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माता शूलिनी देवी के नाम से सोलन शहर का नामकरण हुआ। सोलन नगर बघाट रियासत की राजधानी हुआ करता था। इस रियासत की नींव बसंतपाल शासक ने रखी थी। बहु (बहुत) घाटों से मिलकर बनने वाली बघाट रियासत का क्षेत्रफल 36 वर्ग मील बताया जाता है… शूलिनी मेला– देवभूमि हिमाचल प्रदेश में वर्ष भर असंख्य

सुपरिंटेंडेंट बार्नस ने दूम्ह आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए तीनों मांगें मान लीं। इस प्रकार बुशहर के किसान राजा और अंग्रेज सरकार से अपनी मांगें मनवाने में सफल हुए। जुग्गा और डांडरा प्रकार के आंदोलन बिलासपुर में होते रहे… जन आंदोलन व पहाड़ी रियासतों का विलय इस दूम्ह आंदोलन को समाप्त करने के लिए

उनकी तब प्रसिद्धि हुई, जब उन्होंने श्रीमद्भागवतगीता का मंडयाली में अनुवाद किया और वास्तव में सारी गीता को शुद्ध मंडयाली में रच डाला। उन्होंने उपनिषद और वेदांत दर्शन का भी मंडयाली में अनुवाद किया। इन्होंने 300 से अधिक चित्र बनाए… भवानी दत्त शास्त्री वह 1911 ई. में जन्मे, एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, विजय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल

अपने जीवन में बहानेबाजी के लिए बिलकुल भी जगह मत रखो, क्योंकि बहाने बनाना हारने वालों की एक आदत होती है। हारे हुए व्यक्ति के पास बहानों की एक लिस्ट होती है। अतः बहाने मत बनाइए, आगे बढि़ए और कार्य पूरा कीजिए… जिंदगी बहुत खूबसूरत है और इसकी खूबसूरती को हमेशा बनाकर रखने के लिए हमें

मैं इंडियन कोस्ट गार्ड से जुड़ कर करियर बनाना चाहती हूं। महिलाओं के लिए इसमें नौकरी की क्या-क्या संभावनाएं हैं? — रोहिणी राणा, बैजनाथ इंडियन आर्म्ड फोर्सेज की सबसे युवा ब्रांच इंडियन कोस्ट गार्ड है। ये हमारी 7615 किमी लंबी कोस्टलाइन की रक्षा करते हैं। कुछ काम ये इंडियन नेवी के साथ मिल कर भी

इस समय हिमालय के लगभग 60 प्रतिशत ग्लेशियर पिघल रहे हैं और लगभग 20 प्रतिशत पहले ही पिघल चुके हैं। वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार पिछले वर्षों में ग्लेशियरों के आसपास के क्षेत्रों के मौसम में बदलाव हुए हैं… गतांक से आगे… पिघलते ग्लेशियरों के दुष्प्रभाव : अधिक उत्पादन

धौला कुआं जिला सिरमौर में विशाल व विस्तृत फैले बागीचों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें नींबू प्रजाति के पौधे, फल विधायन कारखाने, विभिन्न प्रकार के जूस, जैम, अचार और डिब्बाबंद अचार शामिल हैं। यहां से थोड़ी दूरी पर कटासना देवी मंदिर है… धौला कुआं यह जिला सिरमौर में विशाल व विस्तृत फैले बागीचों के लिए

  गतांक से आगे… भारत सरकार अधिनियम, 1919: 1920 में परिषद के कुल मतदाता केवल 17, 644 थे और विधानसभा के 904,746। परिषद की सामान्य कार्यावधि पांच वर्षों की थी तथा विधानसभा की तीन वर्षों की। गवर्नर जनरल दोनों में से  किसी भी सदन को उसकी पूर्ण कालावधि समाप्त होने से पूर्व ही भंग कर