वैचारिक लेख

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार मुझे ‘हाउ टु मेक फ्रेंड्स एंड इंफलुएंस पीपल’ का हिंदी अनुवाद ‘लोक व्यवहार’ पढ़ने को मिली। मेरे जीवन पर इस पुस्तक का गहरा प्रभाव रहा है और मेरी सफलता में इस पुस्तक की शिक्षा का भी योगदान रहा है। मेरे बड़े भाई राम कृष्ण खुराना ने मेरे पिता श्री के जीवन

विनय छींटा लेखक, शिमला से हैं लोकतंत्र में जनता का सरकारों पर पूर्ण नियंत्रण रहता है कि जनहितैषी कार्यों को पूर्ण करें। जनता की मांगों पर कार्य करें। वर्तमान की हिमाचल सरकार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम जन मंच ने अनेक सवालों के जवाब भी दिए और अपनी दृष्टि भी स्पष्ट रखी। इस कार्यक्रम का पहला

सुरेश सेठ साहित्यकार देखते ही देखते राजनीति और जनसेवा का रूप कितना बदल गया। हमें लगता है आज के युग में राजनीति करनी है, तो आपको विचार की जगह मारपीट का आसरा लेना होगा। विचार की जरूरत विचारवान को होती है, आज जुनूनी अंधेरे में दौड़ती राजनीति में विचार की जगह नहीं, गाली की जगह

अशोक गौतम साहित्यकार अबके दशहरे में अचानक मेरी नजर राम की तस्वीरें बेचते रावण पर पड़ीं तो पहले तो मैंने सोचा कि बाजार में भगवान तक को बेचने के लिए लोग क्या-क्या रूप धारण नहीं करते? कभी तो वे भगवान बेचने के लिए खुद ही भगवान तक हो जाते हैं, पर श्रद्धालु-भक्तालु उपभोक्ता भक्त तब

कुमार प्रशांत स्वतंत्र लेखक सरदार पटेल को मुस्लिम बहुल कश्मीर में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी और वे कश्मीर से हैदराबाद का सौदा करने की बात कह भी चुके थे, हालांकि इतिहास में दर्ज है कि एकाध बार से ज्यादा सरदार इस तरह नहीं बोले। यह चुप्पी एक रणनीति के तहत बनी थी। भारतीय नेतृत्व समझ

जगदीश बाली स्वतंत्र लेखक कुछ रोज पहले एक शाम रोजाना की तरह टहलते-टहलते मैंने देखा एक छोटा सा बच्चा अपनी बहन के साथ झगड़ रहा है। बच्चे की उम्र कोई छह साल और उसकी बहन की उम्र तकरीबन आठ साल प्रतीत हो रही थी। झगड़ते-झगड़ते अचानक बच्चे ने अपनी बहन को धक्का दिया और बोला,

भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक फरक्का बराज के माध्यम से सरकार ने गंगा के आधे पानी को हुगली में डालने का कार्य किया और आधा पानी बांग्लादेश को पद्मा के माध्यम से जाता रहा। एक विशाल नहर से पानी को फरक्का से ले जाकर हुगली में डाला गया। यह नहर लगभग 40 किलोमीटर लंबी है। इस

हरि मित्र भागी लेखक, धर्मशाला से हैं आज धर्मशाला विधानसभा का चुनाव क्षेत्र उपचुनाव के रंग में रंगा हुआ है। बरसात का मौसम समाप्त हो चुका है व सर्द ऋतु का आगाज हो चुका है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ी रही है वैसे-वैसे चुनाव की गर्मी गर्म फिजाएं अपना रुख दर्शाने लगी हैं। दोनों मुख्य राजनीतिक दलों

अजय पाराशर लेखक, धर्मशाला से हैं हर साल की तरह इस बार भी इंस्पेक्टर पंडित जॉन अली ने दो अक्तूबर को बापू के तीन बंदरों को खादी की नई खाकी यूनिफार्म तो पहनाई, लेकिन उसके बाद उनके मुंह, आंखों और कानों से उनके हाथ हटा दिए। पूछने पर बोले कि अब न ही इन बंदरों