आस्था

इटावा। इटावा में चंबल के बीहड़ों में स्थित महाभारत कालीन सभ्यता से जुडे मां काली के मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां महाभारत का अमर पात्र अश्वत्थामा अदृश्य रूप में आज भी सबसे पहले पूजा करते हैं। कालीवाहन नामक यह मंदिर इटावा मुख्यालय से मात्र पांच किलोमीटर दूर यमुना नदी के किनारे स्थित

शक्तिपीठों में तैयारियां पूरी, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन ने किए विशेष इंतजाम स्टाफ रिपोर्टर-शिमला चैत्र नवरात्र मेले के दौरान प्रदेश के पांच शक्तिपीठों में माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके अलावा मां को विशेष व्यंजनों के भोग लगाए जाएंगे। नवरात्र के दौरान माता श्रीबज्रेश्वरी देवी, श्रीनयनादेवी, श्रीचामुंडा देवी, श्रीज्वालामुखी तथा श्री चिंतपूर्णी

नवरात्र हिंदू धर्म ग्रंथ एवं पुराणों के अनुसार माता भगवती की आराधना का श्रेष्ठ समय होता है। भारत में नवरात्र का पर्व एक ऐसा पर्व है जो हमारी संस्कृति में महिलाओं के गरिमामय स्थान को दर्शाता है। वर्ष में चार नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ महीने की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन के होते हैं, परंतु प्रसिद्धि में चैत्र और आश्विन के नवरात्र ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवीभक्त आश्विन के नवरात्र अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय नवरात्र भी कहते हैं। इनका आरंभ क्रमश: चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से होता है...

सोमवार के दिन पडऩे वाली अमावस्या सोमवती अमावस्या कहलाती है। प्रत्येक मास एक अमावस्या आती है और प्रत्येक सात दिन बाद एक सोमवार। परंतु ऐसा बहुत ही कम होता है जब अमावस्या सोमवार के दिन हो। वर्ष में कई बार सोमवती अमावस्या आती रहती है... महत्त्व

ईद-उल-फितर मुसलमानों का पवित्र त्योहार है। यह रमजान के 30 दिन के पश्चात चांद देख कर दूसरे दिन मनाया जाने वाला एक पर्व विशेष है। रमजान के पूरे महीने में मुसलमान रोजे रखकर अर्थात भूखे-प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुजार देते हैं। इस पूरे महीने को अल्लाह की इबादत में गुजार कर जब वे रोजों से फारिग हो जाते हैं तो चांद की पहली तारीख अर्थात जिस दिन चांद दिखाई देता है, उस रोज को छोडक़र दूसरे दिन ईद का त्योहार अर्थात ‘बहुत खुशी का दिन’ मनाया जाता है। इस खुशी के दिन को ईद-उल-फितर कहते हैं...

कैलादेवी मंदिर राजस्थान राज्य के करौली नगर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है। जहां प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल माह में एक बहुत बड़ा मेला लगता है। इस बार यह मेला 6 अप्रैल से 22 अप्रैल तक मनाया जा रहा है। इस मेले में राजस्थान के अलावा दिल्ली, हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के तीर्थ यात्री आते हंै। मुख्य मंदिर संगमरमर से बना हुआ है, जिसमें कैला (दुर्गा देवी) एवं चामुंडा

झूलेलाल जयंती एक हिंदू त्योहार है, जो सिंधी समुदाय के संरक्षक संत झूलेलाल के सम्मान में मनाया जाता है। झूलेलाल को सिंधी लोगों के बीच एकता और शक्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है और यह त्योहार सिंधी मूल के लोगों के लिए एक साथ आने और अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को श्रद्धांजलि देने का एक अवसर है। झूलेलाल सिंधी समाज के इष्टदेव हैं। झूलेलाल

मत्स्य जयंती चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन मत्स्य अवतार में विष्णु की पूजा की जाती है। जब संसार को किसी प्रकार का खतरा होता है तब भगवान विष्णु अवतरित होते हैं। ब्रह्मांड की आवधिक विघटन के प्रलय के ठीक पहले जब प्रजापति ब्रह्मा के मुंह से वेदों का ज्ञान निकल गया, तब असुर हयग्रीव ने उस ज्ञान को चुराकर निगल लिया। तब भगवान विष्णु अपने प्राथमिक अवतार

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवसंवत्सर का प्रारंभ माना जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। इस दिन को गुड़ी पड़वा के नाम से मनाया जाता है जिसका हिंदू धर्म में बहुत महत्त्व माना गया है। गुड़ी का अर्थ है ध्वज अर्थात झंडा और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है। भारत में छोटे बड़े ऐसे कई त्योहार हैं, जिनके साथ लोगों की सच्ची आस्था और अटूट विश्वास जुड़ा हुआ है। इन त्योहारों पर अलग-अलग देवी-देवताओं को पूजा जाता है। भारत के इन्हीं त्योहारों में शामिल है गुड़ी पड़वा। इस पर्व को हिंदू धर्म के नए वर्ष के आगाज के रूप में मनाया जाता है। खासतौर से महाराष्ट्र के लोगों में गुड़ी पड़वा उ