प्रतिबिम्ब

कविता एक सांस्कृतिक व सामाजिक प्रक्रिया है। इस अर्थ में कि कवि जाने-अनजाने, अपने हृदय में संचित, स्थिति, स्थान और समय की क्रिया-प्रतिक्रिया स्वरूप प्राप्त भाव-संवेदनाओं के साथ-साथ जीवन मूल्य भी प्रकट कर रहा होता है। और इस अर्थ में भी कि प्रतिभा व परंपरा के बोध से परिष्कृत भावों को अपनी सोच के धरातल

कैप्टन राम सिंह की इबारत को आजादी के पन्नों से हासिल करके कोई लेखक साहित्य की इबादत बना सकता है, तो यह कार्य राजेंद्र राजन ने अपने नए प्रकाशन ‘कैप्टन राम सिंह ठाकुर – जन गण मन धुन के जनक’ के माध्यम से पेश किया है। आज तक इन नायक को समझने, उसके भीतर बहते

प्रसिद्ध साहित्यकार शंकर लाल वासिष्ठ का काव्य संग्रह ‘दो टूक’ सामाजिक विसंगतियों पर बिना लाग-लपेट के सीधी-सीधी बात करता है। 34 कविताओं का यह संग्रह 58 पृष्ठों का है। अधिकतर कविताएं आकार में छोटी हैं, जिन्हें पढ़ने में कोई दुविधा नहीं होती। कमला प्रकाशन सोलन से प्रकाशित इस कविता संग्रह की कीमत मात्र 62 रुपए

प्रशासनिक अधिकारियों को भी हिंदी कविता ने अपनी ओर आकर्षित किया है। दिनभर कार्यालय में फाइलों से जूझते, अपने मातहतों से खिचखिच करते, ऊंची कुर्सी में बैठे राजनेताओं या अधिकारियों के साथ माथा-पच्ची करते जब थकान घेर लेती है, तब कविता उन्हें ठंडक देती है, विश्रांति लाती है, नूतन ऊर्जा देती है। महाराज कृष्ण काव,

कविता एक सांस्कृतिक व सामाजिक प्रक्रिया है। इस अर्थ में कि कवि जाने-अनजाने, अपने हृदय में संचित, स्थिति, स्थान और समय की क्रिया-प्रतिक्रिया स्वरूप प्राप्त भाव-संवेदनाओं के साथ-साथ जीवन मूल्य भी प्रकट कर रहा होता है। और इस अर्थ में भी कि प्रतिभा व परंपरा के बोध से परिष्कृत भावों को अपनी सोच के धरातल

कवि, कथाकार व संपादक अशोक जैन की ‘ज़िंदा मैं’ नाम से चुनिंदा लघुकथाओं का संग्रह प्रकाशित हुआ है। इस संग्रह की अनेक लघुकथाएं प्रकाशित होकर चर्चित हो चुकी हैं। ‘ज़िंदा मैं’ अशोक जैन की प्रतिनिधि, प्रतिरोधमूलक लघुकथा है, जिसमें बड़े भाई द्वारा की गई फज़ीहत का, छोटे भाई द्वारा किया गया प्रतीकात्मक विरोध पाठक की

कविता संग्रह:  बारिश घर लेखिका : डा. गीता डोगरा प्रकाशक : अयन प्रकाशन, नई दिल्ली मूल्य:  250 रुपए यहां कविता हुनर की पताका बनकर उड़ती है, घुंघरुओं की तरह लय में है, तो एडि़यों की रगड़ में घायल होते रहने का संघर्ष बताता है कि यही रीत है और यही इसके जन्म के विपरीत खड़ी

चंद्रकांत सिंह, मो.-8219939068 काव्य-सृजन में परिवेश की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अपने युगीन सच का चित्रण करने वाला कवि ही विशिष्ट है। जिस कविता में परिवेश मुखर नहीं वह शब्दों की बाजीगरी हो सकता है किंतु जरूरी नहीं कि वह कालजयी कृति हो। परिवेश काव्य-संपदा की वास्तविक तराश है

सुदर्शन वशिष्ठ मो.-9418085595 कविता एक सांस्कृतिक व सामाजिक प्रक्रिया है। इस अर्थ में कि कवि जाने-अनजाने, अपने हृदय में संचित, स्थिति, स्थान और समय की क्रिया-प्रतिक्रिया स्वरूप प्राप्त भाव-संवेदनाओं के साथ-साथ जीवन मूल्य भी प्रकट कर रहा होता है। और इस अर्थ में भी कि प्रतिभा व परंपरा के बोध से परिष्कृत भावों को अपनी