आस्था

एक बार जैन साधु इनके पास आए। धर्म तथा शास्त्रों पर लंबी वार्ता हुई। उसी समय सूर्य भी अस्त हुआ। जब नियमानंद ने अपने अतिथि को भोजन करने के लिए कहा, तो उन्होंने साफ मना कर दिया। कारण यह था कि जैनियों में सूर्यास्त के बाद भोजन करना निषेध होता है। नियमानंद का मन काफी

हनुमान सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं। हनुमान के बगैर न तो राम हैं और न रामायण। राम-रावण युद्ध में हनुमानजी ही एकमात्र अजेय योद्धा थे, जिन्हें कोई भी किसी भी प्रकार से क्षति नहीं पहुंचा पाया था। यूं तो हनुमानजी के पराक्रम, सेवा, दया और दूसरों का दंभ तोड़ने की हजारों गाथाएं हैं, लेकिन इनमें से

*           सबसे बड़ा दीन दुर्बल वह है, जिसका अपने ऊपर नियंत्रण नहीं *           राग और द्वेष स्वार्थ और कुसंगत के जन्मदाता हैं *           यदि व्यक्तित्व में शालीनता का समावेश न आया, तो फिर पढ़ने में समय नष्ट करने से क्या फायदा *           पुण्यों में सबसे बड़ा पुण्य परोपकार है *           धर्म से आध्यात्मिक जीवन विकसित

आज के समय में हर इनसान किसी न किसी बीमारी से परेशान है। मधुमेह, रक्तचाप, माइग्रेन इत्यादि ये सभी बीमारियां तो हर घर में देखने के लिए मिल जाएंगी और इन्हें नियंत्रित करने के लिए लोग दवाओं का सेवन करते हैं। लेकिन जो ये दवाएं हैं इनसे भी कई प्रकार की एलर्जी हो सकती है।

– डा. जगीर सिंह पठानिया सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, आयुर्वेद, बनखंडी शहद के गुण दो प्रकार की मक्खियां शहद बनाती हैं एक तो जंगलों में पेड़ों की टहनियों के साथ छत्ता बनाती हैं और दूसरी प्रकार की मक्खियां व्यावसायिक रूप से पाली जाती हैं। जंगली छत्ते से लिया हुआ शहद सर्वोत्तम होता है। हजारों वृक्षों के

भोजन के मध्य में कच्ची मूली खाने से भोजन करने में रुचि बढ़ती है। सुबह के समय मूली का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पौष्टिकता से भरपूर मूली पूरे भारत में पैदा होती है। अक्तूबर-नवंबर में आने वाली मूली खाने योग्य मानी जाती है। सलाद के रूप में खाई जाने वाली मूली

स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ खान-पान और जीवनशैली के साथ-साथ स्वस्थ आदतें भी जरूरी हैं, लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं, जिनकी कई ऐसी आदतें होती हैं, जिनके कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। लाइफस्टाइल इतना बदल गया है कि लोगों के खाने-पीने की गलत आदतें ही उन्हें बीमार कर रही हैं। पहले जहां लोग

शरीर में जब यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, तो जोड़ों में दर्द और गठिया रोग की समस्या बढ़ जाती है। हमारे शरीर में प्यूरिन के टूटने से यूरिक एसिड बनता है। ब्लड के जरिए किडनी में पहुंच कर यह यूरिन के जरिए बाहर निकल जाता है, लेकिन कई बार खान-पान की अनदेखी या

देवोत्थान एकादशी कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। दीपावली के बाद आने वाली एकादशी को ही देवोत्थान एकादशी अथवा देवउठान एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को देव शयन करते हैं और इस कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसीलिए इसे देवोत्थान