पाठकों के पत्र

( कृष्ण संधु, कुल्लू ) क्या ऐसा कोई नियम बना है, जिसमें कृषि भूमि भवन बनाने के लिए धड़ाधड़ बेची जा रही है।  किसान ऊंची कीमत के लालच में अपनी बहुमूल्य जमीनें बेचने में लगे हुए हैं, जिसके कारण प्रकृति की गोद में बसे हिमाचल में भी कंकरीट के कांटे उग आए हैं। इस प्रक्रिया

(डा. राजेंद्र प्रसाद शर्मा, जयपुर) यूं तो श्रम दिवस के नाम पर एक दिन का सवैतनिक अवकाश और कहने को कार्यशालाएं, गोष्ठियों व अन्य आयोजनों की औपचारिकताएं पूरी कर ली जाती हैं, पर आज असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं को लेकर कोई गंभीर नहीं दिखाई देता। आज मजदूर आंदोलन लगभग दम तोड़ता जा रहा

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर) पराधीन वे हैं नहीं, हर तरह स्वतंत्र, दिल चाहे जो भी करें, एकमात्र यह मंत्र। चरणवंदना कर रहे, दहशत की दिन-रात, बात-बात पर कर रहे, भड़काने की बात। हैं निर्वस्त्र पर कर रहे, चौराहे पर नाच, पत्थर सेना पर पड़े, कभी न आई आंच। छुरा छिपाकर बगल में, जपे खुदा

(सुरेश कुमार, योल) चाहा तो यह था कि हिमाचल अपने पर्यटन के लिए पहचाना जाता, अपने शक्तिपीठों के लिए जाना जाता, पर आज हिमाचल की पहचान जाम और ब्रिटिश टाइम के बूढ़े पुलों की वजह से है। पर्यटन सीजन में जब हम पर्यटकों का कारवां हिमाचल की ओर बढ़ते देखते हैं, तो लगता है कि

( सूबेदार मेजर (से.नि.) केसी शर्मा, गगल, कांगड़ा ) किसी बुराई से मुक्ति पाना है, तो जन आंदोलन एक कारगर तरीका है, लेकिन शराबखोरी की बुराई का अंत मेरे हिसाब से असंभव है। शराब का सेवन प्राचीन काल से दुनिया में होता आया है। आज भी शराब पीने वालों की संख्या करोड़ों में है। गरीब

( डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर ) झाड़ू बिखरी हाथ से, लुटा फूल को प्यार, दिल्ली ने चूमे कदम, फक्कड़ को उपहार। नीरज की मुस्कान है, सबका है सरताज, कुछ दल को पेचिश हुई, कुछ को उठती खाज। इंद्रप्रस्थ का था किया, कचरा और कबाड़, नित नवीन पंगे लिए, फेंक सभ्यता भाड़। राजनीति कचरा भरी,

( वर्षा शर्मा, पालमपुर ) दिल्ली से अपने सियासी करियर की शुरुआत करने वाले अरविंद केजरीवाल के साथ जितनी जल्दी जन भावनाएं जुड़ी थीं, उतनी ही तेजी से उनके प्रति जनता का मोहभंग होता भी दिख रहा है। इसका हालिया उदाहरण दिल्ली एमसीडी चुनावों का है। बेशक ये एमसीडी के ही चुनाव थे, लेकिन इसमें 

( सुनीता पटियाल, अणु, हमीरपुर ) छत्तीसगढ़ के सुकमा में भीषण नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 25 जवानों ने अपनी शहादत दी और सात जवान घायल हो गए। सीआरपीएफ के एक घायल जवान का कहना है कि हमला उस समय हुआ, जब सभी जवान खाना खाने बैठे थे। अब सवाल उठना लाजिमी है कि कंपनी

( सुरेश कुमार, योल ) इस साल हिमाचल विधानसभा चुनाव होने हैं, तो जाहिर सी बात है कि प्रदेश राजनीति से तपेगा। हर कोई इन चुनावों की चाशनी से कुछ न कुछ मिठास लूटने की जुगाड़ में रहेगा। नेता वोट बटोरने के जुगाड़ में रहेंगे, तो आमजन भी इस दौरान अपना कुछ न कुछ फायदा