भूपिंदर सिंह

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक खेल विभाग के आरक्षण सैल की कमेटी खिलाडि़यों की वरिष्ठता सूची तय करती है और फिर इस सूची को वापस उसके विभाग को भेजा जाता है। कैटेगरी चार के खिलाडि़यों को कमीशन या विभाग द्वारा ली गई भर्ती परीक्षा में न्यूनतम पास अंक प्राप्त करने वाले खिलाड़ी प्रतिभागियों की सूची

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक हिमाचल प्रदेश के स्कूली लड़कों ने भी कुछ वर्ष पहले अडंर 17 वर्ष आयु वर्ग में हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक हासिल किया था। स्कूल स्तर की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिमाचल प्रदेश का प्रदर्शन सम्मानजनक खेल छात्रावासों के कारण रहता है। हिमाचल प्रदेश में स्कूली स्तर पर

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक हिमाचल प्रदेश में लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम का कोई भी प्रावधान अभी तक नहीं बन पाया है। हिमाचल प्रदेश राज्य युवा सेवाएं एवं खेल विभाग के प्रशिक्षकों को कभी विभिन्न विभागों की भर्तियों में ड्यूटी तो कभी मेलों व उत्सवों में हाजिरी भरनी पड़ती है। खेल प्रशिक्षक की नियुक्ति ही उच्च

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक हिमाचल प्रदेश में रह कर प्रशिक्षण प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करना बहुत कठिन है। यही कारण है कि राज्य में अच्छा प्रशिक्षण कार्यक्रम न होने के कारण प्रतिभाशाली खिलाड़ी अधिकतर हिमाचल से पलायन कर जाते हैं। कनिष्ठ स्तर पर प्रतिभा खोज के बाद खिलाडि़यों के लिए स्कूली

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक कुछ दशकों से राष्ट्रीय स्तर के खेल परिणामों में काफी उन्नति हुई है। इस का मुख्य कारण खेल ढांचे में वैज्ञानिक तकनीकी से आधुनिकीकरण है। इस बात को ध्यान में रख कर पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने अपने पहले कार्यकाल में आधुनिक खेल ढांचे की रूप रेखा तैयार

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक खेल चाहे वह क्रिकेट का हो, फुटबाल का हो या फिर एथलेटिक्स का, सभी जगह पैसा ही सब कुछ बनता जा रहा है। इसी व्यवस्था की दौड़ में खेलों में रिश्वत, सट्टे और डोपिंग की नई शब्दावली विकसित हुई है। यह शब्दावली केवल रेस कोर्स के मैदानों पर नहीं बल्कि

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक जब किशोर अवस्था से युवा अवस्था की ओर आप अग्रसर हो रहे होते हैं तो इस समय हमारी शारीरिक क्षमता में काफी अंतर होता है। यह अंतर अगर छह महीने से लेकर एक वर्ष तक का हो तो भी यह खेल प्रदर्शन को काफी हद तक ऊपर-नीचे कर देता है।

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक भारतीय खेल प्राधिकरण अपने यहां चुनिंदा प्रतिभावान खिलाडि़यों पर सालाना औसतन दो लाख रुपए प्रति खिलाड़ी खर्च करता है। खेल छात्रवासों के अधिकतर खिलाड़ी हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पदक देने की बात तो दूर रही मगर वे अपना नाम राज्य की पदक तालिका में नहीं लिख पाते हैं, मगर

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक   इसमें कोई संदेह नहीं कि ओलंपिक खेलों की लोकप्रियता बढ़ने के साथ-साथ खेलों में राष्ट्रीयता की भावना में बढ़ोतरी हुई है। आज अधिक से अधिक देश ओलांपिक खेलों में भाग ले रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप काफी कठिन खेल प्रतियोगिताएं हो गई हैं। इसके लिए विकसित देशों ने भविष्य के