नई दिल्ली भाजपा ने गूगल और यूट्यूब पर विज्ञापन के लिए 100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने वाली पहली भारतीय पॉलिटिकल पार्टी बन गई है। गूगल की विज्ञापन ट्रांसपेरैंसी रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मई 2018 से 25 अप्रैल 2024 तक भाजपा ने 102 करोड़ रुपए विज्ञापन के लिए खर्च किए हैं। पिछले पांच सालों में पब्लिश्ड गूगल विज्ञापन में भाजपा का हिस्सा करीब 26 प्रतिशत है।

स्वारघाट, नंगल जिला बिलासपुर के अंतर्गत स्थित नैहलां गांव में गोबिंदसागर झील में लगाया जा रहा करीब 92 करोड़ का प्रोजेक्ट झील में बह गया। करीब दो माह पहले चार मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट का ऑनलाइन शिलान्यास किया था, लेकिन धरातल पर उतरने से पहले ही यह प्रोजेक्ट पानी में बह गया। अब इस प्रोजेक्ट को लेकर इंतजार और बढ़ जाएगा। जानकारी के अनुसार भाखड़ा के डाउन समीप गांव नैहला के पास झील में निजी कंपनी की ओर से फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट को लेकर कार्य किया जा रहा था।

नई दिल्ली केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीफ) ग्रुप केंद्र काठगोदम के मॉन्टेसरी स्कूल में अब बल के जवानों के बच्चों के साथ ग्रामीणों के बच्चे भी बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। सीआरपीएफ परिसर में सामान्य जन के बच्चों को पढ़ाने की स्वीकृति दे दी गई है।

1. संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम अवधि कितनी हो सकती है? (क) 3 माह (ख) 6 माह (ग) 9 माह (घ) 12 माह 2. ऋतुसंहार, कुमारसंभव तथा ‘रघुवंशम’ किसकी रचनाएं हैं? (क) वेदव्यास (ख) तुलसीदास (ग) रविंद्रनाथ टैगोर (घ) कालिदास 3. महाबलीपुरम के रथ मंदिर का निर्माण किस पल्लव शासक ने करवाया था?

नई दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ स्टडीज ने सितंबर, 2024 और जनवरी, 2025 में सीए परीक्षा के लिए फाउंडेशन और इंटरमीडिएट कोर्सेज के लिए एनरोलमेंट की आखिरी...

धर्मशाला हिमाचल प्रदेश की राजनीति में जिला कांगड़ा का अहम रोल रहता है। या ऐसे कह लें कि सत्ता का रास्ता कांगड़ा से होकर ही गुजरता है, तो यह भी गलत नहीं होगा। इसलिए लोकसभा चुनावोंं के दौरान भी कांगड़ा पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हुई हंै।

कहानी के प्रभाव क्षेत्र में उभरा हिमाचली सृजन, अब अपनी प्रासंगिकता और पुरुषार्थ के साथ परिवेश का प्रतिनिधित्व भी कर रहा है। गद्य साहित्य के गंतव्य को छूते संदर्भों में हिमाचल के घटनाक्रम, जीवन शैली, सामाजिक विडंबनाओं, चीखते पहाड़ों का दर्द, विस्थापन की पीड़ा और आर्थिक अपराधों को समेटती कहानी की कथावस्तु, चरित्र चित्रण, भाषा शैली व उद्देश्यों की समीक्षा करती यह शृंखला। कहानी का यह संसार कल्पना-परिकल्पना और यथार्थ की मिट्टी को विविध सांचों में कितना ढाल पाया। कहानी की यात्रा के मार्मिक, भावनात्मक और कलात्मक पहलुओं पर एक विस्तृत दृष्टि डाल रहे हैं वरिष्ठ समीक्षक एवं मर्मज्ञ साहित्यकार डा. हेमराज कौशिक, आरंभिक विवेचन के साथ किस्त-53

तकनीक ने जीवन आसान बना दिया है। अब किसी काम को करने के लिए ज्यादा शारीरिक मेहनत नहीं करनी पड़ती। लेकिन ये आराम नुकसानदायक भी हो सकता है। क्योंकि इसने हमारे बैठे रहने के समय को बढ़ा दिया है...