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डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार   यह ठीक है कि भारतीय समाज ने विदेशी शासन को कभी चुपचाप बैठकर स्वीकार नहीं किया, परंतु मूल प्रश्न यह है कि आखिर इतना बड़ा समाज मुट्ठीभर आक्रांताओं से पराजित कैसे हो जाता था? अलग-अलग महापुरुषों ने इन कारणों की खोजबीन अपने-अपने ढंग से की और जाहिर है

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार कई बार ऐसा देखने में आया कि बेशर्मी के साथ मनघड़ंत खबरें फैलाई गईं। मिसाल के तौर पर अरविंद केजरीवाल ने कुछ लोगों के खिलाफ ऐसे गंभीर आरोप लगाए जिन्हें वह प्रमाणित नहीं कर पाए। बाद में प्रभावित लोग न्याय के लिए अदालत में गए। जब केजरीवाल ने देखा

भूपिंदर सिंह राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक अंकेश चौधरी, सावन वरवाल व तमन्ना सहित और भी कुछ एक नाम हैं, जो आने वाले कल में हिमाचल को राष्ट्रीय स्तर पर पदक देकर भारत का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। आज हिमाचल के धावकों व धाविकाओं तथा उनके प्रशिक्षकों को सुविधा की कोई कमी नहीं है। पुष्पा ठाकुर व

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार   संविधान देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए बनाए जाते हैं। अतः संविधान आस्था का नहीं, सुचारू प्रशासन का विषय है और संविधान की उन धाराओं पर खुली बहस होनी चाहिए, जो लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को कमजोर करती हों और उन्हें बदलकर जनहितकारी संविधान बनाया जाना चाहिए। आवश्यक होने पर

डा. भरत झुनझुनवाला आर्थिक विश्लेषक जीएसटी के कारण अर्थव्यवस्था की कुशलता का लाभ नहीं मिल रहा है। जीएसटी लागू होने के कारण साइकिल की उत्पादन लागत कम हुई है, लेकिन आम आदमी के पास साइकिल खरीदने के लिए क्रय शक्ति ही नहीं रही है। यह ऐसे हुआ कि आम आदमी के सामने 56 भोग परोसकर

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार पूरे तीन साल बाद मार्च 1922 को ब्रिटिश सरकार ने रौलेट एक्ट को वापस ले लिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जलियांवाला बाग में जब शांतिप्रिय जनता पर डायर की सेना गोलियों की बौछार कर रही थी, तो उस भीड़ में एक अनाथ बालक ऊधम सिंह

कुलभूषण उपमन्यु अध्यक्ष, हिमालय नीति अभियान   हमारे शिक्षण में बुनियादी तौर पर ही यह दोष है कि हम सत्य के खोजी बनने के बजाय अपने-अपने मंतव्य को दूसरों पर थोपने में ज्यादा रुचि लेते हैं। फिर चाहे धार्मिक शिक्षण हो या भौतिक शिक्षण, हम सभी का हाल तो यही है। फिर छात्र हिंसा की

संसद द्वारा दैनिक मूल्यांकन के लिए अंबेडकर की पैरवी में जो भी थोड़ा-बहुत व्यावहारिक या मूल्यवान था, वह भी तब समाप्त हो गया जब भारत ने दलबदल विरोधी कानून अंगीकार कर लिए। वर्ष 1985 के संविधान संशोधन ने सांसद के लिए पार्टी के फरमान के खिलाफ वोट देना अवैध बना दिया। अब अगर बहुमत पार्टी

प्रो. एनके सिंह अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार कुछ ऐसे भी आलोचक हैं जो कहते हैं कि गंगा अभी भी साफ नहीं है तथा न ही वह गंदगी से मुक्त है। यह सत्य है कि गंगा का पानी धीरे-धीरे साफ हो रहा है, किंतु यह पूरी तरह साफ नहीं है क्योंकि अभी इस दिशा में बहुत कुछ