाओं से जुड़े रहे हैं। भारतीय सिनेमा के पितामाह और फिल्म ‘राजा हरीशचंद्र’ के निर्माता धुंडीराज गोविंद फाल्के का मानना था कि भारत की छवि बनाने के लिए भारत से जुड़े चरि

विश्व की सर्वोत्कृष्ट संस्कृति भारतीय संस्कृति है, यह कोई गर्वोक्ति नहीं अपितु वास्तविकता है। भारतीय संस्कृति को देव संस्कृति कहकर सम्मानित किया गया है। आज जब पूरी संस्कृति पर पाश्चात्य सभ्यता का तेजी से आक्रमण हो रहा है, यह और भी अनिवार्य हो जाता है कि उसके हर पहलू को जो विज्ञान सम्मत भी है तथा हमारे दैनन्दिन जीवन पर प्रभाव डालने वाला भी, हम जन-जन के समक्ष प्रस्तुत करें ताकि हमारी धरोहर, आर्य संस्कृति के आधार भूत तत्त्व नष्ट न होने पाएं। भारतीय संस्कृति का विश्व संस्कृति परक स्वरूप तथा उसकी गौरव गरिमा का वर्णन तो इस वाङ्मय के पैंतीसवें खंड समस्त विश्व को भारत