भरत झुनझुनवाला

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं गहराई से पड़ताल करने पर पता लगता है कि देश में आने वाला विदेशी निवेश संकटग्रस्त घरेलू कंपनियों को खरीदने के लिए अधिक और नए निवेश करने के लिए कम आ रहा है। जैसे यदि मान लीजिए भारत की कोई कंपनी संकट में है, तो विदेशी

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं बिटकॉयन उसी प्रकार है जैसे किसी ओलंपिक मेडल को कोई व्यक्ति लाखों रुपए देकर खरीदने को तैयार हो सकते हैं। सरकार द्वारा जारी किए गए नोट की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार की मान्यता कितनी है। इलेक्ट्रॉनिक करेंसी के पीछे कोई अधिकृत

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं हमें एक करोड़ नए रोजगार हर वर्ष बनाने होंगे। सरकारी बैंकों का विलय प्राफिट में चल रहे बैंकों में करने से बैंक कर्मियों के स्वभाव में कोई अंतर नहीं पड़ता है। इसलिए सरकारी इकाइयों को विनिवेश अथवा विलय का पेन किलर देने के स्थान पर इनकी

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक  एवं टिप्पणीकार हैं सरकार का प्रयास है कि इन्कम टैक्स की अधिकतम दरों में कटौती की जाए। इसका प्रभाव देखिए। इन्कम टैक्स की अधिकतम दर में कटौती से अमीरतम लोगों को लाभ होगा, क्योंकि यदि आज वे अपनी आय का 30 प्रतिशत  दे रहे हैं, तो कल वे 25

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं व्यापार करना आसान होने के बावजूद देश में विदेशी निवेश की मात्रा बढ़ने के स्थान पर घट रही है। देश की अर्थव्यवस्था मूलतः छोटे उद्योगों द्वारा संचालित होती है। छोटे उद्योगों से ही रोजगार बनते हैं। उसी रोजगार से जनता की क्रय शक्ति बनती है, जिससे बड़े

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं सामान्य परिस्थिति में विदेशी निवेश में वृद्धि का अर्थ देश में नईं फैक्टरियों की स्थापना होता है, जैसे सुजूकी ने गुरुग्राम में कार बनाने की फैक्टरी लगाई। परंतु इस समय सीधा विदेशी निवेश नई फैक्टरी लगाने में कम और पुरानी फैक्टरियों को खरीदने में ज्यादा आ रहा

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं नीति का सही होना ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। नीति सही होती है तो नेता की भ्रष्टता खप जाती है। परंतु नीति गलत होती है तो ईमानदारी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। अतः हमें नेता की नीतियों पर चर्चा पहले और ईमानदारी पर चर्चा बाद में करनी चाहिए। नरेंद्र

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं उद्यमों पर टैक्स लगाकर रोजगार गारंटी कार्यक्रम चलाया गया। इससे वेतन में वृद्धि हुई। टैक्स और ऊंचे वेतन के दबाव में रोजगार बंद होने लगे। नव-बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए रोजगार गारंटी कार्यक्रम का विस्तार करना पड़ा। बचे हुए उद्यमों से अधिक मात्रा में टैक्स

डा. भरत झुनझुनवाला लेखक, आर्थिक विश्लेषक एवं टिप्पणीकार हैं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए जीएसटी तथा मेक इन इंडिया लाभप्रद है। घरेलू बड़ी कंपनियों के लिए जीएसटी एवं जनधन लाभप्रद हैं, परंतु मेक इन इंडिया हानिप्रद है। कुल मिलाकर इन पर प्रभाव शून्य माना जा सकता है। नौकरशाही के लिए स्किल इंडिया, स्टार्टअप तथा मुद्रा लाभप्रद