वैचारिक लेख

भूपिंदर सिंह लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं राज्य में खेल संस्थान की मांग पिछले एक दशक से हो रही है, ताकि उसमें प्रशिक्षण दिलाने वाले प्रशिक्षकों को पंजाब व अन्य राज्यों की तरह अनुबंधित किया जा सके। ये ही यहां खोजे गए किशोर खिलाडि़यों को लगातार लंबी अवधि का प्रशिक्षण कार्यक्रम दिलाकर भविष्य के विजेता

पीके खुराना लेखक, वरिष्ठ जनसंपर्क सलाहकार और विचारक हैं एक मजबूत जनतंत्र के लिए हमें अपने जनप्रतिनिधियों पर ‘जनप्रतिनिधि वापसी विधेयक’, ‘गारंटी विधेयक’, ‘जनमत विधेयक’ और ‘जनप्रिय विधेयक’ लाने के लिए दबाव बनाना है। इन कानूनों के अस्तित्व में आने से सरकारी कर्मचारियों एवं जनप्रतिनिधियों पर आवश्यक अंकुश लगेगा, भ्रष्टाचार का अंत होगा, जनता की

प्रताप सिंह पटियाल लेखक, बिलासपुर से हैं यह बात काफी हद तक सही है कि देश की उन्नति के लिए सड़कें, बिजली व बड़े उद्योग लगाने जरूरी हैं, मगर इस अनियंत्रित विकास के नाम पर हजारों की संख्या में अंधाधुंध पेड़ों का कटान व बड़ी मशीनों द्वारा खनन करके प्रकृति के साथ जो खिलवाड़ किया

अश्वनी भट्ट लेखक,  खनियारा, धर्मशाला से हैं जब तक संस्थानों को विद्यालय स्तर पर अधिक स्वायत्तता नहीं दी जाती, तब तक कोई भी कानून व नीति वांछित सुधार नहीं ला सकती क्योंकि इसको लागू करवाने की अंतिम जिम्मेदारी विद्यालय स्तर पर ही तय की जाएगी।वर्तमान में शिक्षण व्यवसाय में भी ऐसे लोगों का प्रवेश हो

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं बिटकॉयन उसी प्रकार है जैसे किसी ओलंपिक मेडल को कोई व्यक्ति लाखों रुपए देकर खरीदने को तैयार हो सकते हैं। सरकार द्वारा जारी किए गए नोट की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार की मान्यता कितनी है। इलेक्ट्रॉनिक करेंसी के पीछे कोई अधिकृत

कुलदीप चंदेल लेखक,  बिलासपुर से हैं नेहरू युवा केंद्र के बारे में लोगों की धारणा बनी है कि यह तो नाचने-गाने वाला संगठन है। यहां नाच-गाने ही होते हैं, यह धारणा बदलनी होगी। इस संगठन को राष्ट्रहित व युवाहित में अधिक सक्रिय करना होगा। आज की युवा शक्ति भटके नहीं, गलत राह पर नहीं चले,

कुलदीप नैयर लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी में अब सर्वेसर्वा बन गए हैं। उन्होंने अपने नजदीकी साथी अमित शाह को पार्टी के अध्यक्ष पद पर प्रतिस्थापित कर दिया है। लेकिन चार साल के शासन के बाद भी यह पता नहीं चल पा रहा है कि वह देश को किस दिशा

हेमांशु मिश्रा लेखक, महाधिवक्ता हैं प्रदेश में नई सरकार की स्थापना के बाद कुछ नए आमूल-चूल परिवर्तन प्रशासन और व्यवस्था में देखने को मिले हैं। अंत्योदय की भावना से काम करती हुई सरकार की प्रतिबद्धता ने अंतिम पायदान में खड़े व्यक्ति को सरकार से आस की नई किरण जगाई है। एक अच्छा बजट पेश कर

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री लेखक, वरिष्ठ स्तंभकार हैं शायद आम जनता के इसी दबाव के चलते प्रदेश के चुनाव आयोग ने नामांकन पत्र दाखिल करने की तारीख बढ़ा दी। उसके बाद सरकार का दबाव बढ़ा होगा तो अगले दिन आयोग ने वह अधिसूचना वापस भी ले ली। भाजपा इस धांधली के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में