आस्था

* खुद को एक सोने के सिक्के जैसा बनाइए जो कि अगर नाली में भी गिर जाए, तो भी उसकी कीमत कम नहीं होती * कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण हैं, जो साहस के साथ उनका सामना करते हैं वे विजयी होते हैं * जिस तरह एक सुगंध भरे वृक्ष

गतांक से आगे… प्रेम में भगवान के साथ ज्ञान,कर्म और आनंद तीनों पक्षों से हम फल का अनुभव करेंगे। ज्ञान और कर्म प्रेम की वृद्धि के साधन हैं। आनंद से ही ये जीव उत्पन्न होते हैं। आनंद से ही जीते हैं और आनंद को ही प्राप्त होकर उसमें लीन हो जाते हैं। एक बार श्रीराम

श्रीराम शर्मा जहां मन और आत्मा का एकीकरण होता है, जहां जीव का इच्छा रुचि एवं कार्य प्रणाली विश्वात्मा की इच्छा रुचि प्रणाली के अनुसार होती है, वहां अपार आनंद का स्रोत उमड़ता रहता है, पर जहां दोनों में विरोध होता है, जहां नाना प्रकार के अंतद्र्वंद चलते रहते हैं, वहां आत्मिक शांति के दर्शन

सलाद की बात करें, तो इसका सेवन सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा बेहतरीन होता है। इसके सेवन से शरीर से जुड़ी कई समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसका सेवन आमतौर पर वेट को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि ये सिर्फ वेट ही कंट्रोल नहीं करता है,

ओशो हंसी कुछ ऊर्जा तुम्हारे अंतर्केंद्र से परिधि पर ले आती है। ऊर्जा हंसने के पीछे छाया की भांति बहने लगती है। तुमने कभी इस पर ध्यान दिया? जब तुम वास्तव में हंसते हो, तो उन थोड़े से क्षणों के लिए तुम एक गहन ध्यानपूर्ण अवस्था में होते हो। विचार प्रक्रिया रुक जाती है। हंसने

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952 प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सर विलियम मैकडूगल ने व्यक्ति के व्यवहार की बहुत सी मनोप्रवृत्तियों पर कई किताबें लिखी हैं। जिनमें जन्मजात प्रवृत्तियों एव जन्मोपरांत वातावारणानुसार विकसित प्रवृत्तियों का विस्तृत विवरण दिया गया है। जन्मजात जैविक प्रवृत्तियों की गिनती नौ दर्शाई गई है। जिनमें भूख, प्यास, कामुकता, दिखावे

शबबरात इस्लामिक कैलेंडर में मुस्लिमों के आठवें माह शाबान की चौदहवीं या पंद्रहवीं रात को कहा जाता है। यानी वह रात, जब अपने उन नाते-रिश्तेदारों की रूह के सुकून के लिए दुआ मांगी जाती है, जो इस दुनिया में नहीं हैं।

भगवान श्रीकृष्ण की माता मैया यशोदा वात्सल्य की देवी हैं। उनकी गोद में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण खेले, ऐसा यश और किसी को प्राप्त नहीं हुआ। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष के छठे दिन यानी षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है।

ललिता राधाजी की अष्टसखियों में से एक थीं। इन्हें सभी सखियों में प्रधान स्थान प्राप्त था। ये राधा-कृष्ण की निकुंज लीलाओं की भी साक्षी थीं। ललिता राधा को सुख प्रदान कराने वाली प्रमुख सखी और उनकी विविध लीलाओं में सहगामी थीं।