डा. अश्विनी महाजन, कालेज एसोशिएट प्रोफेसर

भारत सरकार को सजग रहते हुए एपीआई के क्षेत्र में चीन द्वारा की जा रही डंपिंग को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करने होंगे। अन्य रसायनों के क्षेत्र में भी यह बात लागू होती है...

इन सब प्रयासों के मद्देनजर सरकार द्वारा प्रोत्साहित सभी क्षेत्रों में निवेश में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल रही है। इससे आयातों पर अंकुश लगेगा व निर्यातों को भी प्रोत्साहन मिलेगा...

अन्य राज्यों में भी शराब पर उच्च उत्पाद शुल्क लगाया जाता है और इसका उद्देश्य कभी भी बड़ा राजस्व कमाना नहीं होता। बहरहाल यह ठीक नहीं कि केजरीवाल राजनीतिक प्रतिशोध के शिकार हैं...

केंद्रीय राजस्व में हिस्सेदारी के अलावा, इन राज्यों को महत्वपूर्ण राजस्व घाटा अनुदान भी दिया गया। राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय सद्भाव के मुद्दों पर हमें अलगाववादी बयानों से बचना चाहिए...

अपनी ऋण जाल कूटनीति के माध्यम से चीन बीआरआई में भाग लेने वाले देशों से प्रमुख रणनीतिक संपत्ति और स्थान छीनने में सक्षम हो गया है। इसलिए इसे रोकने की जरूरत थी...

इस प्रावधान पर सर्वोच्च न्यायालय ने आपत्ति जताई है और कहा है कि चुनावी चंदे के लेन-देन में समुचित पारदर्शिता होनी चाहिए। अभी इस ताजा फैसले में अदालत ने इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था को रोक दिया है और कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करना बंद कर दे। सर्वोच्च न्यायालय की प्रमुख आपत्ति पारदर्शिता को लेकर ही है। जो व्यवस्था इलेक्टोरल बॉन्ड के आने से पहले से थी और जिस प्रकार राज

गौरतलब है कि कर्मचारियों का योगदान इस योजना में वेतन का 12 प्रतिशत रखा गया था। इस संबंध में जिन कर्मचारियों की पात्रता पाई गई, उनके संबंध में उन्हें डिमांड नोटिस जारी कर दिए गए। गौरतलब है कि इस संबंध में विकल्प उन्हीं कर्मचारियों द्वारा भरे जा सकते हैं, जो 1 सितंबर 2014 को अथवा उससे पूर्व सेवा में थे। इस संबंध में 17.5 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं। कर्मचारियों को पेंशन में वृद्धि हेतु कुछ समय लग सकता है...

समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार का कर्ज, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में और घटेगा और रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग को बढ़ा सकती हंै। इसका असर यह हो सकता है कि निवेशक भारत में और अधिक आकर्षित होंगे। निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि अंतरिम बजट की मर्यादा रखते हुए वित्त मंत्री ने राजकोषीय संयम को दर्शाते हुए सरकार की कल्याणकारी और विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने वाला दस्तावेज पेश किया है...

जनवरी 15 से 19 के बीच दुनिया के एक महत्वपूर्ण मंच, वल्र्ड इक्नॉमिक फोरम, का सम्मेलन डावोस (स्विट्जरलैंड) में सम्पन्न हुआ। वर्ष 1971 में अस्तित्व में आया वल्र्ड इक्नॉमिक फोरम, पिछले लगभग 53 साल से वैश्विक आर्थिक संरचना पर चर्चा करने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था के नाते उभरा है। व्यापार, भू-राजनीति, सुरक्षा, सहकार, ऊर्जा से लेकर पर्यावरण और प्रकृति समेत अनेकानेक मुद्दों पर इस मंच पर चर्चा होती रही है। आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी हस्तियों ने डावोस के इस सम्मेलन में भाग लिया। 60 देशों के शासनाध्य

आज आवश्यकता इस बात की है कि धार्मिक एवं तीर्थ पर्यटन की संभावनाओं के अनुरूप इन क्षेत्रों का विकास करते हुए देश के विकास में इनके योगदान को बढ़ाया जाए। इसके लिए मंदिरों का जीर्णोद्धार, सस्ते और महंगे सभी प्रकार के होटलों का निर्माण, इन्फ्रास्ट्रक्चर और नागरिक सुविधाओं का विस्तार और इन केन्द्रों में पर्यटन सू