दूसरे दिन मंदिरों में 39 हजार श्रद्धालुओं ने नवाया शीश; 12 ग्राम सोना, दो किलो 636 ग्राम चांदी चढ़ी अमन वर्मा-शिमला प्रदेश के चार शक्तिपीठों चिंतपूर्णी, नयनादेवी, बज्रेश्वरी देवी, ज्वालाजी में चैत्र नवरात्र मेले के पहले दिन 26 लाख 62 हजार 559 रुपए का नकद चढ़ावा प्राप्त हुआ है। जबकि चामुंडा देवी मंदिर में नवरात्र
हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है। सभी प्रकार के शुभ कार्य नवरात्र में ही किए जाते हैं। कहते हैं कि नवरात्र में मां दुर्गा अत्यधिक प्रसन्न होती है और सच्चे मन से उनके व्रत व पूजा-पाठ करने से सभी प्रकार के दु:ख दूर हो जाते हैं। खैर आज हम बात करेंगे कि नवरात्र
पहले नवरात्र पर खूब उमड़ा आस्था का सैलाब, 36500 भक्तों ने टेका माथा स्टाफ रिपोर्टर— शिमला प्रदेश के शक्तिपीठों चिंतपूर्णी, ज्वालाजी, नयनादेवी, बजे्रश्वरी देवी, चामुंडा देवी में चैत्र नवरात्र मेले के पहले दिन 36 हजार 500 श्रद्धालुओं ने मइया के चरणों में शीश नवाया। बुधवार को मां के दर्शनों के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की
24 घंटे खुला रहेगा चिंतपूर्णी मंदिर, नयनादेवी में रात 12 से दो बजे तक बंद रहेंगे कपाट, रात 10 बजे तक होंगे मां ज्वाला-बज्रेश्वरी-चामुंडा के दर्शन अमन वर्मा — शिमला चैत्र नवरात्र मेलों के लिए मां शेरांवाली के द्वार अपने भक्तों के लिए सज गए हैं। नवरात्र के दौरान प्रदेश के पांच शक्तिपीठों में मां
चैत्र मेले के पहले रविवार को 40 हजार श्रद्धालुओं ने लिया आशीर्वाद निजी संवाददाता-दियोटसिद्ध उत्तरी भारत के प्रसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में लगे मेलों के दौरान रविवार को श्रद्धालुओं का महासैलाब उमड़ा। बाबा बालकनाथ की नगरी में रविवार को तकरीबन 40 हजार के करीब श्रद्धालु नतमस्तक होने के लिए पहुंचे। बाबा बालकनाथ की
नवरात्र हिंदू धर्म ग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। भारत में नवरात्र का पर्व एक ऐसा पर्व है जो हमारी संस्कृति में महिलाओं के गरिमामय स्थान को दर्शाता है। वर्ष में चार नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन
झूलेलाल जयंती एक हिंदू त्योहार है, जो सिंधी समुदाय के संरक्षक संत झूलेलाल के सम्मान में मनाया जाता है। झूलेलाल को सिंधी लोगों के बीच एकता और शक्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है और यह त्योहार सिंधी मूल के लोगों के लिए एक साथ आने और अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को
एकादशी के दिन सूर्योदय काल में स्नान करके व्रत का संकल्प करें। इस दिन भगवान विष्णु को अघ्र्य दान देकर षोडशोतपचार पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात धूप, दीप, चंदन आदि से नीराजन करना चाहिए। इस दिन निंदित कर्म तथा मिथ्या भाषण नहीं करना चाहिए… पापमोचनी एकादशी पुराणों के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहा
-गतांक से आगे… वन में चौदह वर्ष बिताओ, रघुकुल रीती निति अपनाओ, तपसी वेश बनाओं राम।। पतितपावन सीताराम।। सुनत वचन राघव हरषाये, माताजी के मन्दिर आये, चरण कमल में किया प्रणाम।। पतितपावन सीताराम।। माताजी मैं तो वन जाऊं, चौदह वर्ष बाद फिर आऊं, चरण कमल देखू सुख धाम।। पतितपावन सीताराम।। सुनी शूल जब यह बानी,