हर संस्कृति में भोजन का महत्त्व स्वाद से कहीं अधिक होता है। यह प्रेम की भाषा है, दु:ख में शांति देने वाला और खुशी के मौके पर उत्सव की धुन जैसा है। यह एक ऐसा तत्व है जो जाति, धर्म या हालात की सीमाओं से परे हमें जोड़ता है।
हरेला उत्तराखंड के प्रमुख लोक पर्व में से एक है, जो प्रकृति पूजा और हरियाली के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में खासतौर पर मनाया जाने वाला हरेला त्योहार हरियाली और नवजीवन का प्रतीक है...
भारत मंदिरों का देश है। हमारे देश में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका संबंध या तो किसी दूसरे युग से है या फिर उनका इतिहास हजारों साल पुराना है। भगवान शिव के कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर पूरी...
श्रावण का पावन महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। इस दौरान देशभर में भोलेनाथ के भक्त मंदिरों में उमड़ते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन व्रत रखते हैं...
भारत की धार्मिक और पौराणिक नगरी चित्रकूट अपने कण-कण में भगवान श्रीराम की उपस्थिति समेटे हुए है। इसी पावन भूमि पर रामघाट के समीप एक ऐसा अलौकिक शिव मंदिर स्थित है...
बारिश और पकौड़े एक दिल से जुड़ा रिश्ता, जैसे ही बारिश शुरू होती है, हममें से कई लोगों को तले हुए स्नैक्स की तीव्र इच्छा होने लगती है करारे पकौड़े, मसालेदार समोसे, गर्म गुलाब जामुन और रसीली जलेबी। बारिश के मौसम में तला-भुना खाने की तलब और भी ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन ऐसा क्यों होता है?
हरड़ और आंवले का पाउडर मिलाकर एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट दर्द में आराम मिलता है।
देवशयनी एकादशी आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। इसे हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए बलि के द्वार पर पाताल लोक में निवास करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को लौटते हैं। इसी दिन से चौमासे का आरंभ माना जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। इसी कारण इस एकादशी को हरिशयनी एकादशी तथा कार्तिक शुक्ल एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। इन चार महीनों में भगवान विष्णु के क्षीरसागर में शयन करने के कारण विवाह आदि कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। धार्मिक दृष्टि से यह चार मास भगवान विष्णु का निद्रा काल माना जाता है। इन दिनों में तपस्वी भ्रमण नहीं करते, वे एक ही स्थान पर रहकर तपस्या (चातुर्मास) करते हैं। इन दिनों केवल ब्रज की यात्रा की जा सकती है, क्योंकि इन चार महीनों में भूमंडल (पृथ्वी) के समस्त तीर्थ ब्रज में आकर निवास करते हैं। ब्रह्म वैवर्त पुराण में इस एकाद
धर्मग्रंथ हमेशा से भारतीय समाज के मार्गदर्शक रहे हैं। श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण और महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथ जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में समझाते हैं। ये ग्रंथ हमें धर्म, आत्मानुशासन, कत्र्तव्यबोध और सामाजिक मर्यादाओं की शिक्षा देते हैं। इनके माध्यम से पाठक को नैतिकता, संयम और सही निर्णय लेने की प्रेरणा मिलती है। आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में मानसिक शांति और संतुलन बनाए रखने के लिए इन ग्रंथों का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है। श्रीमद्भगवद्गीता को विश्वभर में जीवन प्रबंधन और संवाद का सर्वोच्च ग्रंथ माना जाता है। महाभारत के युद्धभूमि में अर्जुन को श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उस काल में थे। रामायण भारतीय संस्कृति की रीढ़ है। इसमें भगवान श्रीराम के जीवन के माध्यम से मर्यादा, त्याग, समर्पण, कत्र्तव्य और परिवार के प्रति उत्तरदायित्व का अद्वितीय संदेश मिलता है। राम एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति