आस्था

अधिकतर माता-पिता का यह सपना होता है कि बच्चा पढाई लिखाई में अव्वल रहने के साथ अपने लक्ष्य को भी प्राप्त करे। उच्च शिक्षा के लिए बच्चे को अच्छे स्कूल में पढ़ाया जाता है, लेकिन कई बार बच्चा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी कहीं न कहीं पिछड़ा रहता है। पढाई के साथ बच्चों

* सुबह पांच दाने मुन्नके के खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है। * एक गिलास गुनगुने पानी में डेढ़ चम्मच शहद मिलाकर पीने से गले की खराश दूर होती है। * होंठ फटते हैं तो देशी घी को गर्म करके उसमें एक चुटकी नमक मिलाकर लगाने से आराम मिलता है। * आंखों में

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 राष्ट्र सर्वोपरि है और राष्ट्रीयता यानी वतनपरस्ती अथवा देशभक्ति ही सर्वश्रेष्ठ होती है, जो प्रत्येक नागरिक, समूह, संस्था के अंतर्मन में हिलोरे लेती है। राष्ट्रीय चेतना जो राष्ट्रभक्ति के बोध को जागृत करती, भावनाओं से उत्पन्न होती है, जो राष्ट्र की आधारभूत इकाई यानी प्रत्येक नागरिक

-गतांक से आगे… शड़्खचूडवधोद्दामो गोपीरक्षणतत्पर:। पांचजन्यकरो रामी त्रिरामी वनजो जय:॥ 47॥ फाल्गुन: फाल्गुनसखो विराधवधकारक:। रुक्मिणीप्राणनाथश्च सत्यभामाप्रियंकर:॥ 48॥ कल्पवृक्षो महावृक्षो दानवृक्षो महाफल:। अंकुशो भूसुरो भामो भामको भ्रामको हरि:॥ 49॥ सरल: शाश्वत: वीरो यदुवंशी शिवात्मक:। प्रद्युम्नबलकर्ता च प्रहर्ता दैत्यहा प्रभु:॥ 50॥ महाधनो महावीरो वनमालाविभूषण:। तुलसीदामशोभाढयो जालन्धरविनाशन:॥ 51॥ शूर: सूर्यो मृकण्डश्च भास्करो विश्वपूजित:। रविस्तमोहा वह्निश्च वाडवो वडवानल:॥ 52॥

उत्तरी भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नयनादेवी जी में श्री नयनादेवी सेवा सोसायटी लुधियाना द्वारा 40 किलोग्राम चांदी के स्तंभ मां के चरणों में अर्पित किए गए। इनकी कीमत एक अनुमान के मुताबिक 33 लाख रुपए आंकी जा रही है। यह चांदी के स्तंभ अब माता जी के मंदिर के मुख्य मंदिर के गर्भ गृह के स्तंभ सजेंगे। श्री नयनादेवी जी सेवा सोसायटी लुधियाना के प्रधान बलवीर शर्मा और महासचिव राज कुमार गोयल ने बताया कि सभी श्रद्धालुओं के द्वारा यह चांदी काफी समय से एकत्रित की जा रही थी, ताकि माता के जो स्तंभ है, उन पर चांदी चढ़ाई जा सके।

श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव के निमित्त व्रत किए जाते हैं। इस मास में शिव की पूजा का विशेष विधान है। कुछ भक्त तो पूरे मास ही भगवान शिव की पूजा-आराधना और व्रत करते हैं। अधिकांश व्यक्ति केवल श्रावण मास में पडऩे वाले सोमवार का ही व्रत करते हैं। श्रावण मास के

जब भी आप किसी धार्मिक स्थान पर जाते हैं वहां हाथों में कलावा बांधा जाता है। आइए इसके महत्त्व के बारे में जानें। किसी भी पूजा, अनुष्ठान या मंदिर में दर्शन के दौरान कलावा बांधना जरूरी माना जाता है। मान्यता है कि यह लाल रंग का धागा यानी रक्षासूत्र हमारी कि

भारत में शिवालयों में कई अनोखे चमत्कार देखने को मिलते हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर कर्नाटक राज्य के भटकल में स्थित है। महादेव का यह मंदिर मुरुदेश्व

देवभूमि हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के इंदौरा उपमंडल मुख्यालय से महज 6 किमी. की दूरी पर स्थित काठगढ़ महादेव मंदिर का विशेष महत्त्व है। श्रावण मास और शिवरात्रि पर इस मंदिर में देश के अलावा बाहरी राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं। पहले यहां केवल शिवरात्रि महोत्सव ही मनाया जाता था। अब शिवरात्रि के साथ रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, श्रावण मास महोत्सव, शरद नवरात्र व अन्य समारोह मनाए जाते हैं। इसीके चलते काठगढ़ महादेव लाखों ही शिवभक्तों की आस्था का मुख्य कंेद्र बना है, जहां पर प्रति वर्ष सैकड़ों शिव भक्त नतमस्तक होते हंै।