विचार

हिमाचल में विकास को तरसती आंखें आज भी अनिश्चय के संदर्भों में उलझी हैं। जब फोरलेन प्रोजेक्ट ने मंडी का सफर तय किया, लोगों ने जमीन पर बारूद उगा दिया और अब कांगड़ा एयरपोर्ट विस्तार के सामने विस्फोट के तौर तरीके बिछा कर सवाल किए जा रहे हैं। लोग तरक्की की फसल काटना चाहते हैं, लेकिन जमीन पर पांव धरने की इजाजत नहीं देते। उन्हें घर की गली तक वाहन चलाने योग्य सडक़ चाहिए, लेकिन अपनी दो इंच जमीन दे

दो पूर्व प्रधानमंत्रियों-चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव-तथा विख्यात कृषि-विज्ञानी, ‘हरित क्रांति’ के प्रणेता एमएस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत-रत्न’ से नवाजने की घोषणा की गई है। वाकई वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे और भारत के अमूल्य ‘रत्न’ रहे हंै। देश के निर्माण और विस्तार में उनका अप्रतिम योगदान रहा है। उन्हें विलंब से ही, लेकिन ‘भारत-रत्न’ देकर देश का राष्ट्रीय सम्मान ही ‘अलंकृत’

अगर देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिले तो यह वायु प्रदूषण रोकने के लिए अच्छी पहल होगी। हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के कारण वाहनों में भी वृद्धि हुई है। इससे वाहनों के कारण वायु प्रदूषण भी बढ़ा है, और यह वायु प्रदूषण देश के बहुत से शहरों के लिए दिन प्रतिदिन सिरदर्द बनता जा रहा है। अगर बढ़ते प्रदूषण के लिए सरकारों के साथ आमजन अभी भी गंभीर नहीं हुआ तो आने वाला समय वायु प्रदूषण के नजरिए से हमारे लिए गंभीर

हम उम्मीद करें कि अब लॉजिस्टिक लागत में लक्ष्य के अनुरूप कमी करके इस समय वैश्विक व्यापार में भारत का जो हिस्सा दो फीसदी से भी कम है, उसे वर्ष 2030 तक बढ़ाकर करीब तीन गुना करने के साथ-साथ निर्यात मूल्य का आकार भी बढ़ाकर 2000 अरब डॉलर किए जाने के चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को भी मुठ्ठी में लिया जा सकेगा। इससे देश 2047 तक विकसित देश बनने की डगर पर आगे बढ़ते हुए दिखाई देगा...

हिमाचल में विधिवत चुनाव की घोषणा से पहले ही तैयारियां शुरू हो गई हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, जो राज्यसभा के सदस्य भी हैं और उनका राज्यसभा का कार्यकाल भी खत्म होने को है, चाहें तो लोकसभा का चुनाव मंडी संसदीय क्षेत्र से लड़ सकते हैं, क्योंकि मंडी सीट अभी कांग्रेस के पास है। यहां पर भाजपा को एक मजबूत नेता चाहिए...

बुद्धिजीवी अपनी कमियां छिपाने के लिए अकेले में संवाद, अकेले में प्रयास और अकेले में प्रवास करता है। दुनिया में इसीलिए कुछ ऐसे काम निश्चित हो गए जिन्हें पूरा करने के लिए बुद्धिजीवी होना जरूरी माना गया है। मसलन देश की ऐसी बातों, तथ्यों, संकल्पों और परिस्थितियों पर विचार करने के लिए बुद्धिजीवी होना जरूरी है, वरना जिन विषयों पर सरकारें गौर नहीं फरमातीं, वहां क्यों कोई चोंच मारता। बुद्धिजीवी अपने आप में और अपने आ

कहानी के प्रभाव क्षेत्र में उभरा हिमाचली सृजन, अब अपनी प्रासंगिकता और पुरुषार्थ के साथ परिवेश का प्रतिनिधित्व भी कर रहा है। गद्य साहित्य के गंतव्य को छूते संदर्भों में हिमाचल के घटनाक्रम, जीवन शैली, सामाजिक विडंबनाओं, चीखते पहाड़ों का दर्द, विस्थापन की पीड़ा और आर्थिक अपराधों को समेटती कहानी की कथावस्तु, चरित्र चित्रण, भाषा शैली व उद्देश्यों की समीक्षा करती यह शृंखला। कहानी का यह संसार कल्पना-परिकल्पना और यथार्थ की मिट्टी को विविध सांचों में कितना ढाल पाया। कहानी की यात्रा के मार्मिक, भावनात्मक और कलात्मक पहलुओं पर एक विस्तृत दृष्टि डाल रहे हैं वरिष्ठ समीक्षक एवं मर्मज्ञ साहित्यकार डा. हेमराज कौशिक, आरंभिक विवेचन के साथ किस्त-43

बहरहाल यदि देश की सियासी व्यवस्था गुरबत का दर्द समझने वाले कर्पूरी ठाकुर जैसे महान नेता के सियासी आदर्शों को तसलीम करने का प्रयास करे तो यकीनन देश में आदर्शवादी सियासत की मिसाल कायम हो सकती है। कर्पूरी का सियासी कद ऊंचा रहेगा...

श्वेत-पत्र का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन यह देश की आजादी के बाद से संसदीय परंपरा जरूर रहा है। श्वेत-पत्र किसी भी सरकार की प्रतिबद्धता का आईना होता है। उसमें सरकार की सोच, नीतियों और जन-कल्याण की योजनाओं का चेहरा झलकता रहता है। मोदी सरकार ने अपने 10-साला कार्यकाल पर श्वेत-पत्र लोकसभा में पेश किया है, तो यह उसका नैतिक और प्रशासनिक दायित्व था, लेकिन 2004-14 की कांग्रेस नेतृत्व की