डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार आज स्थिति यह है कि इनकी लड़कियों का अपहरण हो जाता है, लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। आजकल यूएसए में जनगणना शुरू होने वाली है, लेकिन सरकार इनकी संख्या को दर्ज करने से बचती रहती है, ताकि रिकार्ड में इनकी संख्या कम दिखाई जा सके। लेकिन पिछले कुछ साल

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार अब कश्मीर घाटी में एसटीएम की राजनीति खत्म होने लगी है और कश्मीरियों की अपनी राजनीति शुरू होने लगी है। पिछले दिनों अजय और अब शेख वसीम बारी की शहादत इस बात का संकेत है कि आतंकवादी घाटी में परिवर्तन की इस हवा को किसी भी कीमत पर रोकना

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार पाकिस्तान अपनी इस प्रशासनिक इकाई में गिलगित और बलतीस्तान को शामिल नहीं करता था। इसलिए इस पूरी बहस में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण गिलगित-बलतीस्तान छिपा रहता था। यह चीन और पाकिस्तान, दोनों को ही अपने हितों के अनुकूल लगता था। लेकिन लद्दाख अलग राज्य बन जाने से, जिसमें गिलगित-बलतीस्तान भी शामिल

इसी अनुच्छेद के कारण चीन अपने आप को भी जम्मू-कश्मीर के विवाद में एक पार्टी मानने लगा था। यदि उस समय सरकार यह अनुच्छेद समाप्त कर देती और पाकिस्तान के कब्जे से गिलगित और बलतीस्तान छुड़ा  लेती तो चीन को ग्वादर तक पहुंचने के लिए रास्ता न मिलता और उसका कराकोरम राजमार्ग का सपना पूरा न हो पाता। कराकोरम के सपने के कारण ही वह इस क्षेत्र में स्वयं को पार्टी बनाने और मनवाने का प्रयास कर रहा है। आशा करनी चाहिए कि चीन और पाकिस्तान की इस भारत विरोधी महत्त्वाकांक्षा के आगे डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का यह बलिदान चट्टान बनकर खड़ा रहेगा...

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार चीन का कहना है कि अब भारत-चीन अपनी सीमा का निर्धारण आपसी बातचीत से करेंगे। बातचीत कैसे होगी, विवाद के मामले में उसे कैसे सुलझाया जाएगा, इसको लेकर दोनों पक्षों में कई समझौते हो चुके हैं। उन्हीं में से एक समझौता है कि दोनों पक्षों में कोई भी गोली

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार वादी-प्रतिवादी दोनों ही मुंह खोले वकील व जज की ओर आंखें फाड़ कर देखते रहते हैं कि उनके भाग्य का चित्रगुप्त क्या फैसला करते हैं। फैसला हो जाता है तो उसे जानने के लिए वादी-प्रतिवादी को फिर वकील के पास ही जाना पड़ता है कि कम से कम यह

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान अपने देश के मुसलमानों को लाकर गिलगित-बलतीस्तान में बसा रहा है। शिया समाज को खतरा है कि पाकिस्तान की इस साजिश के कारण वे अपने इलाके में ही अल्पसंख्यक होकर रह जाएंगे। इसके कारण शिया समाज और पाकिस्तानी मुसलमानों में झगड़े होते रहते हैं,

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार तब नेहरू को लोकसभा का सामना करना मुश्किल हो गया था। कांग्रेस के भीतर भी बवाल मच गया था, लेकिन नेहरू किसी तरह महावीर त्यागी का सामना करते हुए भी बच निकले थे। परंतु इसे क्या कहा जाए कि यह गच्चा खा जाने के बाद भी नेहरू संभले नहीं,

डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री वरिष्ठ स्तंभकार इस एसटीएम को यह बहम था कि हिंदुस्तान में अंग्रेजों के आने से पहले उनका राज था और भारत के लोग उनकी प्रजा थे। इसलिए कायदे से अंग्रेजों के जाने पर भारत का शासन उनके हवाले किया जाना चाहिए। लेकिन ब्रिटेन सरकार भी यह जानती थी कि ऐसा संभव