भारत डोगरा, स्वतंत्र लेखक

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार को योजनाबद्ध ढंग से आवंटन बढ़ाना चाहिए। शिक्षा में विषमताओं को दूर करना होगा… बेशर्मी से केन्द्रित होती पूंजी और व्यापक रूप से फलती-फूलती गरीबी ने हमारे यहां जिस तरह की अश्लील गैर-बराबरी को खड़ा कर दिया है उससे निपटने की तजबीज आखिर कौन देगा? ऑक्सफैम सरीखे

जीएम सरसों का प्रवेश बहुत ही खतरनाक होगा। अनेक विशेषज्ञ पहले ही बता चुके हैं कि जीएम सरसों के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने के दावे निराधार हैं। अनेक डाक्टरों व स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसके स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में चेतावनी दी है। दूसरी ओर सरकारी पक्ष द्वारा अन्य जीएम फसलों को लाने की बात

यह हमारा कत्र्तव्य है कि हम अपने आसपास के पशुओं पर गौर करें… हमारे हिंदू समाज में जहां गाय को एक माता के रूप में पूजा जाता था तथा कुत्ते को एक वफादार जानवर माना जाता था, आज के समय में बाकी जानवरों के मुकाबले इन्हीं की सबसे ज्यादा दहशत है। जहां किसी समय कुत्तों

चुनाव कानूनों में आजादी के बाद से काफी महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, लेकिन निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के महत्व को कम नहीं किया जा सकता है… हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही जहां राजनीतिक पार्टियां सक्रिय होने लग पड़ी हैं, वहीं मतदाताओं की नब्ज को टटोलने का काम भी शुरू कर दिया

इस समय तो जरूरत इस बात की है कि निर्धन व जरूरतमंद वर्ग को सीधे-सीधे राहत मिले, उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक पैसा उनके हाथ में आए और देश की अर्थव्यवस्था की समतामूलक रिकवरी का मार्ग प्रशस्त हो। सवाल यह है कि बजट ने तो जरूरतमंदों को वह राहत नहीं दी जिसका

कुछ देशों में यह देखा गया है कि कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों, चंद अरबपतियों व अन्य शक्तिशाली स्वार्थों ने इस आपदा की स्थिति के इस तरह दुरुपयोग किए जिससे इन देशों की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर उनका नियंत्रण बहुत बढ़ गया। नतीजे में ये देश स्वार्थी कंपनियों पर निर्भर हो गए व उनका स्वास्थ्य बजट केवल

आज जरूरत इस बात की है कि पर्यावरण रक्षा के कार्यों को इस तरह आगे बढ़ाया जाए कि उनके साथ मेहनतकश लोगों व कमजोर वर्गों के हित भी जुड़ जाएं। यदि ऐसा संभव हो तो पर्यावरण रक्षा और आजीविका की रक्षा इन दोनों सार्थक उद्देश्यों का आपस में समन्वय हो जाएगा। पर्यावरण भी बचेगा और

क्यूबा की एक सराहनीय नीति यह रही है कि जब कोई देश संकट में होता है तो वहां सहायता भेजने के लिए तत्पर रहता है। इसके लिए यहां डाक्टरों के विशेष दल तैयार किए गए हैं। ये डाक्टर कठिन स्थितियों में सेवा भाव से दूर-दूर जाने के लिए तैयार रहते हैं। अभी तक डाक्टरों के

इस तरह राष्ट्रीय, राज्य, शहर, पंचायत स्तर पर जो भी आंकड़े सरकार के पास उपलब्ध हैं, वे लोगों की सामान्य जानकारी में आते रहेंगे व एक सामान्य वर्ष के आंकड़ों से तुलना करते हुए अतिरिक्त मृत्यु की जानकारी भी उपलब्ध होती रहेगी। यह समुचित नीतियों के लिए बहुत जरूरी है। जरूरी जानकारियां व आंकड़े केन्द्र

महात्मा गांधी के स्वदेशी के सिद्धांत का महत्त्व भी नए सिरे से रेखांकित हो रहा है। औपनिवेशिक शासन के दौरान भारत में बहुत अन्यायपूर्ण ढंग से आयात किए गए, जिसके कारण हमारी दस्तकारियां तेजी से उजड़ने लगीं। अतः स्वदेशी का एक आरंभिक संदर्भ यह था कि ऐसे अन्याय का सामना हम अपने यहां के उत्पादों