आस्था

हार्मोन असंतुलन के कारण हम कई रोगों की गिरफ्त में आ जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम हार्मोन लेवल को संतुलित बनाए रखें। आपको यह बता दें कि हार्मोन का संतुलन हमारी लाइफ को हेल्दी रखने में बेहद जरूरी है। लेकिन आज बदलती लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण हम हार्मोन असंतुलन के शिकार

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 लेखक का सदा प्रयत्न रहा है कि सभी विधाओं व क्षेत्रों से संबंधित विषयों पर विचार प्रस्तुत किए जाएं। यदि समीक्षात्मक अध्ययन करें तो पूर्व सामाजिक कालखंडों की तुलना में निस्संदेह आज के समाज की मानसिकता बीमार हो गई है। बेशक विज्ञान व तकनीकी क्षेत्र में

* भरोसा सब पर कीजिए, लेकिन सावधानी से, क्योंकि कभी-कभी खुद के दांत भी जीभ को काट लेते हैं * दुनिया की हर परेशानी आपकी हिम्मत के आगे घुटने टेक देती है * कष्ट और विपत्ति मनुष्य को सबक देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं। जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं, वे विजयी होते

परीक्षाओं के दौरान बच्चों पर पढ़ाई का तनाव बढ़ जाता है और अनियमित दिनचर्या से बच्चों की भूख अकसर कम हो जाती है। ऐसे में पौष्टिक आहार बच्चे को ज्यादा सजग, ज्यादा तीक्ष्ण बुद्धि और ज्यादा ऊर्जावान बनाए रख सकता है, जबकि दूसरी ओर अनुचित भोजन उनको सुस्त और चिड़चिड़ा बना सकता है… अब जबकि

श्रीश्री रवि शंकर मन के अंदर होने वाली घबराहट को अकसर डर कहा जाता है। हमारे जीवन में कई ऐसी बातें होती हैं, जिनके बारे में सोचकर हम घबराने लगते हैं या फिर अंदर ही अंदर डर लगने लगता है। तो इस मानसिक डर का इलाज कैसे किया जाए और मन से डर को कैसे

बाबा हरदेव गतांक से आगे.. अब तुम मुझे बिछोड़ा न देना। प्रभु के प्रेम में डूबे व्यक्ति को अकसर लोग अंधा, पागल तथा दीवाना कहते हैं। वह अंधा तो है क्योंकि उसे अपने प्रियतम प्रभु के सिवाय कुछ नजर नहीं आता। सब में एक प्रभु को ही देखता है। पागल इसलिए है क्योंकि उसे केवल

श्रीराम शर्मा एकाग्रता की उपयोगिता और क्षमता से सभी परिचित हैं। साहित्यकार, कलाकार, वैज्ञानिक, अभिनेता, शिल्पी, व्यापारी अपनी कल्पना शक्ति को एकाग्र करके उससे संभावनाओं का विवेचन, विश्लेषण करते हैं और आवश्यक काट-छांट के उपरांत किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, किसी निर्धारण को अपनाते हैं।प्राय: सभी बुद्धिजीवियों को यही करना पड़ता है। आर्किटेक्ट इमारतों के

माघ पूर्णिमा या माघी पूर्णिमा का हिंदू धर्म में बड़ा ही धार्मिक महत्त्व बताया गया है। वैसे तो हर पूर्णिमा का अपना अलग-अलग माहात्म्य होता है, लेकिन माघ पूर्णिमा की बात सबसे अलग है। इस दिन संगम (प्रयाग) की रेत पर स्नान-ध्यान करने से मनोकामनाएं पूर्ण तो होती ही हैं, साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। मघा नक्षत्र के

आरम्भिक कालों से ही गंगा या किसी बहते जल में प्रात:काल माघ मास में स्नान करना प्रशंसित रहा है। सर्वोत्तम काल वह है जब नक्षत्र अब भी दीख पड़ रहे हों, उसके उपरांत वह काल अच्छा है जब तारे दिखाई पड़ रहे हों, किंतु अभी वास्तव में दिखाई नहीं पड़ा हो। जब सूर्योदय हो जाता है तो वह काल स्नान के लिए अच्छा काल नहीं कहा जाता है...