आस्था

प्रायः देखने में आता है कि जीवन में बड़ी से बड़ी हमारी दौड़ धन के लिए ही है। वास्तव में हम भीतर से खाली और सूने हो चुके होते हैं, अतः हम अपने भीतर के इस सूनेपन को धन से भरने की चेष्टा हर समय करते हैं। क्योंकि सूनापन हमें काटता है, इस सूनेपन में

प्राचीन काल के मंगलमय वातावरण को पुनः वापस लाने के जिन पुण्य प्रयत्नों में अखंड ज्योति संलग्न है, उनका प्रमुख आधार अध्यात्म ही है। सतयुग में मनुष्य को अगणित सुख सुविधाएं प्राप्त थी, उसकी शक्ति सामर्थ्य प्रत्येक दिशा में बहुत बढ़ी-चढ़ी थी। इस सुयोग का कारण और कुछ नहीं केवल एक ही था, जीवन का

दुख हमें बंद कर देता है, जबकि सुख खोलता है। दुखी व्यक्ति अपने चारों ओर कठोर आवरण बनाकर चित्रण की तरह हो जाता है, जबकि एक प्रसन्न व्यक्ति फूल की तरह कोमल होता है, जो खिल कर सारी दुनिया को अपनी खुशबू दे सकता है। दुख से लगाव होना एक रोग है। यह विकृत प्रवृत्ति

केवल जब आप अपने ही मन के फेर से मुक्त होंगे, तब ही आप परे के आयाम को जान पाएंगे। यह शरीर और यह मन आपके नहीं हैं। ये कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपने कुछ समय में इकट्ठा की हैं। आप का शरीर आप के खाए हुए भोजन का एक ढेर मात्र है। आपका

किस्त-52 सौंदर्य के क्षेत्र में शहनाज हुसैन एक बड़ी शख्सियत हैं। सौंदर्य के भीतर उनके जीवन संघर्ष की एक लंबी गाथा है। हर किसी के लिए प्रेरणा का काम करने वाला उनका जीवन-वृत्त वास्तव में खुद को संवारने की यात्रा सरीखा भी है। शहनाज हुसैन की बेटी नीलोफर करीमबॉय ने अपनी मां को समर्पित करते

‘‘मैं तुम्हें दिखाता हूं।’’ सयाने बौने ने उत्तर दिया। वह सेबों की एक टोकरी को उठाकर पास के एक पेड़ के नीचे ले गया।  पेड़ पर बहुत से बंदर बैठे थे। सयाना बौना सेबों की टोकरी वहीं छोड़ कर पीछे हट गया। उसके वहां से हटते ही पेड़ पर से बंदर नीचे उतर आए और

भेडि़ये ने अपनी प्रेम की पीड़ा शांत करने के लिए दूसरे जीवों की ओर दृष्टि डाली। कुत्ता, भेडि़ये का नंबर एक का शत्रु होता है, पर आत्मा किसका मित्र, किसका शत्रु? क्या तो वह कुत्ता- क्या संसार जान जाए, तो फिर क्यों लोगों में झगड़े हों, क्यों मन-मुटाव, दंगे-फसाद, भेदभाव, उत्पीड़न और एक-दूसरे से घृणा

ओउम गं ह्रू गूं ह्रीं फट् कल्पाद्याय नमः स्वाहा। ओउम गं गणपत्ये नमः। ओउम गूं सेतवे नमः मुखे। ओउम ह्रीं गं महासेतवे नमः कंठे। ओउम अं गं ऐं अं आं इं ईं उं ऊं ऋं लृं एं ऐं ओं औं अं अः कं खं गं घं डं. चं छं जं झं ञं टं ठं डं

आपके हाथ बच्चे को सहारा देने से लेकर अपने प्रिय का साथ देने का काम करते हैं। आपके दिल की कितनी ही अनकही बातों को कह देते हैं आपके हाथ। इनके रूप-निखार के बिना आपकी खूबसूरती की कवायद अधूरी है। सर्दियां आपकी त्वचा से छीन लेती हैं जरूरी नमी। अपनी त्वचा को जानदार बनाए रखने