पीके खुराना

इस तकनीक  के कारण अब यह संभव हो गया है कि महिला का पेशेवर जीवन भी चलता रहे और उसे मातृत्व सुख से भी वंचित न रहना पड़े। पश्चिम में कई प्रसिद्ध महिलाओं ने इस तकनीक को अपनाया है जबकि भारतवर्ष में यह अभी बहुत शुरुआती स्तर पर है। यह कहना अभी मुश्किल है कि

पेशे के रूप में जब उन्होंने अपना कार्य आरंभ किया तो उन्हें इसमें आनंद आने लगा और बातचीत के उनके तरीके ने, उनके लहजे से, उनके ज्ञान ने उनकी लोकप्रियता बढ़ाई। बाद में उन्होंने कई और भाषाएं भी सीखीं और अपने काम में और ज्यादा पारंगत होती चली गईं। एक विदेशी महिला लुइस निकल्सन ने

रोजगार के अवसरों की कमी एक बहाना मात्र है। इंटरनेट और तकनीक के मेल से नई क्रांति आई है। यह सही है कि रोज़गार छिने हैं, नौकरियां गई हैं, लेकिन यह भी सच है कि नए ज़माने की आवश्यकताओं के अनुरूप हुनरमंद लोगों की मांग बढ़ी है और उनके वेतनमान में उछाल आया है। एक

हमारे देश में तो बहुत छोटी कक्षाओं से ही यह सिलसिला आरंभ हो जाता है कि बच्चे के प्रोजेक्ट उनके मां-बाप, भाई-बहन पूरे करते हैं, साइंस की प्रेक्टिकल की कापियां कोई और बनाता है, पुराने शोधपत्र उठाकर कई बार तो सिर्फ  नाम बदल कर जमा करा दिए जाते हैं। ऐसे बच्चे जिन्हें व्यावहारिक ज्ञान है

इस समस्या से बचने का एक ही तरीका है कि हम कुटीर उद्योगों पर फिर से ध्यान दें, उन्हें तकनीक का लाभ लेना सिखाएं। दस्तकारों को प्रोत्साहित करें, उनका सामान खरीदें और उसके निर्यात के लिए अधिक से अधिक बाजार ढूंढें। यह सच है कि भविष्य में तकनीक सिर्फ  एक सपोर्ट-सिस्टम न रहकर उद्योगों की

यदि आप एवरेस्ट विजय करना चाहते हैं तो आप सैर करते हुए वहां नहीं पहुंच सकते। परिवर्तन की मानसिक यात्रा हमें सफलता की ओर ले चलती है। यदि हमें जीवन की बाधाओं से पार पाना है और सफल होना है तो हमें इस मानसिक यात्रा में भागीदार होना पड़ेगा जहां हम नए विचारों को आत्मसात

पी. के. खुराना राजनीतिक रणनीतिकार भारतीय संस्कृति में गणेश जी की बड़ी महत्ता है। हर कार्य की शुरुआत से पहले गणेश वंदना द्वारा कार्य की सफलता की प्रार्थना की जाती है। गणेश जी सफलता की शुरुआत हैं। आज हम सफल जीवन के रहस्यों की जानकारी की शुरुआत भी गणेश जी से ही करेंगे। घबराइए मत,

टीम के कई प्रमुख खिलाड़ी चोट और निजी कारणों से आस्ट्रेलिया के खिलाफ  सीरीज़ में शामिल नहीं थे। इसके बावजूद टीम इंडिया ने जुझारू प्रदर्शन किया और लगातार दूसरी बार बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी अपने नाम की है। भारत के इस जीत के चर्चे अमरीका, इंग्लैंड और पाकिस्तान में भी सुनाई दिए। कई प्रमुख विदेशी अखबारों ने

देश को गरीबी के गर्त से निकालने के लिए यह आवश्यक है कि बचपन से ही बच्चों को उद्यमिता का पाठ पढ़ाया जाए, उद्यमिता के गुरों की जानकारी दी जाए, प्रतियोगिता को समझने और प्रतियोगिता के बावजूद अपने लिए नई पोज़ीशनिंग ढूंढने की कला किसी व्यवसाय की सफलता की गारंटी है। सवाल सिर्फ  यही है