डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री

जैसा कि मैंने कहा भी है कि लगता नहीं हिमंत विश्व शर्मा की यह सलाह भी सोनिया परिवार मानेगा। लेकिन हिमंत विश्व शर्मा ने अपना कत्र्तव्य निभा दिया है। उनके इस बयान के बाद असम के सभी समुदायों में बहस छिड़ी हुई है और बचे-खुचे कांग्रेस के नेताओं के पास हिमंत विश्व शर्मा के इस

पंडित जवाहर लाल के शिष्यों को लेकर माऊंटबेटन का विश्वास बिल्कुल सही था। माऊंटबेटन के मरने पर इंग्लैंड में तो नहीं पर भारत में राजकीय शोक मनाया गया। लेकिन उससे पहले जवाहर लाल की राय के बावजूद 1960 में जार्ज पंचम को इंडिया गेट की छतरी ख़ाली करनी पड़ी थी। लेकिन प्रश्न था अब वहां

गुलाम नबी के इस नए प्रकरण के कारण भाजपा को और लाभ मिल सकता है। कश्मीर घाटी में राजनीतिक लड़ाई का एक धरातल एटीएम बनाम देसी कश्मीरी मुसलमानों का भी सदा रहता है। कश्मीर घाटी में एटीएम से अभिप्राय अरब, सैयदों, मध्य एशिया के तुर्कों व मुगल मंगोलों से है। ये मुसलमान सदियों से घाटी

स्यालकोट से विस्थापित जिन पंजाबियों को वोट का अधिकार दिया जा रहा है, उनकी तो पहचान और रहन-सहन ही जम्मू के डोगरों से मिलता है। इसलिए पंजाब के विस्थापितों को वोट का अधिकार दे देने से डोगरों की पहचान ख़तरे में नहीं पड़ेगी, बल्कि और मज़बूत होगी। रही पहचान सिखों की, क्या सैयद बताएंगे कि

वैसे नेहरू भी जानते थे कि इतिहास में यह प्रश्न तो उठेगा ही। इसलिए उन्होंने उन दिनों स्वयं इसका उत्तर देकर स्वयं को स्वयं ही अपराधमुक्त करने का प्रयास किया था। उनका स्पष्टीकरण था कि विभाजन तो रुक सकता था लेकिन उम्र के जिस मोड़ पर हम पहुंच चुके थे, वहां कोई भी अब और

भारतीय जनता पार्टी के लिए तो तिब्बत के प्रश्न की एक ही कसौटी है जिसकी घोषणा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक माधवराव सदाशिव गोलवलकर ने 1962 में ही कर दी थी। उन्होंने कहा था कि तिब्बत भारत सरकार की भूल के कारण चीन के फंदे में फंसा है… चीन की मंशा है कि तिब्बत

पंजाब के मुख्यमंत्री राज बहादुर से माफी मांग कर इस प्रकरण को समाप्त करना चाह रहे हैं, लेकिन उसके विपरीत अन्य मंत्री और आम आदमी पार्टी का संगठन राज बहादुर के अपमान को पार्टी की विजय बता रहे हैं। पंजाब के प्रशासन पर बुरी तरह नियंत्रण किए बैठे केजरीवाल इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी धारण

ज़ाहिर है इस प्रकार की घटनाओं से आभिजात्य राजनीतिक दलों में हडक़म्प मचता। कितना कुछ खुल सकता था। बहुत सी याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लम्बित थीं। लेकिन अब उच्चतम न्यायालय का भी निर्णय आ गया है। न्यायालय ने कहा ईडी प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत संदिग्धों के यहां तलाशी ले सकती है, उनको

लेकिन देसी मुसलमान लडक़ी से विवाह करने में इसलिए एतराज नहीं है क्योंकि उस लडक़ी से जो संतान पैदा होगी वह सैयद या तुर्क ही कहलाएगी। लेकिन यदि सैयद लडक़ी देसी मुसलमान लडक़े से विवाह करवा लेगी तो उसकी संतान देसी कुल वंश की हो जाएगी। सैयद या तुर्क यह कैसे बर्दाश्त कर सकता है?