डा. वरिंदर भाटिया

इसके बावजूद कोरोना टीकाकरण की जंग में हम सबके हौसले हिमालय से ज्यादा ऊंचे थे और ऐसी अनेक मुश्किलों की मौजूदगी के चलते कोरोना टीकाकरण का 100 करोड़ का लक्ष्य प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती थी। इसके लिए सभी को बराबर का आभार मिलना चाहिए। एक सफल टीकाकरण अभियान ने न केवल लोगों, व्यापार और

कोरोना काल के बाद से उच्च शिक्षा से जुड़े छात्रों और अध्यापकों के लिए ई-कंटेंट का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। देश के अनेक राज्यों में अनेक विश्वविद्यालयों और अनेक कॉलेजों ने ई-कंटेंट को विकसित करके छात्रों को उपलब्ध करने की ओर ध्यान नहीं दिया है। मध्य प्रदेश ने इसकी शुरुआत की है। अन्य

टाटा ग्रुप ने भावनाओं के चलते महाराजा यानी एयर इंडिया को ख़रीदा है। उम्मीद है कि उनके तजुर्बे और भावनात्मक लगाव से कई वर्षों से लॉस में चल रही एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति ठीक हो सकती है। टाटा गु्रप सामाजिक जिम्मेवारी के लिए भी जाना जाता है… देश की पुरानी एयर लाइन कंपनी एयर

मैं यह मानता हूँ कि यह भारतीय युवाओं को दी जा रही मूल्य-विहीन शिक्षा का नतीजा है। हमारे युवाओं के आदर्श अब विवेकानंद जी नहीं रहे, भगत सिंह जी इत्यादि नहीं रहे हैं, बल्कि बॉलीवुड के बिगड़े शहजादे हैं। यह समाज के लिए चिंता का विषय है। युवाओं पर नजर रखी जानी चाहिए। इसके प्रसार

पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के भुगतान संकट के गंभीर होने की आशंका है। इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के दौरान भुगतान संतुलन के बढ़ते संकट के कारण दबाव में रहेगी। देश को 2021-22 के लिए 12 अरब अमेरिकी डॉलर से

शिक्षक समाज का एक सदस्य होता है व उसमें ही वह विकसित होता है। अत: समाज व संस्कृति का प्रभाव उसके आचरण व विचारों पर पड़ता है एवं समाज उन्हीं अध्यापकों को अच्छा समझता है जो सांस्कृतिक विरासत व मूल्यों का सम्मान करते हंै। चूंकि ऐसा ही शिक्षक बच्चे को सही दिशा दिखा सकता है।

नीति का क्रियान्वयन कितना मुश्किल है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी शिक्षा के लिए आवंटित फंड का पूरा इस्तेमाल भी नहीं हो पाता। शिक्षा में सुधार के लिए सबसे जरूरी यह है कि शिक्षण संस्थाओं की स्वायत्तता को हर कीमत पर कायम किया जाए। उम्मीद है कि केवल कागजी

तालिबान से बातचीत करने के लिए यदि चाहे तो भारत रूस की मदद ले सकता है ताकि भारत के हितों की सुरक्षा अफगानिस्तान में हो सके। इसके अलावा सऊदी अरब और यूएई पर भी भारत की नजऱें टिकी हैं कि वो आगे क्या करते हैं। 1990 में पाकिस्तान, यूएई और सऊदी अरब ने तालिबान को

आज पंडित नेहरु हमारे बीच नहीं हैं। उनका आजादी के अवसर पर कहा गया एक-एक शब्द बहुत बड़े मायने रखता है और उनके विचारों से एकमत न रखने वालों के लिए भी प्रासंगिक है। ऐसे अनेक कारणों से पंडित नेहरु देश के प्रधानमंत्री और आम जन के लिए आधुनिक भारत की नींव रखने वाले प्रेरणा

स्पष्ट और कटु शब्दों में कहा जाए और पिछले 30 साल के आर्थिक सुधारों का आलोचनात्मक विश्लेषण किया जाए तो यह साफ है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कुछ चुनिंदा धन कुबेर लोगों की गिरफ्त में है। आज जिसके पास पैसा है, उसके आगे बढ़ने की संभावना दूसरों से ज्यादा है… हाल ही में 24 जुलाई को