आस्था

मुहर्रम अथवा मोहर्रम हिजरी संवत का प्रथम मास है। पैगम्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है। मुहर्रम एक महीना है जिसमें दस दिन इमाम, हुसैन के शोक में मनाए जाते हैं। इसी महीने में मुसलमानों के आदरणीय पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब मुस्तफा सल्लाहों अलैह व आलही वसल्लम ने पवित्र मक्का से पवित्र नगर मदीना में हिजरत किया था। मुहर्रम कोई त्योहार नहीं है, यह सिर्फ इस्लामी हिजरी सन् का पहला महीना है। पूरी इस्लामी दुनिया में मुहर्रम की नौ और दस तारीख को मुसलमान रोजे रखते हैं और मस्जिदों-घरों में इबादत की जाती है...

पद्मिनी एकादशी अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। इसे कमला एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण और शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। अन्य एकादशियों के समान ही इस व्रत के विधि-विधान हैं। इस व्रत में दान का विशिष्ट महत्त्व है। इस दिन कांसे के पात्र

शिवजी के पूजा-पाठ में कई वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है, लेकिन बिल्वपत्र का पूजा में होना अत्यंत जरूरी होता है। शास्त्रों में तो इसके बारे में यहां तक कहा जाता है कि अगर आपके पास पूजा की कोई सामग्री न भी हो तो भी आप शिवजी को केवल बेलपत्र चढ़ा दें तो वह प्रसन्न

-गतांक से आगे… भक्तानुकारी भगवान केशवोचलधारक:। केशिहा मधुहा मोही वृषासुरविघातक:॥ 29॥ अघासुरविनाशी च पूतनामोक्षदायक:। कुब्जाविनोदी भगवान कंसमृत्युर्महामखी॥ 30॥ अश्वमेधो वाजपेयो गोमेधो नरमेधवान। कन्दर्पकोटिलावण्यश्चन्द्रकोटिसुशीतल:॥ 31॥ रविकोटिप्रतीकाशो वायुकोटिमहाबल:। ब्रह्मा ब्रह्माण्डकर्ता च कमलावांछितप्रद:॥ 32॥ कमली कमलाक्षश्च कमलामुखलोलुप:। कमलाव्रतधारी च कमलाभ: पुरन्दर:॥ 33॥ सौभाग्याधिकचित्तोयं महामायी महोत्कट:। तारकारि: सुरत्राता मारीचक्षोभकारक:॥ 34॥

23 जुलाई रविवार, श्रावण, शुक्लपक्ष, पंचमी 24 जुलाई सोमवार, श्रावण, शुक्लपक्ष, षष्ठी 25 जुलाई मंगलवार, श्रावण, शुक्लपक्ष, सप्तमी 26 जुलाई बुधवार, श्रावण, शुक्लपक्ष, अष्टमी 27 जुलाई गुरुवार, श्रावण, शुक्लपक्ष, नवमी 28 जुलाई शुक्रवार, श्रावण, शुक्लपक्ष, दशमी 29 जुलाई शनिवार, श्रावण, शुक्लपक्ष, पद्मिनी एकादशी, मुहर्रम

देवभूमि हिमाचल में देवी-देवताओं का वास कहा जाता है। यहां की संस्कृति और परंपराएं काफी अलग हैं। यूं तो प्रदेशभर में बहुत से मेले, त्योहार और उत्सव मनाए जाते हैं, लेकिन शिवभूमि चंबा का मिंजर मेला प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देशभर में प्रसिद्ध है। चंबा शहर राजा साहिल वर्मन द्वारा उनकी बेटी राजकुमारी

हमारे देश में विश्वास और श्रद्धा की एक समृद्ध परंपरा रही है। इसी मिट्टी में भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम का जन्म हुआ। कई पौराणिक कथाएं इसका वर्णन करती हैं। इसी श्रेणी में आता है, लिंगराज मंदिर जो कि आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ एक पुरातात्विक महत्त्व का भी है। यह ओडिशा प्रांत के भुवनेश्वर

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग देश का तीसरा ज्योतिर्लिंग है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान सोमनाथ और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के बाद आता है। मान्यता है कि दक्षिणामुखी मृत्युंजय भगवान श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में विराजमान होकर सृष्टि का संचार करते हैं। इस मंदिर से कई प्राचीन परंपराएं और रहस्य

स्वामी विवेकानंद गतांक से आगे… कर्म का यह ताना-बाना सबने अपने चारों ओर पूर लिया है। अज्ञानवश हम समझते हैं कि हम बंधन में पड़े हैं और तब सहायता के लिए चीखते-पुकारते हैं। किंतु सहायता बाहर से नहीं आती वह हमारे अंदर से ही आएगी। चाहे तुम विश्व के समस्त देवताओं का नाम लेकर चिल्लाओ,