आस्था

चनौर गांव व्यास नदी के किनारे 3 मील की दूरी पर दक्षिण की ओर माता चिंतपूर्णी तथा माता शीतला जी के उत्तर की तरफ 5 और 6 मील की दूरी पर स्थित है। यहां द्वापर युग में पांडवों के बनवाए हुए तीन मंदिर हैं। पहला मंदिर दुर्गा चंडी जी का है, दूसरा मंदिर श्री लक्ष्मी

इस प्रकार केवल स्वार्थ परायण जीवन व्यतीत करने वाला इस लोक और परलोक में दुख ही पाता है। यदि वह कभी सुख का भी अनुभव करता है, तो वह क्षणिक और भ्रमयुक्त होता है। जैसे शराब के नशे में मनुष्य मजा समझता है और आरंभ में बड़ी प्रसन्नता भी प्रकट करता है, पर इसका परिणाम

रथ के विविध भागों में बैठे देव, ग्रह, ऋषि और गंधर्व आदि रथ की रक्षा में प्रवृत्त हो गए। शिवजी के रथारूढ़ होने पर नंदीश्वर अपना त्रिशूल लेकर तथा अन्य योद्धा अपने-अपने शस्त्रों से सन्नद्ध होकर साथ ही चल पड़े। इधर शिवजी के आधिपत्य में देवसेना त्रिपुर को रवाना हुई तो उससे पूर्व ही नारद

एक स्त्री का सबसे बड़ा आश्रय उसका पति होता है, उसके बाद उसका पुत्र व तीसरा उसके नातेदार, चौथा कोई सहारा नहीं होता। हे राजन! इन तीनों आश्रयों में आप मेरे पति तो मेरा सहारा बिलकुल भी नहीं हो (क्योंकि आप मेरी सौत के इशारों पर नाच रहे हो)। श्री राम को तो आपने वन

लक्ष्य को लेकर एकाग्र रहें एक बार स्वामी विवेकानन्द के आश्रम में बहुती दुखी और निराश व्यक्ति आया। वह व्यक्ति आते ही स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला कि महाराज मैं अपने जीवन से बहुत दुखी हूं। मैं अपने जीवन में कठोर मेहनत करता हूं, फिर भी सफलता हाथ नहीं लगती। मेरे

भगवती की उपासना के लिए ‘सौंदर्य लहरी’ आद्यशंकराचार्य का साधकों को दिया गया अप्रतिम उपहार है। वाह्य रूप से देखें तो यह एक निष्पाप हृदय द्वारा भगवती की उपासना प्रतीत होती है। गहराई में विचार करने पर साधकों को यह तंत्र के गुह्य रहस्यों का संचय प्रतीत होती है। अपनी काव्यात्मकता के लिए सौंदर्य लहरी

8 जनवरी रविवार, पौष, शुक्लपक्ष, दशमी- एकादशी, पुत्रदा एकादशी व्रत 9 जनवरी सोमवार, पौष, शुक्लपक्ष, द्वादशी पुत्रदा एकादशी व्रत (वैष्णव) 10 जनवरी मंगलवार, पौष , शुक्लपक्ष, त्रयोदशी, भौम प्रदोष व्रत 11 जनवरी बुधवार, पौष, शुक्लपक्ष, चतुर्दशी, श्रीसत्यनारायण व्रत 12 जनवरी बृहस्पतिवार, पौष, शुक्लपक्ष, पौष-पूर्णिमा, माघ स्नान प्रारंभ 13 जनवरी शुक्रवार, पौष, कृष्णपक्ष, प्रथमा, लोहड़ी पर्व

ओशो ध्यान में अधिक गहरे जा सकोगे। अगर लड़ना, झगड़ना चाहते हो तो उसके लिए दायां नासापुट अच्छा है। अगर प्रेमपूर्ण होना चाहते हो, तो उसके लिए बायां नासापुट एकदम ठीक है और हमारी श्वास हर क्षण, हर पल बदलती रहती है। तुमने शायद कभी ध्यान नहीं दिया होगा, लेकिन इस पर ध्यान देना… तुमने

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… केवल इतना ही नहीं, जो पीछे आएंगे, उनके लिए भी मैं अपना हृदय उन्मुक्त रखूंगा। क्या ईश्वर की पुस्तक समाप्त हो गई? अथवा अभी भी वह क्रमशः प्रकाशित हो रही है? संसार की यह आध्यात्मिक अनुभूति एक अद्भुत पुस्तक है। बाइबल, वेद, कुरान तथा अन्य धर्म ग्रंथ समूह मानो उसी