पीके खुराना

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार अगर हम विकसित देश बनना चाहते हैं तो हमें असलियत को समझना होगा, सच को स्वीकार करना होगा और प्रणालीगत दोषों को दूर करते हुए लोकतांत्रिक और संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत बनाना होगा। इसकी शुरुआत का एकमात्र तरीका यह है कि सत्ता में जनता की वापसी हो यानी जनता के काम

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार किसी भी व्यक्ति से गलती हो सकती है और असफलता हाथ लग सकती है, लेकिन यदि हम उत्साही हों तो असफलता भी जीवन का पाठ बन जाती है। हम कितनी ही बढि़या योजना बना लें, चुनौतियां आ सकती हैं। ऐसे में हमारी कुशलता दो बातों से सिद्ध होती है। पहली, कि

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार पिछले 233 सालों में अमरीका का कोई राष्ट्रपति तानाशाह नहीं बन पाया है। अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति श्री डोनाल्ड ट्रंप को पद संभाले दो ही हफ्ते हुए थे कि वहां के सिस्टम ने उनके पर कतरने शुरू कर दिए, जबकि हमारे यहां आजादी के बाद 30 साल भी पूरे नहीं हुए

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार एमेजॉन पर उपलब्ध मेरी पुस्तक ‘भारतीय लोकतंत्र : समस्याएं और समाधान’ में इस घटना का विस्तृत विवरण शामिल है। यह कोई छोटा-मोटा खुलासा नहीं है, लेकिन अपने देश में चोर-चोर मौसेरे भाई के ऐसे उदाहरण हमें बार-बार देखने को मिलते हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसा केवल संसदीय

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार यही नहीं, केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद राज्यसभा में बहुमत पाने के लिए भी राज्यों में अपनी पार्टी की सरकार होना आवश्यक है। ऐसे में दोनों सदनों में बहुमत बनाने के लिए प्रधानमंत्री को राज्यों में भी जोड़-तोड़ करनी पड़ती है। प्रधानमंत्री मोदी इस आवश्यकता को बारीकी से समझते

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार यदि आप ठान लेंगे तो समस्याएं देर-सवेर हल हो जाएंगी। उनका कोई न कोई हल निकलता चला जाएगा। यह प्रकृति का नियम है। संयोग आपके साथ भी घटने लगेंगे। आपको उनसे लाभ लेने के लिए तैयार रहना है। यदि आप अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोष देना छोड़ दें तो

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार ऊंट और शेर के ये दो उदाहरण हमें समझाने के लिए काफी हैं कि समस्याएं और चुनौतियां हमारे जीवन का हिस्सा हैं। हम इनसे बच नहीं सकते, चुनौतियों का हल खोजने और समस्याएं हल करने का प्रयास कर सकते हैं। इसमें कभी हम सफल होंगे और कभी असफलता भी हाथ लगेगी।

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार सवाल यह है कि यदि लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से लाभ नहीं मिल रहा है तो क्या किया जाए? इसके लिए आवश्यक है कि गरीब और वंचित लोगों को रोजगारपरक तथा उद्यमिता की शिक्षा दी जाए। उनकी स्किल बढ़े, वे कमाने लायक बन सकें और उत्पादकता में भी योगदान दें।

पीके खुराना राजनीतिक रणनीतिकार श्रीमती इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने श्री राजीव गांधी ने दलबदल विरोधी कानून बनवा लिया। परिणाम यह हुआ कि सांसदों के लिए दल के मुखिया से असहमत होना असंभव हो गया। दल की नीति के अनुसार वोट देना कानून हो गया और सांसद पिंजरे के तोते बन