डा. अश्विनी महाजन, कालेज एसोशिएट प्रोफेसर

भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते पर 2017 से ही चर्चा चल रही है। लेकिन अभी तक इस समझौते को मूर्त रूप नहीं मिल पाया है। कई बार तो यह समझौता इतना नजदीक नजर आता था कि मीडिया ने एफटीए के मुख्य तत्वों की घोषणा भी कर दी थी, लेकिन अचानक कुछ बाधाएं सामने आतीं और एफटीए ठंडे बस्ते में चला जाता। आखिरी बार ऐसी घटना 2020 में हुई थी। मीडिया में खबरें आ रही थीं कि भारत-अमेरिका एफटीए पर हस्ताक्षर होने वाले हैं और यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) का भारत दौरा प्रस्तावित था, लेकिन अचानक हमें पता चला कि यूएसटीआर ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया है और तब से भारत-अमेरिका एफटीए पर कोई चर्चा नहीं हुई। हाल ही में इस एफटीए, तो कभी सीमित एफटीए के बारे में खबरें फिर से आना शुरू हुई। पिछले चार महीनों में

कुछ दिन पहले नीति आयोग के एक वर्किंग पेपर में भारत सरकार को सिफारिश की है कि वर्तमान में प्रस्तावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में जैव परिवद्र्धित (जीएम) कृषि उत्पादों के आयात को अनुमति दे दी जाए। इसमें नीति आयोग ने मक्का, सोयाबीन जैसी फसलों का उदाहरण भी दिया है, जिनके आयात को खोल दिया जाना चाहिए। वर्किंग पेपर में यह भी राय दी गई है कि सरकार इस समझौते में उन कृषि उत्पादों के आयात को भी खोलने का प्रस्ताव करे जिन्हें भारत में या तो पैदा नहीं किया जाता है या उनका उत्पादन इतना कम है कि उनके आयात से किसानों पर खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस संबंध में वर्किंग पेपर में चावल, काली मिर्च, सोयाबीन तेल, झींगा, चाय, कॉफी, डेयरी उत्पादन, पोल्ट्री, सेब, बादाम, पिस्ता आदि का उदाहरण दिया गया है, जिनके आयात को नीति आयोग ने खोलने की सिफारिश की है। इस वर्किंग पेपर की सिफारिशों के बाद भारतीय किसान संघ सहित किसान संगठनों की कड़ी प्रतिक्रिया आई है औ

अनुमान है कि 2024-25 तक अत्यधिक गरीबी घटकर लगभग 3.4 प्रतिशत रह जाएगी, यानी अनुमानत: देश में 40.55 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं...

ऐसे में देश में इलेक्ट्रिक वाहनों का घरेलू उत्पादन बढऩा हर दृष्टि से महत्वपूर्ण है। विदेशी कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में निवेश करने को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं, इसका एक और कारण यह है कि टाटा और महिंद्रा जैसी घरेलू कंपनियां अपने विदेशी प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बहुत कम लागत पर इलेक्ट्रिक वाहन बना रही हैं...

पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ भारत द्वारा छेड़े गए युद्ध के केवल चार दिनों के बाद, हालांकि युद्धविराम ने इस आतंकवादी राष्ट्र को और अधिक नुकसान से बचा लिया है, लेकिन इस छोटी सी अवधि में पाकिस्तान को निश्चित रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। और अगर हम संघर्ष के इन चार दिनों को देखें, तो भारत निश्चित रूप से अपनी रक्षा क्षमताओं, विशेष रूप से स्वदेशी रक्षा उपकरणों को वैश्विक स्तर पर अपने संबंधित श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ के बराबर या उससे भी बेहतर प्रदर्शित करने में सक्षम रहा है। भारत सरकार के प्रेस सूचना ब्यूरो के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय प्रणालियों द्वारा शत्रु की प्रौद्योगिकियों को बेअसर करने के ठोस सबूत भी पेश किए- चीनी पीएल-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, तुर्की मूल के यूएवी, लंबी दूरी के रॉकेट, क्वाडकॉप्टर और वाणिज्यिक ड्रोन के टु

यूरोपीय देश, जो भारत से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अन्य प्रकार के सहयोग से बचते थे, अब भारत को प्रतिरक्षा के क्षेत्र में भी वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल करने के लिए आतुर हैं...

अब जब भारत दुनिया के लिए विनिर्माण केंद्र बनने की आकांक्षा रखता है, तो वह चीन से डंपिंग के किसी भी नए दौर को बर्दाश्त नहीं कर सकता, क्योंकि यह उसके आत्मनिर्भर भारत के सपने को खतरे में डाल सकता है...

भारत के बारे में एक आम धारणा यह है कि भारत भयंकर भूख से पीडि़त देश है। अगर हम वेल्टहंगरहिल्फ की रिपोर्ट पर यकीन करें तो आज भी भारत 127 देशों की सूची में भूख के मामले में 105वें स्थान पर है। लेकिन सच यह है कि आज भारत में बड़ी संख्या में लोग वजन कम होने से कम, बल्कि मोटापे की समस्या से ज्यादा पीडि़त हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से खाद्य तेलों का इस्तेमाल कम से कम 10 प्रतिशत कम करने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी है कि साल 2050 तक भारत में 44 करोड़ लोग मोटापे की समस्या से पीडि़त होंगे, जो कई बीमारियों की जड़ है। गौरतलब है कि स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर और स्ट्रोक समेत कई बीमारियां मुख्य रूप से मोटापे की वजह से होती हैं। राष्ट्री

आज जब दुनिया भर के देशों के बीच विभिन्न प्रकार के अवरोध और असमंजस बढ़ रहे हैं, भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत इस क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग संगठन का महत्व और बढ़ जाता है। भारत ने पिछले एक दशक में जो तकनीकी और आर्थिक प्रगति की है, इस क्षेत्र के लोग उससे प्रभावित हैं। कनेक्टिविटी का मामला हो अथवा डिजिटाइजेशन की बात हो, भारत आज इस स्थिति में है कि इस क्षेत्र के देशों को मदद कर सके...

राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद ट्रंप ने वैश्विक मुक्त व्यापार व्यवस्था पर सीधा हमला करना शुरू कर दिया है। वही अमेरिका, जो विश्व व्यापार संगठन की बातचीत और गठन में सबसे आगे था, और दुनिया भर में मुक्त व्यापार का सबसे बड़ा पैरोकार था, अब संरक्षणवाद की वकालत कर रहा है...