वैचारिक लेख

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार सुचित्व मिशन के अधिकारियों का कहना है कि यह विधि पर्यावरण रक्षा के लिए उपयोगी और सटीक है तथा इसे बड़े स्तर पर अपनाया जाना चाहिए। हमारे देश में अव्वल तो प्रशासनिक अधिकारी ही इतनी अड़चनें डालते हैं कि कोई काम करना मुश्किल हो जाता है और यदि किसी तरह से

कोरोना ने कई मानसिक अवसादों, शारीरिक रोगों, चिंताओं तथा आशंकाओं को दावत दी है। इस प्राकृतिक आपदा ने दुनिया के प्रकृति प्रेमियों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों तथा शिक्षाविदों तथा राजनीतिज्ञों को दहला कर आत्मचिंतन के लिए विवश कर दिया है। कोरोना वायरस संक्रमण की घटना विश्व के मानवीय इतिहास की सबसे दुखद एवं पीड़ादायक घटना है।

sethsuresh25U@gmail.com नई सदी का नया साल आ गया। क्या लोगों की समझ बदल गई? बात का लहज़ा बदल गया? जीने का तौर-तरीका बदल गया? जी हां, आज वही कामयाब है जो मौका देखकर केंचुल बदल जाए। अभी कुछ चुनाव संपन्न हुए। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है अपना देश। मतदान की बड़ी शक्ति बताई जाती

वर्क फ्रॉम होम के इस कल्चर से फायदा भी और नुकसान भी हुआ। साल 2020 के जून और जुलाई के महीने में करीब 1000 लोगों पर किए गए सर्वे के मुताबिक भारत में वर्क फ्रॉम होम के कल्चर से हर तीन में से एक कर्मचारी ने हर महीने कम से कम तीन हजार से पांच

पेड़ कटेंगे तो क्या नए पेड़ इतनी शीघ्रता से बड़े हो जाएंगे जो हमारे ग्लेशियरों को पिघलने से बचा सकें। अभी भी वक्त है, अगर अपनी आने वाली पीढि़यों को बचाना चाहते हैं तो सरकार को ऐसे निर्णयों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। अवैज्ञानिक एवं अंधाधुंध विकास मानवजाति के विनाश का कारण बन जाए,

अशोक गौतम ashokgautam001@Ugmail.com कुर्सी घर में ही रहे, इसलिए उन्होंने कुर्सी महिला को आरक्षित होने के चलते अपनी जगह अपनी बीवी खड़ी कर दी। पहले तो वे सोचे कि कुर्सी को लेकर बीवी को क्यों घसीटें, क्यों न खुद लिंग ही बदलवा लें। कम से कम बरसों के कुर्सी पर बैठ खाने का उनका अनुभव

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक वास्तव में देश की अर्थव्यवस्था दो भागों में विभक्त हो गई है। एक हिस्सा सार्वजनिक इकाइयों और बड़ी कंपनियों एवं इनके कर्मचारियों का है जो सुदृढ़ है। इस हिस्से को ही हमारे बैंक ऋण दे रहे हैं। मेरी गणना के अनुसार देश की 133 करोड़ जनता में से 10 करोड़ ही

चेतनादित्य आलोक लेखक रांची से हैं गीतांजलि को उसके करिश्माई कार्यों के लिए, अमरीका की प्रसिद्ध टाईम पत्रिका ने ‘किड ऑफ  दि इयर 2020’ नामक प्रतिष्ठित सम्मान से विभूषित किया है। इसके लिए भारतीय-अमरीकी टीनेजर गीतांजलि राव को विश्वभर के 5000 से अधिक प्रतियोगी बच्चों के बीच से चुना गया… वर्ष 2020 में वैसे तो

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं शाम की सैर के दौरान जब अचानक पंडित जॉन अली का पैर गोबर पर पड़ा तो हर बार की तरह दार्शनिक भाव को प्राप्त होने से पूर्व, वह अपने चिर-परिचित अंदाज़ में मेरी ओर यक्ष प्रश्न उछालते हुए बोले, ‘‘अमां यार! गोबर कौन खाएगा?’’ उनका यह बेतुका प्रश्न सुन