ब्लॉग

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक   भाजपा का कहना था कि कांग्रेस में निर्णय लेने की क्षमता नहीं रह गई थी। भाजपा अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाएगी जिससे कि तमाम रोजगार उत्पन्न होंगे। बीते समय में तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भारत को शाबाशी भी दी है। कहा है कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं अफसरों की चुनावों में व्यस्तता के कारण इन दिनों हिमाचल प्रदेश के बाजारों में महंगाई बेलगाम होती जा रही है। ऐसे लगता है जैसे फल एवं सब्जियों के विक्रेताओं में नियम-कायदे और कानून का कोई खौफ  नहीं है और वह मनमाने दामों पर सब्जियां और फल बेचकर मोटा

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार अब असली प्रश्न जिस पर विचार करना जरूरी हो गया है, वह यह है कि आखिर ये लोग जो हिंदोस्तान में बैठकर पाकिस्तान के हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं, वे लोग कौन हैं? जो लोग दावा करते हैं कि यदि वे न चाहते, तो हिंदोस्तान ही न होता,

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार राज्य को कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में काम करने के लिए एक्शन प्लान बनाने की जरूरत है। मिसाल के तौर पर नंबर-1. पर्यावरण संरक्षण, 2. ईको फ्रेंडली इंडस्ट्री, 3. पर्यटन, 4. जॉब्स उपलब्ध करवाने के लिए स्माल स्केल के इंटरप्राइज का विकास, 5. उद्योग की ओवर रेगुलेटिंग व राजनीतिकरण को

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक आज आशीष एशियाई मुक्केबाजी प्रतियोगिता के सेमीफाइनल में पहुंचकर पदक विजेता तो बन ही गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस स्टार मुक्केबाज को आउट ऑफ टर्न पदोन्नति देकर इसके हौसले को इतना बुलंद कर दे कि यह प्रतिभावान खिलाड़ी अगले वर्ष ओलंपिक क्वालिफाई के लिए अधिक से

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार स्पष्ट है कि मोदी ग्रैंडमास्टर हैं। अपनी नायाब चाल से उन्होंने चुनाव का नेरेटिव ही बदल दिया है। मुद्दे पीछे छूट गए हैं और प्रज्ञा के अंटशंट बयान सबकी चर्चा का केंद्र बन गए हैं। इस बीच हम सब भूल गए हैं कि प्रज्ञा सिर्फ एक सीट से चुनाव लड़ रही

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं बैंकिंग व्यवस्था में सेंध लगाने वाले हैकर्स और साइबर अपराधियों से आम नागरिकों को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए विशेष उपाय खोजने की जरूरत भी है। बैंकिंग सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों और अफसरों की कुछ समस्याएं भी हैं, जिनका समाधान होना अनिवार्य है… हिमाचल प्रदेश

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक देश की सरकार यदि चाहे तो यूबीआईएस के लिए धन जुटा सकती है। गणित इस प्रकार है। केंद्र सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं पर निम्न प्रकार के खर्च किए जा रहे हैं – खाद्य सबसिडी पर 140000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष, रोजगार गारंटी एवं दूसरी कल्याणकारी योजनाओं पर 136000 करोड़ तथा

अनुज कुमार आचार्य लेखक, बैजनाथ से हैं   आज खाद्य पदार्थों, सब्जियों, फल, चिकन-अंडे, दूध-दही इत्यादि की आपूर्ति के लिए हम पूर्णतया पड़ोसी राज्यों से आने वाली रसद पर निर्भर हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों में परिश्रम, ट्रेनिंग और रुचि लेकर बेहतर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। युवाओं को चाहिए कि वे कृषि एवं